बंगाल की ममता सरकार कुछ सामाजिक योजनाओं को पर्दे में रखकर क्यों चलाना चाहती हैं?
आरटीआई के द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत की प्रमुख संस्था नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) पश्चिम बंगाल की अहम सामाजिक कल्याण योजनाओं का लेखा परीक्षण नहीं कर सकी है.
-
Total Shares
पश्चिम बंगाल की ममता सरकार नरेंद्र मोदी को कोसने का कोई मौका नहीं छोड़ती है. केंद्र सरकार पर आए दिन लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाने वाली ममता बैनर्जी स्वयं कठघरे में खड़ी नज़र आ रही हैं. आरटीआई के द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत की प्रमुख संस्था नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) पश्चिम बंगाल की अहम सामाजिक कल्याण योजनाओं का लेखा परीक्षण नहीं कर सकी है.
राज्य सरकार ने कभी सीधे-सीधे सीएजी को ऑडिट करने से रोका तो नहीं परंतु सरकारी असहयोग के चलते सीएजी को कुछ सामाजिक कल्याण की योजनाओं का डेटा नहीं उपलब्ध कराया गया. इसके फल स्वरूप कुछ विभागों में लेखा परीक्षण नहीं किया जा सका.
पश्चिम बंगाल सरकार इन सब योजनाओं की जानकारी छुपा क्यों रही है?
पश्चिम बंगाल महिला एवं बाल विकास और सामाजिक कल्याण विभाग से सीएजी ने राज्य की कन्याश्री योजना के विषय में जानकारी मांगी थी. गोपनीयता और सुरक्षा का हवाला देते हुए विभाग के संयुक्त सचिव ने उचित दस्तावेज़ प्रदान करने से माना कर दिया. कई बार आग्रह करने पर भी विभाग की ओर से कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई.
ममता बनर्जी सरकार ने राशन कार्ड के डिजिटलीकरण के विषय में भी सीएजी को उचित जानकारी नहीं दी. 2 सितंबर 2016, 13 दिसंबर, 2016, 30 मार्च 2017 को खाद्य और आपूर्ति विभाग के विभिन्न अधिकारियों के साथ पत्राचार कर प्रासंगिक जानकारी का आग्रह किया गया. इस बार भी सरकार के तरफ से निराशा पूर्ण व्यवहार देखा गया.
सीएजी ने यह भी उल्लेख किया है कि राज्य सरकार से पत्राचार और अनुस्मारक के बावजूद विभिन्न सरकारी विभागों में ई-खरीद पर राज्य सरकार द्वारा जानकारी प्रदान नहीं की गई. इस वजह से, सीएजी इन योजनाओं का लेखा परीक्षा नहीं कर सका.
यह सारी जानकारी सीएजी ने आरटीआई के माध्यम से प्रदान की है. सीएजी एक गैर राजनैतिक, सरकारी संस्था है. सीएजी द्वारा उपलब्ध इस जानकारी को ममता सरकार भी नकार नहीं सकती. प्रश्न उठता है कि राज्य सरकार इन सब योजनाओं की जानकारी छुपा क्यों रही है? बार बार पूछने पर भी राज्य सरकार कोई जवाब नहीं देती है. इसका क्या मतलब निकाला जाए? क्या इन योजनाओं में कोई अनियमितता है? क्या कोई भ्रष्टाचार हुआ है जिसे छुपाया जा रहा है?
इन सब सवालों के जवाब ममता सरकार को देने चाहिए. राजनीति और सरकारी कामकाज में जितनी ज़्यादा पारदर्शिता आएगी उतना ही समाज जागरूक बनेगा. ममता सरकार को भी इस पारदर्शिता के अभियान में अपना सहयोग करना चाहिए.
ये भी पढ़ें-
आपकी राय