ऐलान करके पुरस्कार लौटाना भूल गए साहित्यकार!
पुरस्कार लौटाने का मकसद अगर विरोध जताना है तो जिन लेखकों को पद्मश्री सम्मान भी मिला हुआ है, वो क्यों नहीं लौटा रहे हैं...
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साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने का सिलसिला तो होड़ की हद तक पहुंच गया है. हालांकि आपको ये जानकर हैरानी होगी कि पुरस्कार लौटाने की घोषणा करने वालों में ज्यादातर ऐसे हैं, जिन्होंने पुरस्कार लौटाने की घोषणा कर सनसनी तो फैला दी लेकिन साहित्य अकादमी को इस बारे में चिट्ठी तक नहीं लिखी. पुरस्कार लौटाने वालों की संख्या तो दो दर्जन तक पहुंच चुकी है लेकिन सिर्फ इक्का-दुक्का ही हैं, जिन्होंने अकादमी पुरस्कार का स्मृति चिह्न और पुरस्कार राशि लौटाने की हिम्मत दिखाई है.
नई दिल्ली स्थित साहित्य अकादमी की बिल्डिंग शायद देखी होगी आपने. लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि इसी साहित्य अकादमी के पहले अध्यक्ष और देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू कभी इसमें रह चुके हैं. वही साहित्य अकादमी आजकल लगातार सुर्खियों में है. यहां काम करने वाले खुद हैरान हैं कि इस्तीफों और पुरस्कार लौटाने का ये सिलसिला आखिर कब रुकेगा. अब तक 23 साहित्यकार अकादमी पुरस्कार लौटाने का ऐलान कर चुके हैं. यूं कह लें कि अचानक ही साहित्य अकादमी पुरस्कार लेखकों के लिए गुस्सा जताने का एक मंच बन गया है.
अभिव्यक्ति की आजादी पर हमले के खिलाफ लेखक आवाज उठाएं, यह बात तो स्वाभाविक है. लेकिन जो बात हैरान करती है वो यह कि पुरस्कार लौटाने की घोषणा करने वाले कई साहित्यकारों ने ऐलान तो कर दिया लेकिन पुरस्कार लौटाना शायद भूल गए. आपको बता दें कि वर्तमान समय में साहित्य अकादमी पुरस्कार में एक लाख रुपये, एक शॉल और स्मृति चिह्न मिलता है.
साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की यात्रा:
- सितंबर के पहले हफ्ते में पुरस्कार लौटाओ मुहिम की शुरुआत की थी साहित्यकार उदय प्रकाश ने.
- इसके बाद अब तक 23 लेखकों ने साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा कर दी है.
- लेकिन साहित्य अकादमी को अब तक आधिकारिक तौर पर सिर्फ 8 साहित्यकारों ने पुरस्कार लौटाने के फैसले की चिट्ठी भेजी है.
- इन 8 में से भी सिर्फ तीन ही उदय प्रकाश, अशोक वाजपेयी और अमन सेठी ने पुरस्कार राशि और स्मृति चिह्न लौटाया है.
पुरस्कार लौटाने वालों में से दो लेखक जी.एन. देवी और सुरजीत पातर ऐसे हैं, जिन्हें पद्म पुरस्कार भी मिल चुका है. अब सवाल यह भी उठ रहा है कि पुरस्कार लौटाने का मकसद अगर विरोध जताना है तो ये लेखक पद्मश्री भी क्यों नहीं लौटा रहे हैं?
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