क्या लालू अपने बेटों को एक रख पाएंगे? या आरजेडी में भी होगा विरासत पर घमासान
लालू यादव के बड़े बेटे और हसनपुर विधायक तेज प्रताप यादव ने मंच पर पहुंचते ही जमकर भड़ास निकाली. तेज प्रताप यादव ने अपने भाषण के दौरान मंच पर बैठे छोटे भाई तेजस्वी यादव और आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह पर तंज कसे. पार्टी में अपनी उपेक्षा को लेकर एक बार फिर से तेज प्रताप का दर्द छलक कर लोगों के सामने आ गया.
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चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच छिड़ी विरासत की जंग से बिहार का राजनीतिक पारा लगातार चढ़ रहा है. दिवंगत रामविलास पासवान की जयंती पर चिराग और पशुपति ने अपने-अपने तरीके से इस विरासत पर पकड़ बनाने की कोशिश की. वैसे, 5 जुलाई को रामविलास पासवान की जयंती से इतर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का 25वें स्थापना दिवस यानी आरजेडी की रजत जयंती (RJD Rajat Jayanti) भी थी. रजत जयंती कार्यक्रम में करीब साढ़े तीन साल बाद लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) आरजेडी नेताओं से वर्चुअल रूप से मुखातिब हुए. इस पूरे कार्यक्रम में लालू प्रसाद यादव चर्चा का केंद्र रहे. लेकिन, सुर्खियां बटोर ले गए लालू के बड़े 'लाल'.
दरअसल, लालू यादव के बड़े बेटे और हसनपुर विधायक तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) ने मंच पर पहुंचते ही जमकर भड़ास निकाली. तेज प्रताप यादव ने अपने भाषण के दौरान मंच पर बैठे छोटे भाई तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) और आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह पर तंज कसे. पार्टी में अपनी उपेक्षा को लेकर एक बार फिर से तेज प्रताप का दर्द छलक कर लोगों के सामने आ गया. इस तमाम घटनाक्रम के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि आरजेडी में भी विरासत की जंग छिड़ सकती है. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या लालू अपने बेटों को एक रख पाएंगे? या आरजेडी में भी विरासत पर घमासान होगा.
क्या लालू अपने बेटों को एक रख पाएंगे? या आरजेडी में भी विरासत पर घमासान होगा.
इशारों-इशारों में समझा गए तेज प्रताप यादव
चर्चा से पहले ये जान लेते हैं कि आखिर आरजेडी के स्थापना दिवस पर तेज प्रताप यादव ने ऐसा क्या कह दिया, जिसे लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया है. दरअसल, रजत जयंती के मौके पर तेज प्रताप यादव ने बोलना शुरू किया, तो उन्होंने आरजेडी के नेताओं को ही निशाने पर लेना शुरू कर दिया. छोटे भाई तेजस्वी यादव भी तेज प्रताप के लपेटे में आ ही गए. उनसे पहले आए सभी नेताओं ने आरजेडी का गुणगान किया. लेकिन, तेज प्रताप यादव ने पार्टी की पोल खोलना शुरू कर दिया. भाषण के दौरान तेज प्रताप यादव ने पिता के साथ अपनी करीबी भी जताई. उन्होंने कहा कि पिता जी ने हमको फोन कर कहा- अभी तक यही हो, जाओ जल्दी. मुझे पूजा पाठ में देर हो गई. यहां आए, तो देखा कि तेजस्वी यादव बाजी मार गए और मंच पर पहले ही आकर बैठ गए हैं.
वैसे, तेज प्रताप खुद को खुद को तेजस्वी से बेहतर मानते हों या नहीं. लेकिन, इतना जरूर मानते हैं कि वो तेजस्वी को हर मुश्किल मौके पर अपना सहयोग देकर बचाते रहे हैं. शायद इसी वजह से उन्होंने कहा कि मुझे देखकर विरोधी भी कहते हैं कि ये दूसरा लालू यादव है. जब-जब विरोधियों ने अर्जुन पर वार किया, तो श्रीकृष्ण ने बचाव किया. ऐसे ही जब भी तेजस्वी यादव पर हमला होगा, तो कृष्ण के तौर पर मैं उनका बचाव करूंगा. कहा जा सकता है कि तेज प्रताप यादव अपने छोटे भाई की छाया के तले रहकर पार्टी में नहीं रहना चाहते हैं. वो पार्टी में रहना चाहते हैं, लेकिन तेजस्वी यादव के समकक्ष जगह चाहते हैं.
वहीं, भाषण की शुरूआत से ही तेज प्रताप यादव ने खुद को लालू यादव के जैसा जताने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. खुद को पिता के नक्शेकदम पर चलने वाला बताने के लिए तेज प्रताप ने बीएन कॉलेज में दाखिले और लालू यादव की क्लासरूम बेंच पर बैठने की बात कही. तेज प्रताप ने कहा कि मैं पिता लालू यादव की तरह हूं. लोग उनसे डरते हैं और हमसे भी डरते हैं. उन्होंने कहा कि हम जब बोलते हैं, तो कुछ लोग हंसते हैं, मजाक उड़ाते हैं. लालू यादव भी जब बोलते थे, तो विरोधी हंसते थे. पिता मंच पर आते थे, तो लोगों का मनोरंजन भी होता था और काम भी. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि संगठन समुद्र है, इसमें बहुत सारे लोग आते और जाते हैं. कुछ लोग रूठते हैं, जिन्हें मनाना भी पड़ता है.
इन तमाम बातों से एक चीज स्पष्ट है कि तेज प्रताप यादव आरजेडी में अपनी उपेक्षा को लेकर गंभीर हैं. उन्होंने बिना नाम लिए पार्टी के कई नेताओं पर भी भरपूर निशाना साधा. तेजप्रताप यादव ने आरजेडी विधायकों की विधानसभा में पिटाई के मामले पर कहा कि कुछ लोग हमें पीछे खींचते हैं. वो चाहते हैं कि हम हीरो न बन जाएं. लाठीचार्ज के दौरान मैं आगे जाना चाहता था, लेकिन कुछ लोगों ने मुझे पीछे खींच लिया. तेज प्रताप ने कहा कि मैं नाम नहीं लूंगा, लेकिन लाठीचार्च के बाद कुछ नेता हमारे साथ फोटो खिंचाने के लिए खड़े हो गए. ये लोग जनता के बीच नहीं जाते हैं और पार्टी कार्यालय में बैठे रहते हैं.
आरजेडी की रजत जयंती पर तेज प्रताप यादव का भाषण शुरू होने के कुछ ही मिनट बाद तकनीकी कारणों से माइक गड़बड़ा गया था. जिसके बाद तेज प्रताप ने कहा कि जब भी सच बोलने लगता हूं, ये सब होने लगता होता है. लोग सच्चाई सुनना ही नहीं चाहते हैं, क्योंकि सच कड़वा होता है. लेकिन, सच की जीत होती है. इशारों में मैंने बहुत बातें कह दी, जिन्हें समझना था, वो समझ गए होंगे. तेज प्रताप का इशारा किस तरफ था, ये सभी को पता है.
तेज प्रताप यादव अपने पूरे भाषण के दौरान पिता लालू यादव की विरासत पर सीधा हक जमाते हुए नजर आए. उन्होंने तेजस्वी का नाम लिए बिना ही नसीहत दे डाली कि संगठन में सबको साथ लेकर चलना होगा. उन्होंने तेजस्वी यादव को संगठन चलाने के लिए कई सुझाव दिए. दरअसल, आरजेडी के पूरे संगठन पर तेजस्वी यादव का एकछत्र राज्य है और शायद ये बात तेज प्रताप यादव को कहीं न कहीं अखर रही है. सवाल तो उठेंगे ही कि आखिर कौन है जो तेज प्रताप यादव को 'हीरो' बनने से रोक रहा है? आरजेडी में उनका मजाक कौन उड़ा रहा है? क्यों तेज प्रताप सुझाव दे रहे हैं कि संगठन में सबकों साथ लेकर चलना होता है?
विरासत के ऐलान के समय ही छलका था दर्द
2017 में लालू यादव ने जब तेजस्वी को पार्टी की विरासत सौंपने का ऐलान किया था. उसके कुछ ही दिनों बाद तेज प्रताप का दर्द ट्वीट के जरिये बाहर आ गया था. उन्होंने लिखा था कि उन्हें दुख होता है कि आरजेडी में उनकी अनदेखी की जा रही है. तेज प्रताप ने उस ट्वीट में साजिश की आशंका भी जताई थी. हालांकि ट्वीट के बाद उन्होंने छोटे भाई तेजस्वी से किसी भी तरह के विवाद से इनकार करते हुए उन्हें कलेजे का टुकड़ा बताया था. आरजेडी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे को लेकर भी तेज प्रताप और तेजस्वी के बीच तनातनी हो चुकी है.
दरअसल, दलितों के सम्मान को लेकर तेज प्रताप यादव ने रामचंद्र पूर्वे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. लेकिन, तेजस्वी ने पूर्वे को अभिभावकतुल्य बताते हुए तेजप्रताप के आरोपों को खारिज कर दिया था. इस मामले के कुछ ही समय बाद रामचंद्र पूर्वे की प्रदेश अध्यक्ष पद से विदाई हो गई थी. ऐसे ही कई मौकों पर तेज प्रताप के फैसलों पर तेजस्वी के सवाल उठाने से दोनों भाईयों के बीच पार्टी में प्रभुत्व को लेकर गरमागरमी बनी रहती है. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि आरजेडी में पार्टी के चेहरे और उत्तराधिकार की जंग लंबे समय से चल रही है.
लालू यादव कर रहे हैं परिवार को संभालने की कोशिश
जगदानंद सिंह को आरजेडी का प्रदेश अध्यक्ष बनाने का फैसला लालू यादव ने किया था. कहा जाता है कि लालू चाहते थे कि जगदानंद सिंह के सहारे उनके बेटों के बीच की दूरी कम हो. लेकिन, रजत जयंती कार्यक्रम में तेज प्रताप ने जगदानंद सिंह पर भी निशाना साधा. दरअसल, उन्होंने हर जिलाध्यक्ष को एक गाड़ी मुहैया कराने की बात कही और समर्थन में लोगों से हाथ खड़ा करने को कहा. जगदानंद सिंह इस दौरान मोबाइल पर बिजी थे, तो उन्होंने ध्यान नहीं दिया. जिस पर तेज प्रताप ने कहा कि लगता हैं...अंकल हमसे नाराज हैं.
वैसे, बिहार से दूर दिल्ली में बैठकर भी लालू यादव पूरी कोशिश कर रहे हैं कि बेटों के बीच किसी तरह की दरार न पड़े. पार्टी में तेज प्रताप यादव की उपेक्षा को खत्म करने के प्रयास में लालू यादव ने कहा कि तेज प्रताप की बातों में दम है. उसने बहुत अच्छा भाषण दिया. कार्यक्रम के अंत में लालू यादव ने तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव दोनों की ही तारीफ की. लालू यादव ने तेजस्वी की तारीफ करते हुए कहा कि बहुत कम उम्र में बिहार ने उन्हें अपना नेता मान लिया है. खैर, लालू यादव पहले ही तय कर चुके हैं कि पार्टी और भविष्य में सरकार की कमान तेजस्वी यादव ही संभालेंगे. लेकिन, पार्टी और भविष्य की सरकार में तेज प्रताप यादव की क्या भूमिका होगी, ये अभी तक साफ नहीं हो सका है. वहीं, तेजस्वी ने भी अपने भाषण की शुरुआत में ही बिना तेज प्रताप का नाम लिए 'बड़ों' से माफी मांगी.
लालू यादव ने बिहार की राजनीति में वापसी तो कर ली है. लेकिन, अब उनमें वो पुरानी वाली बात नहीं रह गई है. बीमारी और उम्र का असर उन पर दिखने लगा है. वहीं, तेज प्रताप यादव पार्टी में अपनी उपेक्षा से परेशान नजर आ रहे हैं. अगर भविष्य में भी यही स्थिति बनी रहती है, तो इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि आरजेडी में भी लालू की विरासत के लिए घमासान दिखेगा.
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