अखिलेश को 'आधा' सीएम से भी बेदलखल क्यों करना चाहते हैं मुलायम?
कहीं मुलायम चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री बदलने के बारे में भी तो नहीं सोच रहे. अगर अखिलेश के हालिया बयानों पर नजर डालें तो इसका जवाब ढूंढा जा सकता है.
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सुबह सुबह अखिलेश यादव का बड़ा ही इमोशनल बयान अखबार में पढ़ने को मिला - 'बचपन में मुझे अपना नाम भी खुद ही रखना पड़ा.'
दोपहर होते होते मुलायम सिंह यादव ने जता दिया कि ये कोई बड़ी बात नहीं है - 'परिवार में और भी लोग हैं जिन्होंने अपना नाम खुद ही रखा है.'
लगे हाथ मुलायम ने एक जोरदार झटका भी दिया - अखिलेश यादव ही समाजवादी पार्टी के सीएम कैंडिडेट होंगे ये जरूरी नहीं है.
मैं हूं नेताजी!
चाहे वो अखिलेश यादव हों या शिवपाल यादव या फिर अमर सिंह, अब तक सभी यही कहते रहे कि जो भी 'नेताजी कहें वही सही'. अब मुलायम सिंह ने भी सियासत के अहं ब्रह्मास्मि अंदाज में बताया कि समाजवादी पार्टी में जो भी हैं वहीं हैं. बाकी न तो कोई है न किसी को मलाल रहे. हां, शिवपाल को इस दायरे से उन्होंने बाहर रखा.
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मुलायम बोले, "कभी मेरे बिना सरकार नहीं बन सकती है. मैं छोटी पार्टी बनाकर इस मुकाम पर पहुंचा हूं. मेरे परिवार में किसी तरह का कोई विवाद नहीं है. शिवपाल पार्टी के इंचार्ज और सब कुछ हैं. जनता हमारे परिवार से प्यार करती है."
फिर कौन बनेगा मुख्यमंत्री? |
मुलायम ने ये भी बताया कि उनकी बहन और भाई शिवपाल ने ही अखिलेश को पाला-पोषा है - और खुद उन्होंने अखिलेश की पढ़ाई पर काफी ध्यान दिया. साथ ही, मुलायम ने कहा, "मेरे नाम पर उन्होंने वोट मांगा था. मैंने ही उन्हें सीएम बनाया. अब उन्हें फ्री कर दिया है."
अखिलेश आधे से भी बेदखल
मुलायम का ये कहना कि "अब उन्हें फ्री कर दिया है", आखिर क्या जता रहा है?
क्या मुलायम अब उन्हें 'आधा' मुख्यमंत्री वाली हिस्सेदारी से भी बेदखल कर दिये हैं? क्योंकि विपक्षी नेता तो यही कहा करते थे कि यूपी में साढ़े चार सीएम हैं - और उनमें अखिलेश का हिस्सा सिर्फ आधा बनता है.
टाइम्स ऑफ इंडिया को दिये इंटरव्यू में अखिलेश यादव ने अपने संघर्ष और राजनीतिक हक की लड़ाई का जिक्र किया था. अखिलेश ने ये भी कहा कि उन्हें मुश्किल परिस्थितियों में फंसाया जा सकता है, लेकिन हराया नहीं जा सकता.
फिर अखिलेश बताया कि आगे की लड़ाई भी उन्हें खुद ही लड़नी पड़ेगी. अखिलेश बोले, "ठीक उसी तरह मुझे लगता है कि किसी और का इंतजार किए बिना मुझे अकेले अपने दम पर ही चुनाव प्रचार करना होगा."
लगता है ये मीडिया में अखिलेश का ये बयान देना मुलायम को सबसे ज्यादा नागवार गुजरा है. यही वजह है कि जब प्रेस कांफ्रेंस में समाजवादी पार्टी के सीएम उम्मीदवार के सवाल पर वे बेहद गुस्से में नजर आये. मुलायम ने साफ तौर पर कह दिया कि सीएम का फैसला विधायक मिल कर करेंगे.
कहीं शिवपाल तो नहीं
मुलायम ने आखिर अखिलेश को पार्टी के सीएम उम्मीदवार से हटाने का संकेत क्यों दिया? क्या मुलायम वाकई अखिलेश से नाराज चल रहे हैं? क्या मुलायम को अखिलेश की इमोशनल बातें दिल पर जा लगी हैं? या फिर, वजह कुछ और ही है.
क्या मुलायम ये सब किसी के कहने पर कर रहे हैं? क्या इसके पीछे अमर सिंह का भी हाथ हो सकता है? क्या अखिलेश ने जिस बाहरी का जिक्र किया था वो अमर सिंह ही थे या कुछ और भी बाहरी हैं?
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कहीं मुलायम ने शिवपाल को मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाये जाने के संकेत तो नहीं दिये हैं? अखिलेश को हटाकर मुलायम ने हाल ही में शिवपाल को यूपी की कमान सौंप दी थी, कहीं ये उसी का एक्सटेंशन तो नहीं.
कहीं मुलायम चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री बदलने के बारे में भी तो नहीं सोच रहे. अगर अखिलेश के हालिया बयानों पर नजर डालें तो इसका जवाब ढूंढा जा सकता है, लेकिन बाकी सवालों के जवाब मिलना अभी बाकी है.
तो यूपी में अब मुख्यमंत्री पद का दावेदार एक ही चेहरा बचा लग रहा है - मायावती का. इंडिया टुडे के सर्वे में भी लोगों ने मायावती को ही सबसे पसंदीदा सीएम कैंडिडेट बताया है. मायावती को ये खुला मैदान किसी और ने नहीं बल्कि उनके सबसे बड़े सियासी दुश्मन खुद मुलायम ने ही बख्श दिया है. बीजेपी ने अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित नहीं किया है और शीला दीक्षित को सर्वे में सिर्फ 1 फीसदी लोग मुख्यमंत्री लायक मानते हैं.
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