दिनेश मोहनिया की गिरफ्तारी से आपातकाल का क्या कनेक्शन?
महिला से बदसलूकी के मामले में गिरफ्तारी क्या आपातकाल है? कितनी हास्यास्पद स्थिति है. जिसके ऊपर केस दर्ज हुआ है उस विधायक को समूची पार्टी बचा रही है और जिसपर कोई केस दर्ज नहीं वो थाने की बजाय प्रधानमंत्री आवास गिरफ्तारी देने जा रहा है.
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दिल्ली में एक ऐसे मुख्यमंत्री बैठे हैं जो केवल अपने नाटकीय कार्यों के लिए चर्चा में रहते हैं. एक नाटक खत्म नही हुआ कि दूसरा तैयार हो जाता है. जबसे दिल्ली के मुख्यमंत्री का पदभार केजरीवाल संभाले हैं, हर रोज कुछ न कुछ बवाल केंद्र सरकार पर बेजा आरोप लगा कर खड़ा कर देते हैं. दिल्ली की जनता ने भी कभी नहीं सोचा होगा कि हम जिस व्यक्ति को मुख्यमंत्री पद की कमान सौंप रहे हैं, वो व्यक्ति अपना समय दिल्ली के विकास में न देकर व्यर्थ के मुद्दों पर देगा.
दरअसल, शनिवार को दिल्ली के विधायक दिनेश मोहनिया को पुलिस ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान ही गिरफ्तार कर लिया. उनके ऊपर एक महिला से बदसलूकी का आरोप है. पुलिस द्वारा दो बार नोटिस देने के बावजूद मोहनिया इस ने इस नोटिस का कोई जवाब नही दिया. उसके बाद पुलिस ने मोहनिया पर उक्त कार्यवाई की. गिरफ्तारी की जैसे ही खबर आई केजरीवाल बौखला गये और एक के बाद एक ट्वीट कर इस गिरफ्तारी की तुलना आपातकाल से कर दी.
Modi declares emergency in Delhi. Arresting, raiding, terrorizing, filing false cases against all those whom Delhi elected
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) June 25, 2016
इमरजेंसी की याद के दिन दिल्ली में अघोषित इमरजेंसी। मोदी जी! हम सबको ऐसे फर्जी आरोपों में जेल में डाल दोगे तब भी हम नहीं झुकने वाले।
— Manish Sisodia (@msisodia) June 25, 2016
सवाल खड़ा होता है कि महिला से बदसलूकी के मामले में गिरफ्तारी आपातकाल है? सवाल की तह में जाने से पहले हमें थोड़ा उस कालखंड में जाना होगा जब केजरीवाल चुनाव प्रचार में लगे थे. तब महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को लेकर लंबी-लंबी बातें किया करते थे. लेकिन आज केजरीवाल महिला के साथ बदसलूकी करने वाले विधायक से समर्थन में खड़ें हैं.
ये पहला ऐसा मुद्दा नही हैं जहां केजरीवाल ने हंगामा किया हो. उनके हंगामे की एक लंबी फेहरिस्त है. खैर, इससे पहले जब सोमनाथ भारती पर महिला उत्पीड़न का केस दर्ज हुआ था, तब भी केजरीवाल समेत आम आदमी पार्टी अंत तक सोमनाथ के समर्थन में आवाज़ बुलंद करती रही. बाद में हक़ीकत सामने आने के बाद औंधे मुंह गिरे.
अब मोहनिया पर जब एक महिला से बदसलूकी जैसे गंभीर आरोप लगे हैं, ऐसे में आपातकाल का जिक्र कर अपने विधायक का बचाव करना न केवल केजरीवाल के महिला सुरक्षा के वादों और दावों पर गंभीर सवाल खड़े करता है बल्कि उनकी अलग तरह की राजनीति के पाखंड को भी सामने लाता है.
मोहनिया को गिरफ्तार कर ले जाती पुलिस (फोटो क्रेडिट-IANS) |
अभी ये मामला शांत भी नहीं हुआ था कि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के ऊपर भी एक व्यापारी को धमकाने का आरोप लगा है. हालांकि अभी कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई है. फिर भी उतावलेपन में मनीष सिसोदिया अपने विधायकों को इकट्टा कर प्रधानमंत्री आवास की तरफ गिरफ्तारी देने के लिए जाने लगे.
कितनी हास्यास्पद स्थिति है. जिसके ऊपर केस दर्ज हुआ है उस विधायक को समूची पार्टी बचा रही है और जिसपर कोई केस दर्ज नहीं वो थाने की बजाय प्रधानमंत्री आवास गिरफ्तारी देने जा रहा. इस प्रकार से ढोंग के जरिये केजरीवाल जनता को मुख्य मुद्दे से भटकाने का प्रयास कर रहें हैं. एक अलग तरह की राजनीति का दावा कर राजनीति में आने वाली इस पार्टी को लेकर कभी कल्पना भी नही की गई होगी कि ये पार्टी इस तरह की विचित्र राजनीति करेगी.
देश में और भी मुख्यमंत्री हैं जिनका राजनीतिक विरोध अपनी जगह है. लेकिन, वे सब संघीय ढाचें का सम्मान करते हैं. उसकी मर्यादाओं मे रहते हैं. केजरीवाल ने इन सब मर्यादाओं को ताक पर छोड़ दिया है. राजनीतिक लोभ और ईर्ष्या से ग्रस्त केजरीवाल को अपने मुख्य मुद्दों पर भी ध्यान देने चाहिए. उन सपनों को भी याद रखना चाहिए जो उन्होंने दिल्ली की जनता को दिखाए हैं. कब तक ये रोना रोते रहेंगे कि मोदी जी काम नहीं करने दे रहे हैं. सवाल यह भी कि आप कर क्या रहे है?
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