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Updated: 26 फरवरी, 2016 06:43 PM
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रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने नये बजट में रेल भाड़ा नहीं बढ़ाया. शायद जरूरत नहीं थी. पहले ही काफी बढ़ाया जा चुका है. आगे भी धीरे धीरे करके बढ़ाने का स्कोप बचा ही है. कभी किसी किसी सुविधा के नाम पर तो कभी किसी टैक्स के जरिये. प्रभु के ताजा रेल बजट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन का बजट बताया जा रहा है.

इस बजट में सबसे बड़ी बात है कि साल 2020 तक रेल गाड़ियां वक्त पर चलने लगेंगी.

इतना तो करना प्रभु!

फेसबुक पर अभिरंजन कुमार मानते हैं कि प्रभु की जो भी कृपा है वो पर्याप्त है - बस, जैसे भी वो अमल में भी आ जाए. अपनी पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि उनकी बहुत बड़ी नहीं लेकिन रेलवे से कुछ अपेक्षाएं जरूर हैं.

1. गाड़ियां समय से चलें.

2. रिजर्वेशन आसानी से मिल जाए.

3. साफ़-सफ़ाई हो और टॉयलेट जाना पूर्व जन्मों के पाप का नतीजा न लगें.

4. महिलाओं को सुरक्षा, बच्चों को दूध, बुज़ुर्गों को दवाएं मिल जाया करें.

5. मन हो तो हमें भी वह खाना सप्लाई करवा दें, जिनसे फूड प्वायजनिंग न हो.

निश्चित रूप से ये वही अपेक्षाएं हैं जो कोई भी आम यात्री चाहेगा कि रेलवे उसे मुहैया कराए.

इसके साथ ही सुरेश प्रभु के रेल बजट 2016 में 'विजन-2020' को खास अहमियत दी गई नजर आती है.

प्रभु का विजन-2020

1. 2020 तक हर मुसाफिर को कन्फर्म टिकट देने का वादा किया गया है.

2. 2020 तक बिना बिना गेटमैन वाली क्रॉसिंग को खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है.

3. 2020 तक स्वर्णिम चतुर्भुज के लिए सेमी हाईस्पीड ट्रेनें चलाने का टारगेट तय है.

4. 2020 तक सुरक्षा के लिए हाई लेवल टेक्नोलॉजी की व्यवस्था की जाएगी.

5. 2020 तक मालगाड़ी की एवरेज स्पीड 50 किमी प्रति घंटा कर दी जाएगी.

6. 2020 तक मेल/एक्सप्रेस की स्पीड 80 किमी प्रति घंटा होनी है.

7. 2020 तक ह्यूमन वेस्ट का डायरेक्ट डिस्चार्ज खत्म कर दिया जाएगा.

और

8. 2020 तक 95 फीसदी ट्रेनें समय पर चलने लगेंगी.

बाकी सब तो ठीक है. बस एक ही सवाल बच जाता है - क्या ये विजन-2020 पर तभी अमल हो सकेगा जब मोदी सरकार दोबारा सत्ता में चुन कर आएगी. दरअसल, 2019 में अगला आम चुनाव होना है - और उसके साल भर बाद ही ये सारे लक्ष्य रखे गये हैं. बस, इसीलिए बरबस ये सवाल उठ रहा है.

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