New

होम -> सियासत

 |  3-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 20 जून, 2016 06:21 PM
गोपी मनियार
गोपी मनियार
  @gopi.maniar.5
  • Total Shares

चाहे राजकोट हो, सूरत या फिर वडोदरा, इन दिनों डीजी वंजारा का स्वागत और सम्मान हर शहर में होता दिख रहा है. बड़ी तादाद में भीड़ भी जमा हो रही है. बात चाहे इशरत जहां पर बयान की हो या सरदार पटेल को बंदूक वाला हार पहनाने की, वंजारा आये दिन कुछ न कुछ करके खबरों में बने रहते हैं. हालांकि इन खबरो में रहने के लिये वंजारा के पास अपनी ही अलग दलील भी रहती है.

गुजरात में अगले साल चुनाव होने हैं. वंजारा ने पहले ही ये घोषणा कर दी है कि वो गुजरात विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाएंगे. हालांकि कहां से और किस पार्टी से, इसे लेकर वंजारा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं.

सब से बड़ा सवाल यही है कि एक समय गुजरात के गृहराज्य मंत्री रहे अमित शाह के कभी सब से खास माने जाने वाले वंजारा साहब को क्या बीजेपी अध्यक्ष टिकट देंगे? बीजेपी सूत्रों कि मानें तो बीजेपी वंजारा को गुजरात में टिकट देने के पक्ष में नहीं है. बताया यही जा रहा हे कि अगर वंजारा को टिकट मिलता है तो फर्जी एनकाउंटर जस्टीफाई होंगे. यही नहीं, 2002 के गुजरात दंगो के कारण पहले ही बीजेपी से दूर हो चुके अल्पसंख्यक वोट और छिटक सकते हैं.

banzara-650_062016042224.jpg
 वंजारा बीजेपी के सारथी बनेंगे या चुनौती.

वहीं, गुजरात की बीजेपी सरकार के लिए इन एनकाउंटर में पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी पर भी सवाल खड़े हो सकते हैं. क्योंकि खुद गुजरात पुलिस के अधिकारिओं ने ही फर्जी एनकाउंटर बताते हुए शौहराबुद्दीन मामले में वंजारा को गिरफ्तार किया था, न कि सीबीआई ने. ऐसे में सवाल सरकार की भूमिका पर भी खड़े होंगे.

वैसे, सूत्र तो ये भी बताते हैं कि वंजारा कही ना कही गुजरात बीजेपी से ही चुनावी टिकट चाहते हैं. ऐसे में वंजारा खुद का जातिवाद भी चलाना चाहते हैं. वंजारा का खुद की अपनी कम्यूनिटी यानी ओबीसी में काफी प्रभाव है. आए दिन होने वाले कार्यक्रमों के जरिए कहीं न कहीं वंजारा बीजेपी को खुद का शक्ति प्रदर्शन भी करा रहे हैं.

इसलिए, बीजेपी के सामने वो एक चुनौती भी हैं. क्योंकि वंजारा को इस बार टिकट नही दिया जाता है तो हो सकता है कि वे अपनी जाती के लोगों को निर्दलीय के तौर पर खड़ा कर बीजेपी के वोट काट सकते हैं. खबरें ये भी है कि वंजारा खुद अपने गांव साबरकांठा से बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं. माना जाता रहा है कि इस चुनावी क्षेत्र में ओबीसी वोट बेंक काफी निर्णायक साबित होते रहे हैं.

फर्जी एनकाउंटर में बेल पर रिहा हुऐ वंजारा पर अभी ट्रायल चलना बाकी है. वंजारा से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि देश में कानून है और फेयर ट्रायल की व्यापक संभावना मौजूद है, और वह तमाम आरोपों से बाहर आएंगे.

वंजारा पाटीदारो को आरक्षण देने का समर्थन कर उनकी हमदर्दी भी हासिल कर रहे हैं. हालांकि, सूरत में अतिउत्साह में शायद उनसे चूक हो गई. सरदार पटेल की प्रतिमा को बंदूक के साथ कलम का हार पहनाने पर पाटीदार नाराज हुए. उन्होंने वंजारा के खिलाफ नाराजगी जताई और मूर्ति से हार भी उतार लिया. लेकिन इसके बाद वंजारा ने अपने ही अंदाज में खुद का बचाव किया.

sardal-patel-650_062016042322.jpg
 बंदूक और कलम की राजनीति के क्या मायने हैं..

वंजारा ने कहा कि सरदार को कलम और बंदूक का माल्यार्पण इसलिए किया गया, क्योंकि उन्होंने अखंड भारत बनाने के लिए शास्त्र और शस्त्र दोनों का इस्तेमाल किया था. साथ ही वंजारा ये भी कहते चले गए कि उनके ऐसा करने का मकसद किसी की भावना को ठेस पहुंचाना नहीं था.

साफ है कि फर्जी एनकाउंटर के आरोपों से घिरे वंजारा खुद को एक देशभक्त ओर राष्ट्रभक्त के तौर पर पेश करने की कोशिश कर रहे हैं. और ऐसा करते हुए उन्होंने अब गेंद बीजेपी के पाले में डाल दी है. बीजेपी जो करेगी उसी के जवाब में वंजारा अपनी अगली रणनीति तय करेंगे.

लेखक

गोपी मनियार गोपी मनियार @gopi.maniar.5

लेखिका गुजरात में 'आज तक' की प्रमुख संवाददाता है.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय