ट्विंकल खन्ना का लेख क्यों हुआ वायरल, क्यों मिली इतनी एहमियत
हम सब ट्विंकल खन्ना को बॉलीवुड के दो सुपर स्टार राजेश खन्ना और डिंपल कपाडिया की बेटी के रूप में जानते हैं. और अभिनेता अक्षय कुमार की पत्नी और कुछ भुला दी गईं फिल्मों की अभिनेत्री के तौर पर.
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हम सब ट्विंकल खन्ना को बॉलीवुड के दो सुपर स्टार राजेश खन्ना और डिंपल कपाडिया की बेटी के रूप में जानते हैं. और अभिनेता अक्षय कुमार की पत्नी और कुछ भुला दी गईं फिल्मों की अभिनेत्री के तौर पर. अभिनय को छोड़कर उन्होंने डिजाइनर के तौर पर काम शुरू किया. सोशलाइट्स और फिल्मी सितारों की पत्नियों के बीच वे काफी जाना-माना नाम हैं. वे अब टाइम्स ऑफ इंडिया के रविवार संस्करण में नियमित कॉलम लिख रही हैं. जैसे कि सामान्य तौर पर अधिकतर सभी फिल्मी सितारे समय-समय पर करते हैं.
ट्विंकल खन्ना अब अपने जीवन और सह-कलाकारों के बारे में लिखने के बजाय दूसरी ही बातों से पर्दा उठा रही हैं. वह भी सामान्य प्रकार से नहीं बल्कि यह कहकर कि "मुझे लगता है हमें त्वचा के रंग के आधार पर भेदभाव नहीं करना चाहिए". या "हमें महिला सशक्तिकरण की जरूरत है". वो नामों का उल्लेख किए जाना जरूरी बताती हैं उनके कदम को पूरी तरह से सही साबित करने के लिए. इसलिए बड़ी ही चतुरता के साथ उन्हें श्रीमती फन्नीबोन्स का नाम दिया दे दिया गया.
इससे पहले उनके एकाध व्यंग्य कॉलम ने आकर्षित किया और उनके लेख पर हम कभी-कभार ज़ोर-जोर हंसे भी. लेकिन पिछले रविवार को प्रकाशित उनका लेख इंटरनेट पर सनसनी बन गया है. ट्विटर यूजरों में वायरल हो रहा है. जो उन्हें अब काफी सम्मान दे रहे हैं. इस लेख में श्रीमती फन्नीबोन्स राष्ट्रीय नायकों की विशालकाय मूर्तियों पर भारीभरकम खर्च करने के विचार की आलोचना करती हैं. वह कहती हैं कि इतना पैसा तो बड़ी आसानी से शिक्षा के क्षेत्र में जा सकता है. फिर वे अचानक कहती हैं कि जिस शहर में वे बड़ी हुई हैं वह हमेशा बॉम्बे रहेगा. और आख्िार में वे ऑल इंडिया बकचोद रोस्ट के कॉमेडियंस का पक्ष ले लेती हैं. जिन पर गिरफ्तारी का खतरा मंडरा रहा है.
"पिछले कुछ महीनों में हम ओबामा के गम चबाने, मोदी के सूट और कई कारणों से किरण बेदी से नाराज हुए. और कुख्यात रोस्ट से भी. अगर किसी लाइव शो से नाराज होने की बात आए तो मैं अर्नब गोस्वामी के शो का नाम लूंगी जो लोगों को अपने शो पर बुलाते हैं और उन्हे बोलने नहीं देते. मैंने एक एपीसोड में देखा कि वह शिक्षा मंत्री से एक सवाल पूछ रहे हैं और फिर उनका जवाब सुनकर वो चिल्लाने लगते हैं. अब यह सिर्फ बुरी आदत है. कम से कम AIB रोस्ट वालों ने मेहमानों को बुलाया और उन्हें बोलने दिया गया. फिर लोग हंसे और अपने घर चले गए. लेकिन हम अब भी गुस्सा हैं. जबकि उन्होंने पहले ही साफ कर दिया था कि उनका शो केवल वयस्कों के लिए है".
इन कॉमेंट्स में ऐसा क्या खास है, कोई भी पूछ सकता है. दूसरों ने पूछा भी है. हम इसलिए प्रभावित हो रहे हैं क्योंकि वह एक सेलीब्रिटी है? हां, प्रभावित हो रहे हैं मगर इसलिए नहीं कि वे एक सेलीब्रिटी हैं बल्कि इसलिए कि उन्होंने अपनी ख्याति का इस्तेमाल उदार दृष्िटकोण के पक्ष में खड़े होने के लिए किया. लकीर के फकीरों के मुताबिक ऐसा सिर्फ फिल्मी अदांज दिखाने के लिए ऐसा किया जाता है. हिराइनें से इस तरह की लाइनें पीआर कंपनियां लिखवाती हैं क्योंकि उन्हें जानकारी नहीं होती. वो पुरानी बातें अब नए युग की अभिनेत्रियों के आ जाने से गायब हो चुकी हैं. यह विद्या बालन, दीपिका पादुकोण, और प्रियंका चोपड़ा ने दिखा दिया है. लेकिन लिखना बिल्कुल एक अलग मामला है और ट्विंकल खन्ना ने बता दिया है कि उनके पास कितना हुनर है.
ये तथ्य ज्यादा भरोसेमंद है कि वे खुद उस इंडस्ट्री से सम्बंध रखती हैं जो उनके तथ्य परक बिंदुओं को उठाने के लिहाज से मजबूत है. कुछ मुठ्ठीभर लोगों को छोड़ दें तो अधिकतर फिल्मीजगत के लोग भी सत्तापक्ष की तरफ नजर आते हैं. एक फिल्म में सबकुछ दांव पर लगा होता है. और किसी भी राजनेता का अपमान करने का खामियाजा फिल्म और उससे जुड़े सितारों को भी भुगतना पड़ जाता है. क्योंकि नेताओं के पास नुकसान पंहुचाने की ताकत होती है. बड़े नाम चाहे जो भी हों, उनके निजी विचार कुछ भी हों लेकिन वे हमेशा सत्तारूढ़ लोगों की तरफ दिखने या तटस्थ रहने की कोशिश करते हैं. विशाल ददलानी आम आदमी पार्टी के बड़े समर्थक हैं. लेकिन उन्होंने भी अभी तक बड़ी प्रतिमाओं के निर्माण के खिलाफ कुछ नहीं कहा. इस तथ्य के बारे में भी सोचो कि फिल्मी जगत हमेशा खुद को ऐसी बातों से दूर रखता है. कम से कम सार्वजनिक तौर पर तो पूरी तरह. आमिर खान ने अपनी प्रोडक्शन की एक फिल्म के डबल मीनिंग गाने को भूलकर, "अश्लीलता" के लिए करण जौहर और दीपिका को सार्वजनिक रूप से फटकार लगाई.
यहां तक कि ऐसे समय में जब मुख्यधारा के टिप्पणीकार भी आलोचना की जगह गुणगान कर रहे हैं, तो श्रीमती फन्नीबोन्स ने बुद्धिमान आलोचक के रूप में एक अच्छा उदाहरण स्थापित किया है. पाठक उनसे इस तरह के अंदाज की और उम्मीद कर सकते हैं क्योंकि एक सेलिब्रिटी के पास पाठकों तक पहुंचने की वो ताकत है जो दूसरे लोगों के पास नहीं होती.
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