NCERT ने आखिर क्यों भुलाया स्वतंत्रता सेनानियों को?
अगर आपके बच्चों को देश के लिए अपना खून बहाने वाले लोगों के बारे में कोई जानकारी ही न मिल पाए तो हैरान मत होइएगा क्योंकि NCERT ने इतिहास की किताबों से कई महान स्वतंत्रता सेनानियों का जिक्र ही हटा दिया है.
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भले ही आप देश को आजाद कराने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की वीरता की दास्तां स्कूल की किताबों में पढ़कर बड़े हुए हों और उन जानकारियों ने आपको देशभक्त बनाया हो लेकिन हो सकता है कि आपके बच्चों को अपने इतिहास और अपने प्राण न्योछावर करके देश के लिए अपना खून बहाने वाले लोगों के बारे में कोई जानकारी ही न मिल पाए. जी हां, आपके बच्चे अपने स्कूलों में जिस NCERT (नेशनल काउंसिल ऑफ एजूकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग) की किताबें पढ़ते हैं उसने देश की इन महान हस्तियों को ही अपने सिलेबस से लगभग बाहर कर दिया है या फिर उनका नाममात्र का जिक्र किया है. देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश वाली ये घटना निराश करने वाली है.
NCERT ने देश की महान विभूतियों को भुलायाः
NCERT की इतिहास की किताबों में देश के महान व्यक्तियों का जिक्र नदारद है और इसकी जगह क्रिकेट और कपड़ों के बारे में जानकारियां दी गई हैं. जयपुर के सूर्यप्रताप सिंह राजावत ने इस बात के लिए आरटीआई दाखिल की. उनकी याचिका सेंट्रल इंफॉर्मेशन कमिशन (CIC) यानी कि केंद्रीय सूचना आयोग के कमिश्नर श्रीधर अचार्यालू तक पहुंची. जिसके बाद CIC ने स्वामी विवेकानंद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसी महान विभूतियों के साथ ही आजादी की लड़ाई से जुड़े रहे 36 अन्य महत्वपूर्ण नेताओं के बारे में इतिहास की किताबों में जानकारियों को कम कर देने के मामले में NCERT को नोटिस भेजा और जवाब मांगा.
राजावत ने CIC को भेजी अपनी शिकायत में दावा किया है कि चंद्रशेखर आजाद, अशफाकउल्ला खान, बटुकेश्वर दत्त, राम प्रसाद बिस्मिल जैसे 36 महान नेताओं और क्रांतिकारियों का जिक्र NCERT की इतिहास की किताबों से पूरी तरह गायब है. इतना ही नहीं राजावत के मुताबिक स्वामी विवेकानंद के बारे में कक्षा-12 की किताबों में 1250 शब्दों के उल्लेख को समेटकर महज 37 शब्दों का कर दिया गया है जबकि आठवीं कक्षा की किताबों से को विवेकानंद को पूरी तरह गायब ही कर दिया गया है. ऐसा ही सलूक NCERT ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ भी किया है.
राजावत के दावे के मुताबिक 2007 से पहले नेताजी के बारे में आठवीं कक्षा की किताबों में 500 शब्दों और 12वीं कक्षा की किताबों में 1250 शब्दों का जिक्र था, जोकि अब 12वीं कक्षा की किताबों में सिमटकर महज 87 शब्दों का ही रह गया है और आठवीं कक्षा की किताबों में तो नेताजी का जिक्र ही नहीं है. CIC के सामने सुनवाई के दौरान राजावत ने कहा कि स्कूल की किताबों में क्रिकेट और फ्रैबिक के लिए 37 पेज रखना और स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में नहीं बताना ठीक नहीं है.
उम्मीद है कि हमें खुली हवा में सांस लेने का अवसर मुहैया कराने वाले देश के महान सपूतों को भुला देने की भूल को NCERT जल्द ही सुधार लेगी.
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