28 साल के तेजस्वी सूर्या को भाजपा की प्रतिष्ठापूर्ण सीट का टिकट मिलने के 5 कारण
भाजपा के तेजस्वी सूर्या को बेंगलुरु दक्षिण से लोकसभा चुनाव 2019 का टिकट मिला है. ये चौंकाने वाला फैसला था कि किसी युवा को इस तरह लोकसभा टिकट मिल गया, लेकिन 5 कारण बताते हैं कि क्यों ये फैसला बहुत सोच समझ कर लिया गया है.
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भाजपा ने इस बार कुछ ऐसा किया है जिसकी उम्मीद कम ही लोगों को थी. भाजपा की तरफ से 28 साल के एक युवा नेता तेजस्वी सूर्या को बेंगलुरु दक्षिण की लोकसभा सीट का दावेदार बनाया है. एक युवा नेता जो एक ऐसी सीट से चुनाव लड़ने जा रहा है जहां से पूर्व यूनियन मिनिस्टर अनंत कुमार लड़ा करते थे. पिछले साल अनंत कुमार की मृत्यु के बाद ये अटकलें बढ़ गई थीं कि आखिर इस सीट से किसे चुना जाएगा.
तेजस्वी सूर्या भाजपा के युवा कैंडिडेट हैं जो न सिर्फ स्थानीय युवा आइकन, हाईकोर्ट के वकील और एक उभरते हुए राजनीतिक नेता हैं. भाजपा के इस कदम को काफी बड़ा माना जा रहा है क्योंकि इस तरह से किसी उभरते हुए नेता को पहली बार में ही लोकसभा सीट देना चौंकाने वाली बात है. पर भाजपा का ये फैसला कुछ कारणों से बेहद सोची समझी रणनीति का हिस्सा लग रहा है.
1. राजनीति का ट्रैक रिकॉर्ड जो किसी को भी इम्प्रेस कर दे...
तेजस्वी सूर्या राजनीति के हिसाब से नए नहीं हैं. 12 साल की उम्र से ही वो किसी न किसी तरह से पब्लिक सर्विस में एक्टिव हैं. उन्हें 12 साल की उम्र में राष्ट्रीय बालाश्री अवॉर्ड मिल चुका है. वो ABVP के मेंबर भी रह चुके हैं. 2008 में एक एनजीओ भी खोला था जिसका नाम “Arise India” है. बेहद कम उम्र में इतना करने के बाद राजनीतिक पकड़ भी अच्छी है. सूर्या की राजनीतिक समझ का परिचय पिछले साल ही मिल गया था जब तेजस्वी सूर्या ने 'मैंगलोर चलो' रैली का आयोजन करवाया था. ये रैली भाजपा के लिए बेहद फायदेमंद साबित हुई थी और दक्षिण कन्नड और उडुपी जिलों में जीत इसी रैली के कारण मिली थी. कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी के बैन के लिए ये रैली आयोजित की गई थी. सूर्या मीडिया आउटलेट स्वराज्य से भी जुड़े हुए थे और उन्हें पता है कि किस तरह से लोगों के बीच बने रहना है.
तेजस्वी सूर्या बहुत बचपन से ही पब्लिक सर्विस के मामले में सक्रीय रहे हैं.
2. अनंत कुमार की विरासत-
तेजस्वी सूर्या के गुरू और कोई नहीं बल्कि खुद अनंत कुमार थे जिनका गढ़ ही दक्षिण बेंगलुरु माना जाता है. खुद सूर्या ने भी लोकसभा टिकट मिलने पर अनंत कुमार को ही बधाई दी. उन्हें सूर्या अपने पब्लिक गुरू मानते हैं. जो इंसान इतने सालों से दक्षिण बेंगलुरु की सीट का जिम्मा संभाले हुए थे उन्हें इस सीट की रग-रग की जानकारी थी और ये ज्ञान भली भांति तेजस्वी सूर्या के पास है.
Ananthkumar Ji. My first guru in public life. He has seen me grow up since my high school days. I have learnt so much seeing him, talking to him and just seeing him at work. He is one of the tallest leaders of Karnataka ever. I am eternally grateful to him. pic.twitter.com/KGGKSlTNtM
— Chowkidar Tejasvi Surya (@Tejasvi_Surya) March 25, 2019
यही कारण है कि तेजस्वी सूर्या इस सीट के लिए उपयुक्त कैंडिडेट हैं. कुछ लोग उन्हें सिम्पेथी वोट भी दे सकते हैं. यहां तक कि इस सीट के लिए पहले तेजस्विनी अनंत कुमार (अनंत कुमार की पत्नी) को चुनने की बात चल रही थी, लेकिन आखिरी मौके पर तेजस्वी सूर्या को ये टिकट दे दी गई. तेजस्विनी कुमार ने अपने एक इंटरव्यू में कहा कि ये पार्टी का फैसला है और हमें नरेंद्र मोदी के साथ काम करना है.
3. पढ़े-लिखे युवा की छवि जो बेंगलुरु में बहुत जरूरी है-
दक्षिण बेंगलुरु में युवा वर्ग बहुत ज्यादा है और ऐसे में एक हाई कोर्ट का वकील जिसका संगठनात्मक कौशल सबने देखा हुआ है भाजपा के लिए एक अच्छा उम्मीदवार बन सकता है. अनंत कुमार का वारिस युवा वर्ग के बीच अपने ऊर्जात्मक काम और नए तरीकों के लिए जाना जाता है. 2014 में भी 23 साल का ये लड़का काफी लोकप्रिय था और 2014 चुनावों के दौरान तेजस्वी सूर्या ने पुणे, चेन्नई और मुंबई में कई रैलियां की हैं. युवा वर्ग अपने बीच के एक नेता को देखकर काफी खुश हो सकता है और इसलिए इस जरूरी सीट पर तेजस्वी सूर्या को चुना गया है.
4. सोशल मीडिया की पकड़ जो औरों को पीछे छोड़ती है-
तेजस्वी सूर्या सोशल मीडिया के मामले में भी बेहद लोकप्रीय हैं. वो ट्विटर पर काफी एक्टिव हैं और 70 हज़ार से ज्यादा फॉलोवर्स के साथ हमेशा अपने काम को सार्वजनिक करते रहते हैं. तेजस्वी की एक स्वीच जिसमें उन्होंने नरेंद्र मोदी के खिलाफ भाषण देने वालों को जमकर फटकार लगाई थी वो काफी वायरल हो रही है.
All anti-India forces have united to stop Modi. While Modi's agenda is building a new & robust India, their agenda is to stop him. They have no positive agenda. If you are with Modi, you are with India. If you are not with Modi, then you are strengthening anti-India forces. pic.twitter.com/k0mXzqItrG
— Chowkidar Tejasvi Surya (@Tejasvi_Surya) March 22, 2019
इस स्पीच के कारण तेजस्वी सूर्या बहुत ज्यादा लोकप्रीय हो गए थे और कहीं न कहीं इस तरह के भाषण भी तेजस्वी सूर्या को लोकसभा टिकट दिलाने के जिम्मेदार हैं.
5. नया उदाहरण जो परिवारवाद को चुनौती देता है-
तेजस्वी सूर्या के भाषण में कहीं न कहीं परिवारवाद को चुनौती दी जाती है और ये असल में भाजपा की पुरानी राह है जिसपर सूर्या चल रहे हैं. एक युवा लीडर जो खुद नए जमाने की सोच रखता है और खास तौर पर किसी राजनीतिक घराने से ऐसे नहीं जुड़ा जिस तरह कांग्रेस में होता है ऐसे लीडर को जरूरी लोकसभा सीट देकर युवा वर्ग के बीच एक मैसेज जाता है कि भाजपा में नए और युवा लोगों की भी सुनी जाती है और उन्हें जिम्मेदारी भी मिलती है. ये एक नई पहल है जो तेजस्वी सूर्या को दक्षिण बेंगलुरु सीट के लिए उपयुक्त कैंडिडेट बनाती है.
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