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Updated: 17 जुलाई, 2015 05:23 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
  @msTalkiesHindi
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क्या भारत को लेकर सलमान रुश्दी के विचार बदल गए हैं? हाल तक जिन बातों से वो इत्तेफाक रखा करते रहे, अब एकाएक उन्होंने तौबा कर ली है.

दिलचस्प बात ये है कि सलमान रुश्दी ने अपने ट्वीट में जिस अकाउंट (@RushdieExplains) का जिक्र किया है बीते दौर में खुद ही वो उसकी तारीफ कर चुके हैं.

सलमान रुश्दी के नाम पर ये पैरोडी अकाउंट इस बिना पर शुरू हुआ कि अगर रुश्दी भारतीय राजनीति पर कटाक्ष करते तो वो कैसा होता? बाद में इस आइडिया पर रुश्दी ने खुद मुहर लगा दी. इस पैरोडी अकाउंट को चलाने वाले कैलिफोर्निया की सैंटा क्लारा यूनिवर्सिटी में मीडिया स्टडीज के प्रोफेसर रोहित चोपड़ा को बाकायदा मेल भेज कर रुश्दी ने सराहना की थी.

खैर, चोपड़ा ने अब इसका नाम @RushdieExplains से बदल कर @IndiaExplained कर दिया है. टाइमलाइन पर इसका औपचारिक एलान भी किया गया है.

बानगी के तौर पर आइए कुछ ट्वीट पर नजर डालते हैं. ये ट्वीट उस दौर के हैं जब रुश्दी का नाम इससे जुड़ा हुआ था.

अब एक नजर उन टिप्पणियों पर जिन्हें हाल फिलहाल ट्वीट किया गया. अमित शाह का एक बयान आया कि 25 साल में भारत विश्व गुरु बन जाएगा. विपक्ष ने इसे 25 साल बाद अच्छे दिन का जुमला बता दिया. देखते ही देखते पक्ष और विपक्ष दोनों ने सोशल मीडिया पर मोर्चा संभाल लिया. बाद में बीजेपी को इस मामले पर सफाई भी देनी पड़ी. इस पर इस हैंडल से दो ट्वीट खास तौर पर जिक्र के काबिल हैं.

अब सवाल ये उठता है कि जिन बातों को अब तक रुश्दी 'बाय द वे' एनडोर्स करते रहे, मेल भेज कर तारीफ करते रहे - वो बातें अचानक उन्हें थकाऊ क्यों लगने लगीं? वैसे भी रुश्दी को किसी बात की शायद ही कभी परवाह रहती हो. जिस किसी भी मुद्दे पर उन्हें बोलना होता है खुल कर बोलते हैं. शायद इतना खुल कर कि उस पर विवाद होना भी तकरीबन तय ही होता है. रुश्दी ने अंग्रेजी साहित्य को एक से ज्यादा मास्टरपीस दिए हैं जो अपने आप में बेमिसाल हैं, लेकिन ज्यादा चर्चित वो विवादों के चलते रहते हैं, बनिस्बत अपनी कृतियों के मुकाबले.

जो भी हो. इस व्यंग्यात्मक प्रयोग का इससे बेहतर और खुशनुमा अंत शायद ही कुछ और होता. ये ट्वीट इस बात के सबूत हैं.

लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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