जिन्हें संघ फूटी आंख नहीं सुहाता वे भी शाखा लगाने को इतने आतुर क्यों हैं
लालू प्रसाद के बेटे का संघ और कांग्रेस नेता असलम शेर खान का संघ कौन सी लाइन लेगा ये तो अभी साफ नहीं है, लेकिन इतना तो लगता है कि विरोधी भी अब संघ के प्रभाव में आने लगे हैं.
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हर किसी की कामयाबी का एक खास दौर होता है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ फिलहाल ऐसे ही दौर से गुजर रहा है. केंद्र में उसके पॉलिटिकल विंग बीजेपी की सरकार है - और देश की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाने वाले यूपी में अभी अभी उसे भारी कामयाबी मिली है.
संघ अभी तक विरोधियों के निशाने पर ही रहा है लेकिन अब तो वे उसी की राह पर चलने की बात कर रहे हैं.
आरजेडी का संघ
जब आरएसएस का ड्रेस बदला नहीं था, बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने सवाल उठाया था - ये बूढ़े बूढ़े लोग हाफ पैंट पहन कर घूमते हैं उन्हें शर्म नहीं आती? खैर, अब संघ हाफ से फुल पैंट पर जा चुका है और राबड़ी देवी आगे से शायद ही ऐसा कोई कमेंट कर पाएंगी. ऐसा इसलिए क्योंकि उनके बड़े बेटे तेज प्रताप यादव आरएसएस की तर्ज पर अपना संगठन डीएसएस यानी धर्मनिरपेक्ष सेवक संघ बना चुके हैं.
लाठी का दम...
तेज प्रताप का दावा है कि उनके डीएसएस का विस्तार भी आरएसएस की तरह पूरे देश में होगा - और यही संगठन संघ और यूपी के सीएम आदित्यनाथ योगी के हिंदू युवा वाहिनी का डट कर मुकाबला भी करेगा, 'हम आरएसएस की मनमानी नहीं चलने देंगे.'
पहले तो तेज प्रताप सर्व धर्म समभाव की बात करते हैं लेकिन घूम फिर कर आरक्षण पर ही पहुंच जाते हैं. तेज प्रताप का कहना है, 'डीएसएस आरक्षण के मुद्दे पर आरएसएस को खदेड़ देगा. आरक्षण हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है.'
कांग्रेस का संघ
बिहार के बाद संघ की तर्ज पर दूसरा संगठन मध्य प्रदेश में बनाने का ऐलान हुआ है. पूर्व ओलंपियन और कांग्रेस के सीनियर नेता असलम शेर खान ने संघ की तरह आरसीएसएस यानी राष्ट्रीय कांग्रेस स्वयंसेवक संघ बनाने की घोषणा की है. बताया गया है कि इससे उन लोगों को जोड़ा जाएगा, जो कांग्रेस की विचारधारा से इत्तफाक रखते हैं.
नये संगठन के बारे में असलम शेर खान ने कहा, ‘आरएसएस ने पूरे देश में अपना प्रभाव फैलाया है और वो बीजेपी के लिए काम करता है, मगर हमारा संघ धर्मनिरपेक्ष लोगों का संघ होगा, और वास्तव में यह देश का संघ होगा.’
किसी के जैसा बनना या अपनी किसी चीज को किसी के जैसा बनाना जताता तो यही है कि उसकी अहमियत बढ़ रही है. इसके पीछे एक वजह तो ये हो सकती है कि कॉपी करने वाला पक्ष भी उसी रास्ते कामयाबी की मंजिल पर पहुंचना चाहता हो. या फिर, दूसरी थ्योरी है कि किसी को काउंटर करना हो तो पहले उसके जैसा बनो और फिर उसी के दांव से उसे खत्म करने की कोशिश करो.
अब लालू प्रसाद के बेटे का संघ और कांग्रेस नेता असलम शेर खान का संघ कौन सी लाइन लेगा ये तो अभी साफ नहीं है, लेकिन इतना तो लगता है कि विरोधी भी अब संघ के प्रभाव में आने लगे हैं.
ऐसा भी नहीं है कि संघ जैसा संगठन किसी पार्टी के पास नहीं है. कांग्रेस के पास सेवा दल है, साथ ही छात्रों के लिए राष्ट्रीय छात्र संगठन और नौजवानों के लिए युवक कांग्रेस भी. संघ के पास भी बीजेपी के अलावा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और मजदूर संघ जैसे कई सहयोगी संगठन हैं. जहां तक आरएसएस और सेवा दल में फर्क की बात है तो संघ बीजेपी की मातृ संस्था है जबकि सेवा दल की मातृ संस्था कांग्रेस पार्टी है. इसी तरह डीएसएस भी आरजेडी का नया फ्रंट है.
कांग्रेस वाले संघ के बारे में बताया गया है कि उसका कोई यूनिफॉर्म नहीं होगा, लेकिन आरजेडी वाले संघ के बारे में कहा गया कि बिलकुल वैसा ही होगा.
जब नये संगठन संघ की तरह ही बनेंगे और फलेंगे फूलेंगे तो जाहिर है उसकी शाखायें भी लगेंगी - फिर देखना होगा शाखाओं के बारे में संघ के विरोधी क्या कहते हैं?
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