आखिर अखिलेश की पुलिस इतनी कमजोर कैसे हो गई?
बुलंदशहर गैंगरेप के मामले में स्थानीय पुलिस की लापरवाही सामने आने के बाद बेहद सक्रिय हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आखिर क्यों अब राजनीति और सीबीआई जांच की बात करने लगे हैं?
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क्या यूपी पुलिस कमजोर हो गई है? बुलंदशहर रेप केस के हफ्ते भर हो चुके हैं - और पुलिस जिसे मुख्य आरोपी मान कर चल रही है अब भी उसका सुराग नहीं लगा पाई है.
बुलंदशहर के मामले में स्थानीय पुलिस की लापरवाही सामने आने के बाद बेहद सक्रिय हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आखिर क्यों अब राजनीति और सीबीआई जांच की बात करने लगे हैं?
कौन राजनीति कर रहा?
बुलंदशहर बलात्कार की घटना पर सबसे पहले खुद अखिलेश सरकार के मंत्री आजम खां ने राजनीतिक साजिश की आशंका जताई. आजम खां ने कहा था, "इस घटना पर प्रदेश सरकार को इस तरह से भी संज्ञान लेना चाहिए कि कहीं कोई विपक्षी विचारधारा जो सत्ता में आना चाहते हैं, वे सरकार को बदनाम करने के लिए यह कुकर्म तो नहीं कर रहे हैं. राजनीति में अब इतनी गिरावट आ गई है कि कुछ भी हो सकता है."
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जब मीडिया आजम खां के बयान पर अखिलेश की राय जानना चाहता है तो वो उनके बचाव में ही नजर आते हैं - और खुद भी कहते हैं कि इस मामले में विपक्ष खासकर बीजेपी राजनीति कर रही है.
अखिलेश यादव कहते हैं, "भाजपा और अन्य लोग पीडितों को बंद कमरे में क्या समझा रहे हैं? आप लोगों को इसे भी देखना चाहिए. वह पीड़ितों से क्या कह रहे हैं?"
यूपी बीजेपी अध्यक्ष केशव मौर्या ने दो अगस्त को पीड़ित परिवार से मुलाकात की थी और उसके बाद मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी. पीड़ित परिवार के लोगों को सीबीआई जांच से कोई मतलब नहीं, वे तो बलात्कारियों को सरेआम गोली मार देना चाहते हैं.
सरेआम गोली मारने दें
बदमाशों की गिरफ्तारी न होने से पीड़ित परिवार का धैर्य जवाब दे रहा है. पीड़ित परिवार के एक सदस्य ने सरकार और न्यायपालिका से हमलावरों के लिए सरेआम गोली मार देने का आदेश देने की मांग की है.
परिवार का कहना है कि जल्द से जल्द बदमाशों को गिरफ्तार किया जाए. जल्द से जल्द उन्हें सजा दी जाए. अगर ऐसा नहीं हुआ तो, पीड़ित परिवार ने सामूहिक खुदकुशी की धमकी दी है.
क्या ये बातें ऐसी लग रही हैं कि बंद कमरे में कोई जाकर उन्हें सिखा पढ़ा रहा है? पीड़ितों का परिवार का सदमे में है - उनमें काफी गुस्सा है. वो वही बातें कर रहा है जो कोई भी पीड़ित करता.
आखिर राजनीति कौन कर रहा... |
बदमाशों का अपराध जघन्य जरूर है लेकिन वे ऐसे क्रिमिनल नहीं हैं जिन्हें दबोचना पुलिस के लिए बहुत मुश्किल काम हो. अगर पुलिस सचेत रही होती तो इस घटना को टाला जा सकता था. उन्हीं बदमाशों ने कुछ ही दिन पहले ऐसी घटना को अंजाम दिया था. अब ये लोकल पुलिस की लापरवाही है या कुछ और कि उसने एक्शन नहीं लिया. बलात्कार और हत्या समाज के लिए बड़े अपराध हैं, लेकिन बार बार एक ही तरह की वारदात जता रहा है कि इलाके में अपराधियों का गिरोह सक्रिय है. अगर पुलिस को ये नहीं पता या पुलिस जान बूझकर लापरवाही बरत रही है तो ये उसकी नाकामी है.
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मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सारा अमला झोंक रखा है फिर भी पुलिस मुख्य आरोपी तक नहीं पहुंच पाई है. राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ने तो इस बात पर भी शक जताया था कि मालूम नहीं जो पकड़े गये हैं वे ही असल अपराधी हैं या पुलिस ने इधर उधर से उठाकर लपेट दिया है. हालांकि, पुलिस का कहना है कि पीड़ितों के पहचान करने के बाद ही उन्हें गिरफ्तार किया गया है.
कुछ ही दिन तो हुए यूपी की एसटीएफ ने बीजेपी नेता दयाशंकर सिंह को ढूंढ़ निकाला और जेल भेज दिया. बुलंदशहर केस में अखिलेश यादव अब सीबीआई जांच की बात कर रहे हैं. क्या वाकई उनकी पुलिस थक चुकी है?
क्या वास्तव में यूपी पुलिस इस मामले में हथियार डाल चुकी है? याद कीजिए आरुषि मर्डर केस में जब मायावती को लगा कि मामला बेहाथ हो रहा है तो उन्होंने फौरन उसे सीबीआई को रेफर कर दिया था. बाद की बातें अपनी जगह हैं. अखिलेश यादव की बातें कहीं ऐसा ही इशारा तो नहीं कर रहीं?
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