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Updated: 21 मई, 2015 04:36 AM
न्यूजफ्लिक्स
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आम आदमी पार्टी के बॉस अरविंद केजरीवाल इन दिनों सबसे‌ भिड़ क्यों रहे हैं? पहले पार्टी में उलझे रहे और अब दिल्ली के उपराज्यपाल. मामले केवल यही दो नहीं हैं. लेकिन सबसे अहम बात ये है कि यह सियासी नासमझी है या प्रशासनिक सुधार की संजीदा कोशिश.

कौन है बॉस?

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दिल्ली के उप राज्यपाल नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बीते कुछ वक्‍़त से लगातार लड़ रहे हैं. इसकी शुरुआत हुई लोकसभा चुनावों के बाद जब आम आदमी पार्टी विधानसभा भंग कराना चाहती थी, लेकिन उप राज्यपाल इसके लिए तैयार नहीं हुए. केजरीवाल ने तब जंग के भाजपा के इशारों पर काम करने का आरोप लगाया था.

नौकरशाहों से झगड़ा

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इस लड़ाई में अब दिल्ली के नौकरशाह भी फंस गए हैं. केजरीवाल का कहना है कि उनकी सरकार के पास नौकरशाह नियुक्त करने का अधिकार है और उन्होंने दस दिन के लिए शकुंतला गैमलिन की नियुक्ति से मना कर दिया. उन्होंने गैमलिन पर कारोबारी समूहों के लिए काम करने का आरोप लगाया और दूसरे वरिष्ठ अफसर के दफ्तर में ताला लगवा दिया.

आरोप जारी हैं...

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शुरुआती मोहब्बत के बाद अब केजरीवाल और मीडिया के बीच भी नहीं पट रही. आम आदमी पार्टी के खिलाफ हुए कई स्टिंग के बाद अब मीडिया केजरीवाल और उनकी पार्टी की आंखों की किरकिरी बन गया है. उन्होंने टीवी चैनलों पर आप विरोधी होने का आरोप भी लगाया है.

पुलिस पर लगाम

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आम आदमी पार्टी चाहती है कि दिल्ली पुलिस राज्य सरकार के अधीन हो, लेकिन यह बहुत जल्द होने वाला नहीं. दिल्ली पुलिस केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन ही रहेगी. केजरीवाल जब पहली बार मुख्यमंत्री बने थे, ये लड़ाई तब से जारी है. दिल्ली में आप रैली के दौरान गजेंद्र सिंह की मौत के बाद यह दुश्मनी और बढ़ गई है.

केंद्र ज़िम्मेदार है

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ज़ाहिर है, दिल्ली में केंद्र और दिल्ली सरकार, दोनों बैठती हैं, ऐसे में एक-दूसरे पर ज़िम्मेदारी डाले जाना भी स्वाभाविक है. और अगर दो विरोधी दल सत्ता में हों तो यह लड़ाई और तीखी हो जाती है. हाल में केजरीवाल ने भाजपा और केंद्र सरकार पर तख्‍़तापलट तक का इल्ज़ाम लगा दिया है.

दोस्त भी पराए हुए

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पिछले साल तक योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण आम आदमी पार्टी का प्रमुख चेहरा हुआ करते थे. लेकिन तब से अब तक यमुना में काफी पानी बह चुका है. पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में उन्हें बाहर कर दिया गया.

बड़े कारोबार से झगड़ा

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सोशलिस्ट सियासत का सबसे बड़ा हथियार है, हर चीज़ के लिए बड़े कारोबारियों पर इल्ज़ाम लगाना. आम आदमी पार्टी ने इसकी शुरुआत दिल्ली में तीन बिजली कंपनियों से की. अडानी और अंबानी के पीछे वो पहले से पड़े हैं.

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