राजनीतिक चक्रव्यूह में सर्जिकल स्ट्राइक
अगर सरकार सर्जिकल स्ट्राइक का श्रेय लेती है तो इसमें गलत क्या है? क्या इंदिरा गांधी ने ऐसा नहीं किया था...
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भारतीय राजनीति का स्तर कितना गिरा है इसका अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि हमारे राजनेता सेना से जुड़े संवेदनशील मुद्दे पर भी राजनीति करने से बाज़ नहीं आते हैं. सेना द्वारा किये गये सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर सियासत इतनी गर्म हो गई है कि सेना के शौर्य का प्रमाण माँगा जा रहा है. श्रेय लेने –देने की होड़ में हमारे सियासतदान सेना को दावं पर लगाने जैसी ओछी राजनीति करनें में तूले हुए हैं. एक राजनेता सर्जिकल स्ट्राइक के सुबूत मांग रहा है तो एक पार्टी अपनी हुकुमत के समय हुई सर्जिकल स्ट्राइक को याद दिला रही है. कांग्रेस का कहना है कि उनकी सरकार के समय भी सेना ने कई दफे सर्जिकल स्ट्राइक किये थे मगर सेना से जुड़े कई अधिकारियों समेत वर्तमान रक्षा मंत्री ने कांग्रेस के इस दावें को झूठा बताया है.
अजीब बिडम्बना है सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर इतना वितंडा विपक्षी नेता खड़े करेंगें किसी ने नही सोचा था. सरकार को इस सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारतीय जनमानस के साथ वैश्विक पटल पर भी सराहना मिली रही है. इससे विपक्ष की बौखलाहट लाज़मी है. गौरतलब है कि उरी आतंकी हमले के बाद से देश बड़ी आशा की निगाह से सरकार पर ध्यान लगाए बैठा था कि सरकार जवानों की शाहदत बेकार नहीं जाने देगी. उसके बाद से सरकार की तरफ से जो बयान आये उससे लगने लगा था कि सरकार की रणनीति अब पाक को धूल चटाने की है. हुआ भी वही साथ में डीजीएमओ ने भी स्पष्ट किया था कि सेना उचित समय का इंतजार कर रही है.
फिर कुछ ही दिनों बाद यानी पिछले महीने 28-29 की मध्य रात भारतीय सेना ने गुलाम कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक किया था. कई आतंकी कैपों को ध्वस्त कर अपने शौर्य का परिचय दिया. यह सर्जिकल स्ट्राइक करने में भारत पूरी तरह सफल रहा था. इसके बाद देश को लंबे अंतराल के बाद बड़ी ख़ुशी मिली थी. देश उत्साह में डूबा हुआ था. सभी एक सुर में सरकार और सेना की तारीफ़ कर रहे थे. इसका श्रेय सेना और सरकार को देने में किसी ने भी देरी नहीं की. विपक्षी दलों ने सेना के साथ ही सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने की बात कही. लेकिन बदलते परिदृश्य को देखते हुए विरोधी नेताओं ने अपनी ओछी राजनीति करनी शुरू कर दी.
सर्जिकल स्ट्राइक पर राजनीति कैसीऍ |
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सर्जिकल स्ट्राइक के सुबूत पेश करने की बात कही जो निहायत ही दोयम दर्जे की सोच को दर्शता है. सवाल उठाना लाजमी है कि क्या केजरीवाल को सेना की बातों पर भरोसा नहीं है? गौरतलब है कि कांग्रेस के एक नेता ने तो इस सर्जिकल स्ट्राइक को ही झूठा बता दिया बाकी रही सही कसर राहुल गाँधी ने अपनी छिछले बयानबाजी के जरिये दर्शा दिया. सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर सवाल खड़ा करने वाले विरोधी नेता यह कहकर बच नहीं सकते कि सरकार इसका श्रेय ले रही है, इनके भीतर जो दोयम दर्जे की राजनीति चल रही उसका खुलासा होना जरूरी है.
विपक्षियों के क्षुद्र राजनीति को देखकर कई सवाल जहन में खड़े हो रहें हैं. पहला सवाल सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल खड़े करने का मकसद क्या है? क्या सेना के अधिकारिक बयान पर इन्हें भरोसा नहीं है? बहरहाल, देश के लिए यह सुखद अवसर था जब हमारी सेना ने पाक को उसी की भाषा में मुंहतोड़ जवाब देकर हर भारतीय का सीना चौड़ा कर दिया था तो फिर आखिर ये कौन लोग हैं जिनका सीना इस सैन्य कार्यवाही से सिकुड़ रहा है?
कांग्रेस बार–बार आरोप लगा रही है कि मोदी सरकार इस सर्जिकल स्ट्राइक का श्रेय ले रही है. वहीँ दूसरी ओर उनके एक नेता इस सैन्य कार्यवाही को झूठा बता चुके हैं. इस तरह कांग्रेस में ही बड़ा विरोधाभास सामने आ रहा है. दरअसल इन सैन्य कार्यवाही के बाद देश की जनता ने सरकार की रणनीति और सेना के पराक्रम की जमकर तारीफ करनी शुरू कर दी थी. यह तारीफ विपक्षी दलों समेत सेकुलर के झंडाबरदारों का जायका खराब करने वाला था. इससे हताश विरोधी तरह–तरह के झूठ व भ्रम फैलाने का प्रयास करने लगे. इसमें कोई दो राय नहीं है कि सर्जिकल स्ट्राइक सेना और सरकार के बीच अच्छे सामंजस्य का परिणाम था.
इसके श्रेय की जहाँ तक बात है मोदी सरकार ने भी इसको कई बार स्पष्ट किया है कि इसका श्रेय सेना को जाता है. वहीँ सरकार की इस नीति की भी सराहना होनी चाहिए कि उसने देश की जनता को देश की सुरक्षा के प्रति आश्वस्त करने के साथ–साथ सेना के मिजाज़ को भी पढ़ा, उसके हाथ से परमिशन की बेड़ियों को तोड़ा.
दूसरी बात अगर सरकार सर्जिकल स्ट्राइक का श्रेय लेती है तो इसमें गलत क्या है? कांग्रेसी यह क्यों भूल जा रही है कि 1971 के युद्ध उपरांत इंदिरा गाँधी ने विजय युद्ध का लाभ लेने के लिए यूपी–बिहार के विधानसभा चुनाव समय से पहले करवा दिए थे. इससे बड़ा जीते हुए युद्ध का राजनीतिक लाभ और भला क्या हो सकता है? खैर, इस क्रम में सफल सैन्य कार्यवाही, सरकार को मिल रही वाहवाही से परेशान कांग्रेस अपने जमाने के झूठी सर्जिकल स्ट्राइक का हवाला दे रही है.
कांग्रेस को यह समझना होगा कि उसके निम्न स्तर की मानसिकता को देश अब समझ चुका है, कांग्रेस से आये बयान से ही बड़ा सवाल यह भी खड़ा होता है कि अगर श्रेय लेने की होड़ नहीं है तो कांग्रेस झूठी सर्जिकल स्ट्राइक की दलील देकर जताना क्या चाहती है? क्या यह ओछी किस्म की घटिया राजनीति नहीं है? कांग्रेस के सर्जिकल स्ट्राइक के दावों की हवा उसी वक्त निकल गई जब पूर्व सेना प्रमुख के साथ–साथ पूर्व डीजीएमओ विनोद भाटिया ने कांग्रेस के इस दावों की हवा निकालते हुए स्पष्ट कहा कि इससे पहले इस प्रकार की कोई बड़ी सैन्य कार्यवाही नहीं हुई है. सीमा पर छिटपुट कार्यवाही होती रहती है. वहीँ इस तरह झूठी सर्जिकल स्ट्राइक का हवाला देकर कांग्रेस ने देश को गुमराह करने का कुत्सित प्रयास किया है लेकिन अधिकारियों के बयानों ने उसकी राजनीति सोच के स्तर को जरुर दर्शा दिया है.
इस प्रकार सेना को लेकर भी कोरे झूठ फ़ैलाने पर कांग्रेस निर्लज्जता भर्त्सना योग्य है.
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