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Updated: 24 मार्च, 2022 03:54 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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राजधानी दिल्ली में हुए सीएए विरोधी सांप्रदायिक दंगों में 'बड़ी साजिश' रचने के लिए कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इनमें से एक नाम जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर खालिद का भी है. उमर खालिद के मामले में 24 मार्च को कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए की जमानत याचिका खारिज कर दी है. गौरतलब है कि बीते एक महीने में उमर खालिद की जमानत याचिका पर फैसला तीन बार टाला गया था. जमानत याचिका पर फैसला पहले 14 मार्च को आना था. लेकिन, इसे 21 मार्च के लिए टाल दिया गया. वहीं, 21 मार्च को कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत जमानत याचिका पर फैसला सुनाने वाले थे. लेकिन, अभियोजन पक्ष द्वारा लिखित नोट दाखिल करने के बाद इसे 24 मार्च तक के लिए टाल दिया गया था. आइए जानते हैं कि उमर खालिद के मामले और जमानत याचिका से जुड़ी सभी जानकारियां...

Umar Khalid Bail In Delhi Riotsबीते एक महीने में उमर खालिद की जमानत याचिका पर फैसला तीन बार टाला गया था.

उमर खालिद कब से जेल में बंद है?

दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों की साजिश रचने के आरोपों में जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद को 13 सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था. जिसके बाद उमर खालिद को 10 दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था.

उमर खालिद पर क्या आरोप हैं?

दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद को सीएए विरोधी प्रदर्शनों में भड़काऊ भाषणों के जरिये उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों की 'बड़ी साजिश' रचने का आरोप लगाया था.

कौन-कौन सी धाराएं हैं?

दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद पर आतंकवाद विरोधी कानून - गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी यूएपीए (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया है. इसके साथ ही आपराधिक साजिश, दंगे करवाने की साजिश, सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने की साजिश रचने के लिए आईपीसी की धाराओं में भी मामला दर्ज किया था. अभियोजन पक्ष के अनुसार, उमर खालिद देश में हुए सांप्रदायिक दंगों के मुख्य साजिशकर्ता में एक है. और, उसने दंगे भड़काने और देश में अशांति फैलाने का भरपूर प्रयास किया. उमर खालिद के खिलाफ एफआईआर में यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, आर्म्स एक्ट की धारा 25 और 27 और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम, 1984 की धारा 3 और 4 समेत गंभीर आरोप हैं. साथ ही

कितनी सजा का प्रावधान है?

अगर किसी शख्स पर UAPA के तहत केस दर्ज हुआ है, तो उसके पास अग्रिम जमानत लेने का अधिकार नहीं होता है. यूएपीए कानून के सेक्शन 43D (5) के अनुसार, अगर आरोपी के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है, तो कोर्ट उसे जमानत नहीं दे सकती है. यूएपीए कानून के तहत आजीवन कारावास तक की सजा मिल सकती है. वहीं, आईपीसी की अन्य धाराओं के लिए भी कारावास की सजा निर्धारित है.

उमर खालिद के वकील ने जमानत के लिए दिए क्या तर्क?

जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान उमर खालिद के वकील त्रिदीप पायस ने कोर्ट के सामने दलील देते हुए दिल्ली पुलिस की ओर से दर्ज किए गए यूएपीए के मामले को मनगढ़ंत करार दिया है. उमर खालिद के वकील का कहना है कि कुछ न्यूज चैनलों द्वारा चलाई गई वीडियो क्लिप के आधार पर उमर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. त्रिदीप पायस ने यूएपीए मामले में दिल्ली पुलिस की ओर से दायर की गई चार्जशीट को वेब सीरीज 'फैमिली मैन' की स्क्रिप्ट बताते हुए कहा था कि आरोपों का समर्थन करने के लिए पुलिस के पास कोई सबूत नही है. त्रिदीप पायस ने उमर खालिद के पक्ष में तर्क देते हुए कहा था कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन धर्मनिरपेक्ष था. उमर खालिद के वकील ने दिल्ली पुलिस द्वारा दायर चार्जशीट को ही सांप्रदायिक बता दिया था. वकील त्रिदीप पायस ने चार्जशीट को नकारने के लिए फिल्म 'द ट्रायल ऑफ शिकागो 7' का भी उदाहरण दिया.

अभियोजन पक्ष ने कैसे किया जमानत का विरोध?

उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध करते हुए अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि खालिद के वकील मामले के गुण-दोष पर बहस करने की जगह वेब सीरीज 'फैमिली मैन' और फिल्म 'ट्रायल ऑफ शिकागो 7' की बात कर धारणा बनाने की कोशिश कर रहे हैं. अभियोजन पक्ष के वकील अमित प्रसाद ने कहा कि उमर खालिद इन वेब सीरीज के नाम लेकर सिर्फ सुर्खियां बनाना चाहते हैं. जब सुनवाई में कानून का तर्क दिया जाता है, तो वह सुर्खियां नही बटोरता. लेकिन, इन वेब सीरीज की बातें मीडिया में प्रासंगिक बहस बन जाती हैं. अभियोजन पक्ष के वकील ने जांच एजेंसी और जांच अधिकारी को सांप्रदायिक कहे जाने पर आपत्ति जताई. उन्होंने दलील देते हुए कहा कि यूएपीए अधिनियम में एक आतंकवादी को परिभाषित करने वाले सभी मानदंडों को पूरा किया गया है. उन्होंने तर्क दिया कि दंगों की सावधानीपूर्वक योजना बनाई गई, संपत्तियों का नुकसान हुआ, आवश्यक सेवाओं में रुकावट पैदा हुई, पेट्रोल बम, लाठी, पत्थर जैसी चीजों का इस्तेमाल किया गया.

अभियोजन पक्ष के वकील अमित प्रसाद ने कहा कि दंगों के दौरान कुल 53 लोग मारे गए और सैकड़ों लोग घायल हुए. जमानत के विरोध में उन्होंने तर्क दिया कि सीएए विरोधी प्रदर्शनों के लिए 25 मस्जिदों के करीब विरोध स्थलों चुने गए. कथित रूप से सांप्रदायिक विरोध को धर्मनिरपेक्ष नाम देकर वैध ठहराने की कोशिश की गई. प्रदर्शन स्थल पर महिलाओं को आगे रखकर पुलिस से भिड़ा गया. सीएए विरोधी प्रदर्शनों में स्थानीय लोगों को चारे के तौर पर इस्तेमाल किया गया. वकील ने तर्क दिया कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया में सरकार को शर्मिंदा करने के लिए सीएए या एनआरसी को विरोध का मुद्दा बनाया गया. अभियोजन पक्ष के वकील ने दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप यानी डीपीएसजी व्हाट्सएप ग्रुप के जरिये सीएए विरोधी प्रदर्शनों में बाहरी लोगों को इकट्ठा किया गया. उन्होंने उमर खालिद के दिल्ली दंगों के एक अन्य आरोपी ताहिर हुसैन से हुई मुलाकात का भी जिक्र किया.

क्यों नहीं हो रही है जमानत?

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों में 'बड़ी साजिश' रचने के मामले में दिल्ली पुलिस ने एक और पूरक चार्जशीट दाखिल की है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो यूएपीए अधिनियम और आईपीसी की कई गंभीर धाराओं में फंसे उमर खालिद को जमानत मिलना आसान नहीं है. खासकर तब, जब उनके वकील वेब सीरीज और फिल्म का उदाहरण देकर अपनी दलीलें दे रहे हों.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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