क्या है जो भारत को रोकता है ओसामा जैसा ऑपरेशन करने के लिए?
अगर यह मान भी लें कि आतंकवाद से निपटने के लिए अमेरिका भारत को सीमा पार स्थित आतंकियों के कैंपों को नष्ट करने की सलाह भी दे रहा है तो भी क्या भारत कभी ओसामा जैसा ऑपरेशन चलाकर आतंकियों को खत्म कर सकता है?
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पठानकोट आतंकी हमले पर पाकिस्तान से जुड़े सवालों पर अमेरिकी प्रतिक्रिया पहली नजर में निराश करने वाली लगती है लेकिन इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट के प्रवक्ता जॉर्न किर्बी ने कुछ ऐसा कह दिया जिसे भारत के लिए सीमा पार स्थित आतंकी ठिकानों को नष्ट करने का एक उपाय माना जा रहा है.
दरअसल जब यह पूछा गया कि अमेरिका ने क्यों 26/11 के मुंबई हमलों के दोषियों को सजा दिलाने के मामले में पाकिस्तान को जरूरत से ज्यादा ही समय दे दिया तो जॉर्न किर्बी ने कहा, 'हम निश्चित तौर पर यह चाहते हैं कि सभी दोषियों (26/11) को न्याय के दायरे में लाया जाए...हमें पता है कि इसमें लंबा वक्त लग सकता है. ओसामा बिन लादेन को न्याय के दायरे में लाने में एक लंबा वक्त लगा, लेकिन हमने ऐसा किया. इसलिए यह मुश्किल हो सकता है.'
26/11 के दोषियों को सजा दिलाने के संदर्भ में अमेरिका द्वारा ओसामा बिन लादेन के जिक्र के मीडिया में अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं और माना जा रहा है कि अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान में घुसकर मारने की बात कहकर परोक्ष रूप से भारत के लिए भी सीमा पार स्थित आतंकी कैंपों को नष्ट करने का विकल्प सुझाया है. लेकिन अगर यह मान भी लें कि आतंकवाद से निपटने के लिए अमेरिका भारत को सीमा पार स्थित आतंकियों के कैंपों को नष्ट करने की सलाह भी दे रहा है तो भी क्या भारत कभी ओसामा जैसा ऑपरेशन चलाकर आतंकियों को खत्म कर सकता है? आखिर वे कौन सी वजहें हैं जो भारत को ऐसा करने से रोकती है. आइए जानें.
भारत इसलिए नहीं चला सकता ओसामा जैसा ऑपरेशनः
अमेरिका ने 2011 में जब पाकिस्तान के ऐबाटाबाद में घुसकर ओसामा को मार गिराया तो कहा जाता है कि उसने पाकिस्तानी सेना को इस ऑपरेशन की भनक तक नहीं लगने दी थी. 9/11 हमलों के लिए जिम्मेदार अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन एक दशक तक अमेरिका का मोस्ट वॉन्टेड अपराधी होने के बावजूद उसे चकमा देता रहा था. लेकिन आखिरकार अमेरिकी कमांडोज ने जिस तरह से पाकिस्तान में घुसकर इस आतंकी को खत्म किया उससे निश्चित तौर पर अमेरिका ने महाशक्ति के तौर पर दुनिया के सामने अपनी धाक फिर से जमा दी. लेकिन क्या भारत कभी पाक अधिगृहित कश्मीर स्थित आतंकियों के कैंपों को नष्ट करने या 26/11 मुंबई आतंकी हमले के मास्टर माइंड हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन से लेकर पठानकोट हमलों के जिम्मेदार माने जा रहे जैश-ए मोहम्मद प्रमुख मौलाना मसूद अजहर जैसे आतंकियों को ठिकाने लगाने के लिए पाकिस्तान में घुसकर इनका काम तमाम कर सकता है. तो जवाब है नहीं. हाल-फिलहाल ऐसा संभव नजर नहीं आता है. इसके ये कारण हैं.
1. भारत-पाक दोनों ही परमाणु सम्पन्न राष्ट्र:
इन दोनों देशों के बीच इससे पहले हुईं लड़ाइयों तक इनके पास परमाणु हथियार नहीं थे. लेकिन अब ये दोनों ही देश परमाणु हथियारों से लैस हैं. ऐसे में पाकिस्तानी सीमा लांघकर कोई भी कार्रवाई पाक को भारत पर परमाणु हमला करने का बहाना दे सकती है. यह डर इसलिए भी बढ़ जाता है कि पाकिस्तान में लोकतंत्र बेहद कमजोर है और वहां की सत्ता पर सेना और ISI का ही कब्जा है. पाक सेना और ISI भारत के बारे में क्या सोचते हैं ये बताने की जरूरत नहीं है. इसलिए अगर भारत ने पाक पर सीधा हमला ने करके सिर्फ आतंकियों को मारने के लिए भी पाकिस्तानी धरती पर कदम रखा तो पाक को भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने का बहाना मिल जाएगा. ऐसे में अगर परमाणु युद्ध हुआ तो पाकिस्तान को जितना भी भयंकर नुकसान हो भारत को भी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी.
2. अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में अलग-थलग पड़नाः
पाकिस्तानी सीमा को पार करके और दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ाकर भारत निश्चित तौर पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की नाराजगी ही मोल लेगा. भारत के इस कदम को दक्षिण एशिया में शांति के माहौल को बिगाड़ने की कोशिश के तौर देखा जाएगा और संयुक्त राष्ट्र संघ से लेकर अमेरिका, चीन और ब्रिटेन जैसे बड़े देश भारत के खिलाफ खड़े हो जाएंगे. बड़े देश उसके ऊपर आर्थिक प्रतिबंध भी लगा सकते हैं, जोकि भारतीय के लिए कतई अच्छा नहीं होगा.
3. आतंकी ठिकानों की सटीक जानकारी नहीं:
मुंबई में 2008 में हुए आतंकी हमले के बाद देश में आतंकियों को पाकिस्तान में घुसकर मारने की जोरदार मांग उठी थी. लेकिन सरकार तब इसलिए पीछे हट गई थी क्योंकि उसका मानना था कि सीमा पार स्थित आतंकी कैंपों के लोकेशन के बारे में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के पास इतनी सटीक जानकारी नहीं है कि उन्हें निशाना बनाकर खत्म किया जा सके. ऐसे में बिना सटीक जानकारी के भारत द्वारा की गई किसी भी कार्रवाई से आम लोगों को होने वाले जान-माल के नुकसान होने की स्थिति में भारत दुनिया में अलग-थलग पड़ सकता है.
4. अमेरिका की तुलना में भारत-पाक के रिश्ते अलगः
अमेरिका पाकिस्तान को सबसे ज्यादा आर्थिक मदद देने वाला देश है. साथ ही वह दुनिया का सबसे ज्यादा ताकतवर देश भी है. पाकिस्तान के साथ उसके रिश्ते भारत की तरह तनावपूर्ण नहीं हैं. इसलिए अमेरिका पाकिस्तान को उसके घर में घुसकर आसानी से मार पाया और पाक की तरफ से कोई खास प्रतिक्रिया भी नहीं हुआ. लेकिन जरा सोचिए अगर भारतीय सेना ने कभी हाफिज सईद या मौलाना मसूद अजहर को पाक में घुसकर मारा तो क्या होगा? जाहिर तौर पर पाकिस्तान चुप नहीं बैठेगा और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ देगा.
5. अमेरिकी सेना की पाक में मौजदूगीः
अमेरिका ओसामा के खिलाफ आसानी से इसलिए कार्रवाई कर पाया क्योंकि उसके पाकिस्तान के साथ दोस्ताना सैन्य संबंध हैं और पाकिस्तान में अमेरिका सेना के तीन एयरबेस हैं. यानी अमेरिकी सेना की मौजूदगी वहां जमीन से लेकर हवा तक में है.
इन वजहों से स्पष्ट है कि भले ही पठानकोट आतंकी हमले के बाद से एक बार देश में सीमा पार स्थित आतंकियों को खत्म करने की मांग उठ रही हो लेकिन भारत पाक में छुपे बैठे आतंकियों को अमेरिकी स्टाइल में लादेन की तरह नहीं मार सकता.
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