पंजाब में दलित डिप्टी सीएम की घोषणा कर केजरीवाल ने CM पर सस्पेंस बढ़ा दिया
आप से अलग होने के बाद सुच्चा सिंह ने दावा किया था कि पंजाब में मुख्यमंत्री पद के लिए खुद अरविंद केजरीवाल या फिर उनकी पत्नी सुनीता के लिए रास्ता साफ किया जा रहा है.
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पंजाब में दलित डिप्टी सीएम की घोषणा कर अरविंद केजरीवाल ने सस्पेंस बढ़ा दिया है. इसके साथ ही एक बार फिर उन अटकलों को बल मिलने लगा है जिनमें आप के संभावित मुख्यमंत्रियों के कई नाम सुझाये जाते रहे हैं, जिनमें खुद केजरीवाल और उनकी पत्नी के नाम भी जब तब शुमार होते रहे हैं.
'आप' का सीएम कौन?
महीने भर पहले दैनिक भास्कर ने एक इंटरव्यू में अरविंद केजरीवाल से पूछा था - "आप पंजाब के सीएम कैंडिडेट के ऐलान से क्यों डर रहे हैं?" केजरीवाल ने सवाल का जवाब सीधे देने की बजाय कहा, "हमारे यहां सीएम कौन होगा? यह चर्चा का विषय नहीं है. हम तो मुद्दों को लेकर काम कर रहे हैं. मैं वादा करता हूं कि जो भी सीएम कैंडिडेट होगा, वह पंजाब के लिए मर मिटने वाला होगा."
अरविंद केजरिवाल और भगवंत मान |
पंजाब में आम आदमी पार्टी के सत्ता में पहुंचने पर मुख्यमंत्री पद के लिए कई नामों पर चर्चा होती रही है. जब सुच्चा सिंह छोटेपुर आप में थे तब उन्हें ही आप का चेहरा माना जाता रहा. फिर कॉमेडियन गुरप्रीत घुग्गी को केजरीवाल ने कमान सौंपी तो उन्हें भी दावेदार समझा जाने लगा. जब भगवंत मान ज्यादा सक्रिय होते दिखे तो उन्हें भी रेस में माना जाने लगा. कुछ दिन तक तो नवजोत सिंह सिद्धू भी ऐसी चर्चाओं के हिस्सा बने रहे, तो कभी डिप्टी सीएम के तौर पर उनकी पत्नी नवजोत कौर का भी नाम उछला.
आप से अलग होने के बाद सुच्चा सिंह ने दावा किया था कि पंजाब में मुख्यमंत्री पद के लिए खुद अरविंद केजरीवाल या फिर उनकी पत्नी सुनीता के लिए रास्ता साफ किया जा रहा है.
अपनी बात को सही साबित करने के लिए सुच्चा सिंह ने जोरदार तर्क भी रखे. सुच्चा ने कहा था कि केजरीवाल, सुनीता को फतेहगढ़ साहिब से चुनाव लड़ा सकते हैं. सुच्चा सिंह का कहना रहा - चूंकि सुनीता फतेहगढ़ की रहने वाली हैं इसलिए इस बात की खासी संभावना है.
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हर सस्पेंस कुछ कहता है !
सुच्चा सिंह का दावा तब इसलिए भी बेदम साबित हो गया क्योंकि आप के संविधान के अनुसार एक ही परिवार के दो व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकते. लेकिन हर तरह से अलग होने का दावा करने वाली पार्टी अगर वैसे ही काम करने लगे तो क्या समझा जाये. एक वो भी दौर था जब आम आदमी पार्टी ने एक मुस्लिम धर्मगुरु का समर्थन सिद्धांतों की दुहाई देकर ठुकरा दिया था. लेकिन अब तो उसी पार्टी ने आम आदमी को दलितों और गैर दलितों में बांट दिया है. पंजाब में आप की सरकार बनी तो डिप्टी सीएम दलित होगा - इसका मतलब तो यही होता है. फिर क्या ऐसा नहीं हो सकता कि पार्टी हित में उसके संविधान में संशोधन कर दिया जाये.
भास्कर के उसी इंटरव्यू में केजरीवाल से एक सवाल उनकी पत्नी को लेकर भी था - "कहीं आप खुद या पत्नी को सीएम बनवाना चाहते हैं?"
केजरीवाल ने पत्नी का नाम तो खारिज कर दिया लेकिन अपने नाम को लेकर सस्पेंस बने रहने दिया. केजरीवाल ने कहा, "मेरी पत्नी का राजनीति में आने का दूर-दूर तक सवाल ही पैदा नहीं होता. अपने बारे में मैंने अभी तक सोचा ही नहीं."
'अभी तक सोचा नहीं...' इसका मतलब तो यही हुआ कि भविष्य में केजरीवाल खुद के नाम के बारे सोच सकते हैं. एक दौर में केजरीवाल कहा करते थे - दिल्ली छोड़ कर कहीं नहीं जाऊंगा. फिर ये भी सुनने को मिला - अब मैं पंजाब में खूंटा गाड़ के बैठूंगा.
वैसे केजरीवाल की पत्नी ने भी वीआरएस ले लिया है. केंद्र सरकार ने उन्हें इसी साल जुलाई में इसकी इजाजत दे दी थी. जब से केजरीवाल ने पंजाब में दलित डिप्टी सीएम की घोषणा की है - सुच्चा सिंह के दावे पूरी तरह सच्चे भले न लगें लेकिन सच के करीब जरूर लग रहे हैं. बाकी केजरीवाल स्टाइल पॉलिटिक्स में संभावनाएं तो अपरंपार हैं.
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