ये तो NDA सरकार में भी इस्तीफा शुरू हो गया!
एम जे अकबर के इस्तीफे के साथ ही उनके खिलाफ #MeToo अभियान के एक चैप्टर पूरा हो गया है - और अब पटियाला हाउस कोर्ट में 16 अक्टूबर से दूसरा शुरू होने जा रहा है.
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आखिरकार परंपरा टूट ही गयी. UPA की तरह ही NDA सरकार में भी इस्तीफे का दौर शुरू हो ही गया. सोशल मीडिया के जरिये MeToo मुहिम ने जो दबाव बनाया कि मोदी सरकार टूट ही गयी - और एमजे अकबर को विदेश राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा देना ही पड़ा. 'बेटी बचाओ...' के स्लोगन को आगे बढ़ाते हुए सोशल मीडिया पर नवरात्र में देवी और दशहरे पर रावण तक की चर्चा चल पड़ी थी - और सरकार के पास कोई दूसरा रास्ता दिखायी नहीं दे रहा था.
पहले तो एमजे अकबर ने आरोपों को झूठा बताया - और कोर्ट में आपराधिक मानहानि का मुकदमा भी दायर कर दिया - लेकिन पीड़ितों के पक्ष में उठती आवाजों और लगातार बढ़ते सपोर्ट ने सरकार को बैकफुट पर जाने को मजबूर कर दिया.
...और शुरू हो गया इस्तीफा!
बड़े दावे के साथ राजनाथ सिंह ने तीन साल पहले कहा था - "नहीं नहीं... इसमें मंत्रियों के त्यागपत्र नहीं होते हैं भैया. यूपीए सरकार नहीं है... ये एनडीए सरकार है..." जिस तरह विपक्ष एमजे अकबर के इस्तीफे पर अड़ा था उसी तरह तब अकबर की सीनियर मंत्री सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे के इस्तीफे की मांग कर रहा था.
72 घंटे में इस्तीफा!
मगर, इस बार ऐसा नहीं हो सका. विदेश दौरे से लौटने के तीन दिन के भीतर ही एमजे अकबर ने विदेश राज्य मंत्री का पद छोड़ दिया - और अपने ट्विटर अकाउंट से जानकारी भी दी.
— M.J. Akbar (@mjakbar) October 17, 2018
अकबर के खिलाफ जंग का आगाज करने वाली पत्रकार प्रिया रमानी का फौरी रिएक्शन रहा - "अकबर के इस्तीफे से मेरे जैसी महिलाओं को सुकून मिला है... उम्मीद है कोर्ट से हमें न्याय मिलेगा."
As women we feel vindicated by MJ Akbar’s resignation. I look forward to the day when I will also get justice in court #metoo
— Priya Ramani (@priyaramani) October 17, 2018
प्रिया रमानी ने इस सिलसिले में एक स्टेटमेंट के साथ साथ अपनी बेटी के हाथ से लिखा एक नोट भी ट्वीट किया था - और सपोर्ट में उनके पति ने एक कॉलम भी लिखा था.
And my daughter’s secret note to me pic.twitter.com/JFKneogYxQ
— Priya Ramani (@priyaramani) October 15, 2018
"I am not a citizen, I cannot vote. I do not have a political agenda. Plus, I have a paper trail. My father wrote an email to Akbar about the incident to which he responded. I have evidence." #MeToohttps://t.co/VXmex8KtPP
— Samar Halarnkar (@samar11) October 15, 2018
My statement pic.twitter.com/1W7M2lDqPN
— Priya Ramani (@priyaramani) October 15, 2018
अकबर की जिंदगी के वो तीन दिन कैसे बीते?
भारत में मी टू मुहिम की शुरुआत और एमजे अकबर पर इल्जाम लगने के बाद शुरू से ही मोदी कैबिनेट में मेनका गांधी महिलाओं के समर्थन में मुखर रहीं. स्मृति ईरानी ये कहते हुए पल्ला झाड़ कर निकल लीं कि जेंटलमैन से ही पूछिये. सबसे ज्यादा हैरान करने वाली रही अकबर की सीनियर मंत्री सुषमा स्वराज की चुप्पी.
हां, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता दत्तात्रेय होसबोले ने #MeToo अभियान का समर्थन जरूर किया. होसबोले ने फेसबुक की पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर अंखी दास की पोस्ट शेयर अपना समर्थन जाहिर किया था.
I liked it. She has articulated what I was feeling .. pic.twitter.com/2uQpYdmeQs
— Dattatreya Hosabale (@DattaHosabale) October 11, 2018
अपनी सफाई में अकबर ने तमाम दलीलें पेश की थी. मसलन - मैं क्युबिकल में काम करता था, मेरा केबिन दूसरे लोगों से महज दो फीट दूर था. लगता है एशियन एज में प्रिया रमानी के साथ काम करने वाली 20 महिला साथियों के आ जाने से अकबर बुरी तरह घिरा महसूस करने लगे और फिर मोदी सरकार के संकटमोचक डैमेज कंट्रोल में जुट गये.
3 male journalists who have supported and backed the version of women complainants against #MJAkbar:@rasheedkidwai, @Akshayamukul , @kamleshksingh : )
— Padmaja joshi (@PadmajaJoshi) October 17, 2018
महिलाओं की मुहिम को संघ के सपोर्ट से साफ था कि वो अकबर के कैबिनेट में बने रहने के खिलाफ है. मगर, सरकार को एक सुरक्षित रास्ते की दरकार रही. इस मैराथन कोशिश में रंग लाई 16 अक्टूबर को अकबर से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की मुलाकात - और माना जा रहा है कि उसी के बाद अकबर इस्तीफा देने को तैयार हुए.
झुकती है दुनिया झुकाने वाला चाहिए...
अकबर के इस्तीफा देते ही सोशल मीडिया पर टिप्पणियों की भरमार लग गयी. आप विधायक अलका लांबा का कहना रहा - झुकती है दुनिया झुकाने वाला चाहिये. एक अन्य यूजर की प्रतिक्रिया रही - चलो अकबर भी गया, इलाहाबाद भी.
शानदार :)... झुकती है दुनियाँ झुकाने वाला चाहिये ????... आखिरकार प्रधानमंत्री मोदी जी को झुकना ही पड़ा .. देर आये दरुस्त आये ????.
आवाज़ बुलन्द करने वाली महिलाओं बहादुर महिलाओं को इस्तीफ़ा मुबारक़ :).#MeToo #MeTooIndia #MJAkbar https://t.co/Nn4whElIjp
— Alka Lamba (@LambaAlka) October 17, 2018
चलो अकबर भी गया और इलाहाबाद भी।
— Rafale Gandhi (@RoflGandhi_) October 17, 2018
Finally MJ Akbar has resigned. Shame on him for having delayed it for so long. The credit for the resignation goes not to the Centre or MJ Akbar but directly to the #MeToo campaign. Esp to those brave women who reported the assault & those women and men who stood by them.
— Swati Maliwal (@SwatiJaiHind) October 17, 2018
MJ Akbar had to resign. The tide of previous wrongs was too powerful to swim against.
— Harsha Bhogle (@bhogleharsha) October 17, 2018
Finally !!! It took two weeks and the bravery of nearly 20 women for #MJAkbar to quit. More power to women's rage, our right to work without harassment, our right to equality and our right to be. @priyaramani thank you & we remain with you in your legal battle. #MeToo https://t.co/F9D7oIeiIL
— barkha dutt (@BDUTT) October 17, 2018
आज तक पर मोदी सरकार का बचाव करते हुए बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने तमाम तर्कों के अलावा एक महत्वपूर्ण बात जरूर कही, "जो बेटियों ने चाहा वो आज हो गया."
बहरहाल, 'निजी हैसियत' से मोबाशर जावेद अकबर अब 18 अगस्त को पटियाला हाउस कोर्ट में आपराधिक मानहानि के अपने मुकदमे की पैरवी करेंगे - और दूसरी तरफ होंगी 20 पत्रकारों की टोली दो प्रिया रमानी के समर्थन में आगे आयी हैं.
सेक्शुअल हैरेसमेंट के जिन मामलों का एमजे अकबर पर इल्जाम लगा है, उसमें देर तो बहुत ही ज्यादा हुई है - लेकिन अंधेरा भी छंटने लगा है.
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