मोदीजी, देश अब भी काले धन की वापसी की उम्मीद लगाए बैठा है...
4 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिन पांच देशों के लिए रवाना हुए उसमें से एक स्विट्जरलैंड भी है. स्विट्जरलैंड के नाम से लोगों के मन में एक उम्मीद जगती है. उम्मीद ये कि काला धन वापस आएगा. मोदी ने लोकसभा चुनाव-2014 के दौरान इसे बड़ा मुद्दा बनाया था.
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2014 के चुनावी रैलियों में काले धन को लेकर ये लाइनें याद करनी चाहिए कि- भारतीयों का स्विट्जरलैंड में जमा पैसा वापस आना चाहिए कि नहीं आना चाहिए. 4 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिन पांच देशों के लिए रवाना हुए उसमें से एक स्विट्जरलैंड भी है. स्विट्जरलैंड के नाम से लोगों के मन में एक उम्मीद जगती है. उम्मीद ये कि काला धन वापस आएगा. मोदी ने लोकसभा चुनाव-2014 के दौरान इसे बड़ा मुद्दा बनाया था.
कभी मोदी ने भरोसे की मिसाल दी थी..
आज से तेरह साल पहले मोदी ने स्विट्जरलैंड जाकर एक इतिहास रचा था. एक ऐसी गाथा जिससे सभी भारतीयों को गर्व हुआ था. 22 अगस्त 2003 को प्रधानमंत्री ने स्विस सरकार से कच्छ के महान क्रांतिकारी श्याम कृष्ण वर्मा और उनकी पत्नी की अस्थियां वापस लाकर उनकी देशभक्ति को सम्मान दिया था. उस वक्त मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. ये काम अपने आप में बड़ा था लेकिन अब एक बार फिर कुछ लोग उनके भरोसे बैठ चुके है. इन्हें ऐसा लगता है कि अबकी बार की स्विट्जरलैंड यात्रा में मोदी भारतीयों का स्विस बैंक में जो काला धन जमा है, उसके भ्रष्टतंत्र का राज खोले या ना खोले लेकिन जनता के हक़ का पैसा भारत वापस लेकर आयेंगे.
मोदी वापस लाएंगे काला धन? |
वैसे, उम्मीद रखने वालों की कोई गलती नहीं है क्योंकि जब कोई एक बार उम्मीदों पर खरा उतर जाता है तो उसपर इतना भरोसा रखना तो जायज ही है. ये उनकी स्विट्जरलैंड की यात्रा ही नही बल्कि भारत की जनता के साथ पहले किये गए वादे को निभाने की परीक्षा हैं.
क्या भारत को वापस मिलेगा काला धन
अब एक बारी इस बात पर नज़र फिरा लेनी चाहिए कि क्या स्विस बैंक से कालाधन लाया जा सकता है. हां चुनावी उहापोह में इनसे गलती हो गई होगी लेकिन इस विषय के जानकारों की बात मानी जाये तो यो आसान नही है. आपको इस बात को समझने की लिए इन लाइनों पर नज़र गड़ाना होगा.
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- साल 2012 में भारत सरकार ने कालेधन पर एक श्वेतपत्र जारी किया जिसमें ये आंकलन किया गया था कि स्विट्जरलैंड के बैकों में भारतीयों के कुल कितने खाते है. हालांकि, इस बारे में ज्यादा पता नही चल पाया लेकिन ये पता चल गया कि कुल खातों में आखिरकार कितने रुपये है. यह राशि थी 9,295 करोड़ रुपये.
- स्विस विदेश मंत्रालय ने इस बात की पुष्टि की थी ये आंकड़े बिल्कुल सही हैं. इस बात को समझ पाना तो आसान नहीं है कि आखिर किस आधार पर सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी थी कि स्विस बैकों में भारतीयों के 24.5 लाख करोड़ रुपये है.
- जैसे हमारे यहां आरबीआई है ठीक इसी प्रकार स्विट्जरलैंड में स्विस नेशनल बैंक है. जो इस देश के लिए मुद्रा संबंधी नीतियां बनाता है. इसी स्विस नेशनल बैंक ने स्विट्जरलैंड के वित्त मंत्रालय को ये सलाह दी थी कि कालेधन के लिए हमें भारत के साथ खड़ा होना चाहिए.
स्विस सरकार ने खातों के खुलासे के लिए अक्तूबर 2015 में 30 देशों के पीयर रिव्यू ग्रुप (पीआरजी) का गठन किया है। ‘पीआरजी’ में भारत भी शामिल है, जिसका काम चोरी से हासिल डाटा के आधार पर काले धन के खातेदारों का पता लगाना है.
भारत स्विट्जरलैंड का कैसा है नाता
स्विट्जरलैंड की फिलहाल स्वीस पीपुल्स पार्टी सत्ता में है. उसने 18 अक्टूबर, 2015 को ही बड़े बहुमत के साथ जीत हासिल की थी. इस पार्टी के नेता हैं उली माउरर, जो स्विट्जरलैंड के मौजूदा वित्त मंत्री है. इनकी मुलाकात भारत के वित्तमंत्री अरुण जेटली से दावोस बैठक के दौरान हो चुकी है. उस बैठक में माउरर ने यह सुनिश्चित किया था कि काले धन की जानकारी देने में वे भारत का सहयोग करेंगे.
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इस बैठक और बयान के बाद एक उम्मीद तो जगी है कि काला धन वापस आ सकता है. लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि माउरर भारत से विदेश संबंध ना बिगड़ने के नाते ऐसा बोल गये हों. फिर भी, एक छोटा सा उपाय तो किया जा सकता है. अगर कालाधन है और भारतीयों का ही है तो स्विट्जरलैंड को इस बात से आश्वस्त करना चाहिए कि कम से कम इसका ब्याज तो दे ही दें, जिससे प्रधानमंत्री ये भरोसा बना पायें कि हम कथनी करनी में अंतर नही रखते.
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