क्या शी जिनपिंग सत्ता में दोबारा आए तो भारत नीति में बदलाव आएगा?
5 बड़े मुद्दे हैं जिनको लेकर भारत और चीन के बीच हमेशा तनातनी रहती है. ऐसे में शी जिनपिंग का दूसरा कार्यकाल दुनिया के दो सबसे बड़ी आबादी वाले देशों के रिश्तों को सुलझा पाएगा.
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चीन में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की पांच साल में एक बार होने वाली कांग्रेस आज से शुरू हो गयी है. इस कांग्रेस में तय होना है कि अगले पांच साल के लिए देश की बागडोर किसके हाथ में रहेगी और चीन के अगले पांच साल के लिए क्या नीतियां होंगी. अगर वर्तमान राष्ट्रपति शी जिनपिंग दूसरे कार्यकाल के लिए चुन लिए जाते हैं तो देश में उनकी पकड़ और मजबूत हो जायेगी.
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की 19वीं नेशनल कांग्रेस जिनपिंग के साथ काम करने के लिए नई पीढ़ी के नेताओं का भी चुनाव करेगी. कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की इस मीटिंग में जिनपिंग के दूसरे कार्यकाल पर मुहर लगना तय माना जा रहा है. 2002 से लागू इस परंपरा के अनुसार टॉप नेताओं को दो कार्यकाल दिए जाते हैं. इसके बाद वे रिटायर हो जाते हैं. इस मीटिंग में यह भी तय किया जाता है कि कम्युनिस्ट पार्टी का नेतृत्व कौन करेगा?
विश्व को लीड करने की चाह
चीन पिछले कई वर्षो में पुरे विश्व में एक मजबूत और अग्रणी देश बन कर उभरा है. विश्व पटल में उसे मजबूत शाषण और इकोनॉमी वाला देश माना जाता है. अमेरिका भी चीन को अपना निकटम प्रतिद्वंदी मानता है. भारत से चीन के रिश्ते किसी से छुपे हुए नहीं हैं. चीन ने पूरे विश्व में अपनी भूमिका को लेकर स्पष्ट संदेश दिया है. जिनपिंग ने अपने भाषण में कहा कि- अब वक्त आ गया है कि वो शक्तिशाली राष्ट्र बन सके और पुरे विश्व को राजनीतिक, आर्थिक, मिलिट्री और पर्यावरण मुद्दों पर नेतृत्व प्रदान कर सके. साथ में उन्होंने ये भी कहा कि चीन के विकास के मार्ग में ये नयी ऐतिहासिक समय है.
चीन की भारतीय नीति पर क्या होगा असर
क्या चीन की भारतीय नीति में बदलाव संभव?
शी जिनपिंग अगर फिर से सत्ता में आते हैं तो भारत पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है, वो चीन की महत्वाकांक्षा पर निर्भर करता है. चीन हर क्षेत्र में एक अग्रणी देश बनाना चाहता है. वो वर्ल्ड को लीड करना चाहता है. सब बखुबी जानते हैं कि अपने हितों को साधने के लिए चीन किसी भी हद तक जा सकता है. डोकलाम विवाद के बाद चीन के रवैये में भारत के प्रति कुछ नरमी आयी है. लेकिन लम्बे सीमा विवाद, राजनीतिक और व्यापारिक हितों के कारण चीन आने वाले समय में भारत से किस तरह के सम्बन्ध रखता है वो वक्त ही बताएगा.
हिंद महासागर पर चीन की बढ़ती पहुंच, वन बेल्ट वन रोड परियोजना में भारत के पड़ोसी देशों की दिलचस्पी, आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को सपोर्ट, चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर, न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (एनएसजी) में भारत का प्रवेश रोकने की नीति आदि कई मुद्दे हैं, जिनको लेकर दोनों देशों के बीच हमेशा तनातनी रहती है. चीन जानता है की भारत आने वाले वर्षों में विश्व में एक बड़े राष्ट्र के तौर पर उभर सकता है. अमेरिका से लेकर अन्य देश भारत से मजबूत सम्बन्ध बनाने के लिए आतुर हैं. सब जानते हैं कि भारत एक मजबूत बाजार है और उनके आर्थिक हितों की पूर्ती कर सकता है. चीन भी भारत को एक बड़े बाजार के रूप में देखता है.
अब देखने वाली बात यह है कि चीन आने वाले समय में भारत के प्रति क्या नीति अपनाता है. भारत कभी भी अपने रणनीतिक हितों से समझौता नहीं करेगा और चीन कभी भी अपनी महत्वाकांक्षा का परित्याग नहीं करना चाहेगा. ऐसे में दोनों देशों के बीच कैसा रिश्ता रहता है वो वक़्त पर ही निर्भर करेगा. चीन के वर्तमान राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक मंझे हुए लीडर हैं वो भारत से शांतिपूर्ण रिश्ता चाहते हैं. कूटनीति में माहिर उन्हें पता है कि भारत की नाराजगी उनकी आर्थिक और राजनितिक हितों को नुकसान पहुंचा सकती है.
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