मोदी के इकोनॉमिक मॉडल के 3 भगवा आलोचक!
पीएम मोदी कहते हैं कि उन्होंने गरीबी को काफी करीब से देखा है, अब जिस तरीके से उनके वित्त मंत्री काम कर रहे हैं, उससे ऐसा लगता है कि वे सभी भारतीयों को गरीबी नजदीक से दिखाएंगे.
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देश में गिरती आर्थिक विकास और लड़खड़ाती हुई अर्थव्यवस्था के लिए यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. बीजेपी से जुड़े, अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने इंडियन एक्सप्रेस में लिखे अपने लेख के जरिए सरकार को आड़े हाथों लिया है. 'आई नीड टू स्पीक अप नाउ' के नाम से लेख लिख कर उन्होंने देश में गिरती हुई जीडीपी के लिए वर्त्तमान बीजेपी सरकार की आलोचना की हैं. एक तरफ जहां विपक्ष लगातार मोदी सरकार को इस मुद्दे पर घेर रही थी. वही पहली बार बीजेपी के अंदर से भी ऐसा डायरेक्ट अटैक देखने को मिला हैं.
यशवंत सिन्हायशवंत सिन्हा ने लिखा कि आज भारतीय अर्थव्यवस्था का पिक्चर क्या है? प्राइवेट इन्वेस्टमेंट सिकुड़ गयी है. जो इससे पहले दो दशक तक नहीं दिखा था. इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन चरमरा गयी है. कृषि क्षेत्र संकट में है. कंस्ट्रक्शन उद्योग, जो रोजगार प्रदान करने का बड़ा क्षेत्र है, सुस्त पड़ा हुआ है. जो बाकी सेवा क्षेत्र है वो भी धीमा हो चला है. निर्यात घटा है. एक क्षेत्र के बाद दूसरा क्षेत्र संकट में है, नोटबंदी निरंतर आर्थिक आपदा साबित हो रही है. जीएसटी को जिस तरह लागू किया उसका भी नेगेटिव असर अर्थव्यवस्था पर पड़ा है. और इसके कारण लाखों लोगों की नौकरी चली गयी और कई धंधो पर असर पड़ा है. उन्होंने लिखा कि तिमाही दर तिमाही अर्थव्यवस्था की विकास दर में गिरावट दर्ज हुई है, और जो वर्तमान में 5.7 प्रतिशत तक पहुंच गई है. उन्होंने सरकार के जीडीपी तय करने के तरीके पर भी सवाल उठाया है. उन्होंने लिखा, 2015 में जीडीपी तय करने का तरीका बदल दिया गया था. अगर पुराने नियमों के हिसाब से देखा जाए तो आज जीडीपी 3.7 प्रतिशत होती.
उन्होंने अपने लेख का अंत में कटाक्ष करते हुए लिखा कि पीएम मोदी कहते हैं कि उन्होंने गरीबी को काफी करीब से देखा है, अब जिस तरीके से उनके वित्त मंत्री काम कर रहे हैं, उससे ऐसा लगता है कि वे सभी भारतीयों को गरीबी नजदीक से दिखाएंगे.
मोदी सरकार की आलोचना पहले भी किया है
यशवंत सिन्हा ने पहले भी कई मुद्दों पर मोदी सरकार की आलोचना की है. उन्होंने मोदी की विदेश नीति खासकर पाकिस्तान से रिश्ता, कश्मीर समस्या आदि कई मुद्दों पर सरकार की खिंचाई की है. जुलाई 2016 में तो उन्होंने भारत सरकार की खिंचाई करते हुए कहा था कि 2015-16 के विकास दर का आकलन गलत तरीके से किया गया है. मोदी सरकार की आर्थिक और विदेश नीतियों को लेकर समय-समय पर आलोचना करते रहने वाले यशवंत सिन्हा ने उस समय भी सरकार के आर्थिक वृद्धि के दावों को खोखला बताया था.
अरुण शौरी भी कर चुके हैं हमला
अरुण शौरी हालांकि अब बीजेपी के सक्रिय नेता नहीं है. वो अटल जी के सरकार में मंत्री रह चुके है. 2015 में उन्होंने मोदी सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कहा था कि मोदी सरकार की आर्थिक नीतियां दिशाहीन है. उस समय बीजेपी ने साफ किया था कि अरुण शौरी पार्टी के सदस्य नहीं है. मई 2016 में भी एक इंटरव्यू में उन्होंने नरेंद्र मोदी पर अहंकारी होने और एक व्यक्ति के प्रभुत्व वाली सरकार चलाने का आरोप लगाया था. शौरी ने उस समय कहा था कि ऐसी सरकार की दिशा देश के लिए खतरनाक है. उन्होंने नोटबंदी को लेकर भी मोदी सरकार की आलोचना की थी.
सुब्रमण्यन स्वामी भी दिखाते रहते है आईना
2016 में उन्होंने उस समय बीजेपी सरकार में रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन पर देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया था. जून 2016 में उन्होंने सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन को भी नहीं छोड़ा था और उन पर गंभीर आरोप लगाए थे. वे समय-समय पर अपने ट्वीट और लेख के माध्यम से सरकार की आर्थिक नीतियों का मूल्यांकन करते रहते है. उनकी ट्वीट में कभी-कभी मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के लिए तंज भी रहता है.
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