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Updated: 03 जून, 2017 06:39 PM
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मुश्किलें खत्म हो जाएंगी, ऐसा सोचना भी अरविंद केजरीवाल के लिए मुश्किल हो रहा है. कपिल मिश्रा के ताबड़तोड़ आरोपों को काउंटर करने के लिए केजरीवाल की टीम लगी है तो खुद वो एक अलग किस्म की मुश्किल से जूझ रहे हैं.

केजरीवाल की ताजा मुश्किल ये है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय में काम करने के लिए कोई अफसर तैयार नहीं है. इसकी वजह तो और भी हैरान करने वाली है - सीबीआई के खौफ से अफसर CMO में काम करने को लेकर हाथ जोड़ दे रहे हैं.

अफसरों का डर

पता चला है कि दिल्ली का मुख्यमंत्री कार्यालय अफसरों की कमी से बुरी तरह जूझ रहा है. सीएमओ में ओएसडी के पद पर तैनात अधिकारी सुकेश जैन ने अपने मूल कैडर भारतीय राजस्व सेवा में वापस भेजने के लिए अप्लाई किया हुआ है. एडिशनल सेक्रेटरी गीतिका शर्मा का तबादला कर दिया गया, जबकि दूसरे अतिरिक्त सचिव दीपक विरमानी स्टडी लीव पर जाना चाहते हैं.

पीटीआई की खबर है कि मुख्यमंत्री कार्यालय में कम से कम एक दर्जन सीनियर अफसरों ने काम करने से इंकार कर दिया है. सूत्रों के हवाले से आ रही खबर के मुताबिक मुख्यमंत्री ने सीएमओ में काम करने के लिए 10-12 अफसरों से संपर्क किया लेकिन सभी ने विनम्रतापूर्वक इनकार कर दिया. असल में, अफसरों को आशंका है कि उनका भी हाल केजरीवाल के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार और उप सचिव तरुण कुमार जैसा हो सकता है. अफसरों का मानना है कि अगर उन्होंने कोई पदभार ग्रहण किया तो वे सीबीआई के रडार पर आ सकते हैं. राजेंद्र कुमार और तरुण कुमार पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं जिन पर कार्रवाई हुई है.

arvind kejriwalअफसरों में खौफ...

वैसे तो मुख्यमंत्री के पास तमाम रास्ते हैं वो चाहें तो बाहर से अधिकारी ले सकते हैं या फिर निजी प्रोफेशनल को भी हायर कर सकते हैं, लेकिन जिस तरह की आशंका अफसरों ने जतायी है वो तो बहुत ही गंभीर मामला है.

CBI का खौफ क्यों?

सुप्रीम कोर्ट द्वारा तोता कहे जाने से पहले से भी सीबीआई पर तोहमत लगते रहे हैं. प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी भी सीबीआई की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा चुके हैं. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी मीडिया के सवालों के जवाब में एक बार माना था कि जो भी सत्ता में होता है सीबीआई का थोड़ा बहुत दुरुपयोग करता है.

एक चर्चा तो आम रही है कि सीबीआई के चलते ही मायावती और मुलायम सिंह यादव को कई बार केंद्र सरकार के इशारों पर चलना पड़ा है. हाल के दिनों में भी ऐसी घटनाओं का जब तक जिक्र आता ही रहता है.

सीबीआई ने जब दिल्ली के मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव के दफ्तर में छापेमारी की थी तब केजरीवाल आपे से बाहर हो गये थे. ट्विटर पर उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को खूब खरी खोटी भी सुनाई थी.

जब से केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली है केंद्र की सरकार उनके निशाने पर रही है. केजरीवाल सरकार ने तो स्लोगन ही रच डाला था - वो परेशान करते रहे, हम काम करते रहे. लेकिन शूंगलू कमेटी की रिपोर्ट ऐसे स्लोगन और दावों की हवा निकाल देती है. वैसे उप राज्यपाल नजीब जंग से केजरीवाल सरकार का रोजमर्रा का टकराव तो शायद ही किसी को भूला हो.

लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय में काम करने से अफसरों का बचना और उसकी वजह सीबीआई का डर होना बहुत ही गंभीर बात है. आखिर इसकी क्या वजह हो सकती है?

क्या मुलायम सिंह और मायावती के सामने भी ऐसी चुनौतियां पेश आई होंगी? क्या कभी उनके साथ भी सीबीआई के डर से अफसरों ने काम करने से इनकार किया होगा?

मुलायम और मायावती दोनों पर ही आय से अधिक संपत्ति के आरोप लग चुके हैं और माना जाता है कि अघोषित तौर पर अक्सर ही वे सीबीआई के रडार पर रहते हैं.

केजरीवाल पर उनके ही साथी कपिल मिश्रा को छोड़ कर अब तक किसी ने भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगाया है. कपिल के आरोपों को भी केजरीवाल के विरोधी योगेंद्र यादव और खुद कपिल के करीबी कुमार विश्वास तक खारिज कर चुके हैं.

तो क्या अफसरों को ये लगता है कि केजरीवाल के खिलाफ तो कोई मामला है नहीं, ऐसे में उन्हें ही टारगेट किया जा सकता है? जो भी हो स्थिति अगर ऐसी है तो बहुत चिंता की बात है.

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