आखिर क्यों चला केजरीवाल का 'माफियों' का दौर, तथ्यों के साथ यूं समझिए
2015 के चुनाव में केजरीवाल के 'sorry' हथियार ने 70 में से 67 सीटों पर जीत के साथ प्रचंड बहुमत दिलाया था, लेकिन इस बार ये देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली की जनता उन्हें माफ करती है या साफ करती है.
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एक अलग तरह की राजनीति करने के उद्देश्य से राजनीति में आए अरविंद केजरीवाल देखते ही देखते बहुत सारे मामलों में फंस गए. एक के बाद एक कई लोगों पर अरविंद केजरीवाल ने बिना सोचे समझे ऐसे आरोप लगा डाले, जिन्हें साबित करने के उनके पास सबूत भी नहीं थे. नतीजा ये हुआ कि अरविंद केजरीवाल को मुंह की खानी पड़ी. अब उनके खिलाफ ऐसे ही करीब 33 मामले कोर्ट में जा पहुंचे हैं. अरविंद केजरीवाल को भी अब ये समझ आ चुका है कि सिर्फ बयानबाजी से कुछ नहीं होगा, आरोपों को साबित करने के लिए पुख्ता सबूत होने जरूरी हैं. अपनी गलती का एहसास होते ही केजरीवाल ने इसे सुधारने के प्रयास शुरू कर दिए हैं. इसी के तहत उन्होंने एक के बाद एक उन सभी लोगों से माफी मांगने का फैसला किया है, जिन पर उन्होंने बेबुनियाद आरोप लगाए थे. इसकी शुरुआत भी हो चुकी है.
3 लोगों से मांग चुके हैं माफी, 30 हैं बाकी
अभी तक अरविंद केजरीवाल पंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया, पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के बेटे अमित सिब्बल और केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी से माफी मांग चुके हैं. आम आदमी पार्टी के मुताबिक अरविंद केजरीवाल 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले उनके खिलाफ सभी 33 मामलों में माफी मांगेंगे और इसकी संख्या को जीरो पर ले आएंगे. केजरीवाल भले ही लोगों से माफी मांग रहे हों, लेकिन उनकी पार्टी के कुछ लोगों को यह बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा. बिक्रम मजीठिया से माफी मांगने को लेकर पंजाब इकाई में नाराजगी देखी जा सकती है. पंजाब की आप इकाई के प्रमुख भगवंत मान ने पद से इस्तीफा भी दे दिया है. हालांकि, उन्होंने कहा है कि वह पार्टी नहीं छोड़ेंगे और केजरीवाल की तरफ से बिक्रम मजीठिया से भले ही माफी मांग ली गई हो, लेकिन उनकी लड़ाई जारी रहेगी. वहीं दूसरी ओर सामाजिक कार्यकर्ता और महाराष्ट्र आम आदमी पार्टी की पूर्व नेता अंजलि दमानिया ने नितिन गडकरी से माफी मांगे जाने को लेकर नाराजगी जताई है.
तो माफी क्यों मांग रहे हैं केजरीवाल?
देखा जाए तो केजरीवाल के सामने माफी मांगने के अलावा सिर्फ एक ही रास्ता है कि वे कोर्ट में जाएं और सभी मामलों में सबूत पेश करें. सबूत तो हैं नहीं, तो केजरीवाल ने इन सभी केस को माफी मांगकर निपटाने का फैसला किया है. अरविंद केजरीवाल इस मामले पर कहते हैं कि वह आम आदमी के पैसे और संसाधनों को केस लड़ने में बर्बाद नहीं करना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने माफी मांगने का फैसला किया है.
मामलों की लिस्ट भी है लंबी
खैर, अरविंद केजरीवाल का ये कहना तो बिल्कुल सही है कि सभी मामलों को कोर्ट में निपटाने से आम आदमी का पैसा और संसाधन बर्बाद होंगे. आम आदमी पार्टी की एक नेता नवजोत कौर लांबी ने इन केस की एक लिस्ट जारी की है, जिसे देख कर तो लगता है कि अरविंद केजरीवाल की बात में दम है. हालांकि, यह लिस्ट सही है या नहीं, यह अभी कहा नहीं जा सकता. 2019 के लोकसभा चुनाव सिर पर हैं और अरविंद केजरीवाल पर 33 मामले चल रहे हैं, ऐसे में अगर वो इन्हें निपटाएंगे नहीं, तो हो सकता है कि राजनीति से ही निपट जाएं. इतना ही नहीं, हो सकता है कि जिन 20 विधायकों को डिसक्वालिफाई करने का मामला कोर्ट में चल रहा है, उसे लेकर 20 सीटों पर उपचुनाव कराने की नौबत आ जाए. और अगर ऐसा होता है तो ये केस अरविंद केजरीवाल के पैरों की बेड़ियां बन जाएंगे.
What @ArvindKejriwal did. It realy hurt the sentiments of all including me. On another side if u see the list of hearings in the month of march only then even GOD himself will frustrate from it. All time many hearings plan just to harrass AK. @AamAadmiParty @AAPPunjab pic.twitter.com/7VYQfmLY1A
— Navjot Kaur Lambi (@Navjot_Lambi) March 16, 2018
लोकसभा चुनाव की तैयारी नहीं कर पाएंगे
केजरीवाल के खिलाफ जो 33 मामले कोर्ट में हैं, उनकी तारीखें देखेंगे तो पता चलेगा कि इस साल मार्च और अप्रैल तो उनका कोर्ट केस लड़ने में ही चला जाएगा. 17 मामलों की तारीख तो सिर्फ मार्च महीने में ही है. फिर इन मामलों में अगली तारीख, तारीख पर तारीख... बस यही चलता रहेगा, क्योंकि केजरीवाल के पास सबूत हैं नहीं और जिन्होंने उन पर मानहानि के केस किए हैं वह पीछे हटेंगे नहीं. देखा जाए तो अरविंद केजरीवाल को यह बात बखूबी समझ आ चुकी है कि अगर वह इन कोर्ट केस को लड़ने के चक्कर में पड़े तो पैसों की तो बात छोड़िए, दिल्ली की कुर्सी छोड़ने की नौबत आ सकती है. आखिर जो इंसान आए दिन कोर्ट के ही चक्कर काटेगा, वो जनता के बीच न तो अपनी उपलब्धियां गिना पाएगा, ना ही लोगों की समस्या को समझ सकेगा.
केजरीवाल का 'सॉरी' हथियार
अरविंद केजरीवाल का सॉरी कितना बड़ा हथियार है, इसका अंदाजा को 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में ही हो गया था. केजरीवाल ने 2014 में दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया और फिर जनता के सामने इस इस्तीफे के लिए माफी मांगी. 28 विधानसभा सीटों को जीतने के बाद केजरीवाल सरकार महज 49 दिन चली थी, लेकिन दिल्ली की जनता से सॉरी कहने के बाद जब चुनाव हुए तो लोगों ने केजरीवाल की झोली वोटों से भर दी. 2015 के चुनाव में केजरीवाल को 70 में से 67 सीटों पर जीत के साथ प्रचंड बहुमत मिला. इस बार भी केजरीवाल अपने उस 'सॉरी' हथियार को इस्तेमाल कर रहे हैं. देखना ये होगा कि अब दिल्ली की जनता उन्हें माफ करती है या साफ करती है.
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