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Updated: 07 जुलाई, 2015 04:49 PM
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लगातार तीसरे दिन तीसरी मौत. मध्य प्रदेश का व्यापम घोटाला ऐसा ही आदमखोर शक्ल अख्तियार कर चुका है.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चौतरफा घिरे हुए हैं, लेकिन वो खुद को ही व्हिसल ब्लोअर साबित करने पर आमादा हैं. शिवराज का दावा है कि जांच के लिए तो वो खुद ही इनिशिएटिव ले रहे हैं.

फिलहाल व्यापम घोटाले की जांच हाई कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी की निगरानी में राज्य की एसटीएफ कर रही है. ऐसे में जबकि इतने बड़े पैमाने पर मौतें हो रही हों, आखिर, शिवराज के सीबीआई जांच से परहेज करने के क्या कारण हो सकते हैं?

1. सीएम शिवराज सिंह चौहान का दावा है कि व्यापम घोटाले की जांच में खुद उनकी दिलचस्पी है क्योंकि वो भी चाहते हैं सिस्टम से गंदगी साफ हो. अब अगर दबाव में आकर जांच का जिम्मा वो सीबीआई को सौंपते हैं तो इसका मैसेज उनकी सरकार के खिलाफ जाएगा. शिवराज को डर है कि ऐसा होने पर अब तक जो भरोसा कायम है वो पूरी तरह खत्म हो जाएगा.

2. मुख्यमंत्री हाई कोर्ट के नाम पर भी सीबीआई जांच से बच निकलने की कोशिश कर रहे हैं. शिवराज का कहना है कि जब हाई कोर्ट की देख रेख में एसआईटी जांच कर रही है तो भला वो क्यों सीबीआई जांच की संस्तुति करने जाएं. उनका कहना है कि अगर हाई कोर्ट चाहेगा तो वो सीबीआई जांच की आदेश दे सकता है.

3. इतिहास तो यही बताता है कि सीबीआई के नाम पर केंद्र की सत्ता जिसके हाथ में होती है वो राज्यवालों को उंगलियों पर नचाता रहा है. ये बात जगजाहिर है कि शिवराज एंटी-मोदी कैंप से आते हैं. ऐसा होने पर शिवराज को मोदी के कोपभाजन का खामियाजा भुगतने का डर भी हो सकता है.

4. व्यापम घोटाले में शिवराज के करीबी अफसरों, पार्टी और मंत्रिमंडलीय सहयोगियों से लेकर आरएसएस नेताओं तक पर संदेह की उंगली उठती रही है. ऐसे में हो सकता है शिवराज पर ऊपर से लेकर नीचे तक हर तरफ से सीबीआई जांच से बचने का दबाव हो. इसलिए भी वो सीबीआई जांच से परहेज कर रहे हो सकते हैं.

5. सीबीआई को सुप्रीम कोर्ट से भले ही तोता का खिताब मिल चुका हो. विपक्ष केंद्र की सरकार पर सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप भले ही लगाता रहा हो. फिर भी, जब भी कहीं कोई घटना होती है मांग सहज तौर पर सीबीआई जांच की उठती है. लोगों का सीबीआई पर ही भरोसा टिकता है. हो सकता है शिवराज को लगता हो कि अगर उन्होंने एक बार सीबीआई जांच की संस्तुति कर दी तो मामला उनके हाथ से निकल जाएगा.

टीवी टुडे के पत्रकार अक्षय सिंह की मौत के बाद केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने भी निष्पक्ष जांच कराने पर जोर दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह इस मामले को लेकर पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दे चुके हैं.

सोशल मीडिया पर भी लोग सुप्रीम कोर्ट से मामले पर खुद संज्ञान लेते हुए अपनी देख रेख में जांच की मांग कर रहे हैं. मौजूदा परिस्थियों में अब काफी कुछ सुप्रीम कोर्ट के रुख पर ही आ टिका है.

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