कर्नाटक के मैदान से येदियुरप्पा भी कहीं धूमल की तरह धूमिल तो नहीं हो रहे?
बीएस येदियुरप्पा और प्रेम कुमार धूमल दोनों मोदी के करीबी माने जाते हैं. दोनों के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाये जाने में मोदी कनेक्शन ही काम आया. फिलहाल जो हालात हैं उसमें येदियुरप्पा भी धूमल वाली नाव पर सवार नजर आ रहे हैं.
-
Total Shares
कर्नाटक विधानसभा के लिए 12 मई को वोट डाले जाने हैं और 15 मई को नतीजे आएंगे. नतीजे क्या होंगे किसे पता? मगर, बीजेपी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा को नतीजे अपने पक्ष में ही नजर आ रहे हैं.
जीत को लेकर येदियुरप्पा को इतना भरोसा है कि उन्होंने अपने शपथग्रहण की तारीख तक मुकर्रर कर दी है, 'मैं 18 मई को शपथ लूंगा.' अपने दावे को मजबूती देने के लिए बताते भी हैं, 'मैंने प्रधानमंत्री से बेंगलुरू में रहने का अनुरोध किया है. हम पर्याप्त सीटें जीतने जा रहे हैं.'
कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके येदियुरप्पा का ये बयान तब आया है जब कर्नाटक में त्रिशंकु विधानसभा की संभावना बन रही है. इंडिया टुडे के सर्वे से ये बात सामने आ चुकी है.
'त्रिशंकु विधानसभा हुई तो भी क्या सीएम वह बनेंगे?'
इंडिया टुडे के इस सवाल पर येदियुरप्पा कहते हैं, 'ये संभव ही नहीं है. यूपी में जो कुछ हुआ, वही कर्नाटक में भी होगा. यहां कोई त्रिशंकु विधानसभा नहीं होने जा रही, हमें पूर्ण बहुमत मिलेगा और हम अगली सरकार बनाएंगे.'
मोदी के साथ येदियुरप्पा की आखिरी रैली
चामराजनगर में हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में येदियुरप्पा मंच पर मौजूद थे. खास बात ये है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में येदियुरप्पा आखिरी बार मोदी के साथ सार्वजनिक तौर पर मंच शेयर कर रहे थे.
मोदी के साथ येदियुरप्पा की आखिरी चुनावी रैली
असल में येदियुरप्पा को आलाकमान की ओर से पहले ही बता दिया गया है कि वो चुनाव प्रचार का रूट अपने हिसाब से अलग से बना लें. मतलब, प्रधानमंत्री और येदियुरप्पा दोनों की रैलियां होंगी, मगर साथ साथ नहीं. बीजेपी की ओर से इस बारे में बताया गया है कि ऐसा ज्यादा से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों के कवर करने के मकसद से किया गया है. हकीकत जो भी हो बीजेपी के इस कदम से कांग्रेस को सवाल पूछने का मौका तो मिल ही गया है.
You first make scam tainted @BSYBJP your party’s CM face in Karnataka. Then media reports that you don’t want to be seen sharing the stage with him at rallies!
Karnataka wants to know if Yeddyurappa is still your CM candidate?
— Siddaramaiah (@siddaramaiah) April 30, 2018
पहले येदियुरप्पा और उसके बाद रेड्डी बंधु शुरू से ही कांग्रेस के निशाने पर रहे हैं. दिल्ली में जन-आक्रोश रैली में भी राहुल गांधी ने कहा था कि मंच पर जब प्रधानमंत्री मोदी होंगे तो उनके एक तरफ जेल जा चुके येदियुरप्पा खड़े होंगे और दूसरी तरफ जेल से छूटे रेड्डी बंधु. रेड्डी बंधुओं को क्लीन चिट देने पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी येदियुरप्पा पर हमला बोला था.
Very interesting! @BSYBJP has pardoned Reddy in interest of state
1 Which interest of Karnataka is served by pardoning someone who looted thousands of crores of Kannadigas’ wealth?
2 Is it upto you to pardon him?
3 Did you ask PM Modi to direct CBI to formalise the ‘pardon’? pic.twitter.com/50D759dNRr
— Siddaramaiah (@siddaramaiah) April 27, 2018
कहीं धूमल का हाल तो नहीं होने वाला
येदियुरप्पा ने खुद ही मीडिया को बताया था कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें अलग से अपनी चुनावी मुहिम तैयार करने को कहा था. येदियुरप्पा ने 10 मई तक रोजाना पांच रैलियां करने का लक्ष्य रखा था. वैसे फिलहाल कम से कम तीन रैली रोज तो कर ही रहे हैं.
दरअसल, येदियुरप्पा से अमित शाह नाराज बताये जाते हैं. नाराजगी का सबूत अमित शाह की बेल्लारी रैली के रद्द होने में खोजा जा रहा है. बेल्लारी सिटी से बीजेपी टिकट पर रेड्डी बंधुओं में से एक जी सोमशेखर रेड्डी चुनाव लड़ रहे हैं - और हरनपल्ली सीट से जी करुणाकरण रेड्डी. इंडियन एक्सप्रेस के सवाल के जवाब में येदियुरप्पा इसे लेकर किसी भी तरह की नकारात्मक छवि से इंकार करते हैं - बताते हैं कि उनके नाम पर हरी झंडी अमित शाह ने ही दिखायी है. साथ में दलील ये भी है कि बीजेपी ने जी जनार्दन रेड्डी को टिकट नहीं दिया है. इंडिया टुडे के साथ इंटरव्यू में भी येदियुरप्पा का कहना रहा कि शाह को सिर्फ जी जनार्दन रेड्डी के को लेकर दिक्कत रही जिन्हें इलाके में खनन माफिया के तौर पर जाना जाता है.
उपवास साथ साथ, रैली में अलग अलग
रेड्डी बंधुओं को टिकट दिये जाने को लेकर येदियुरप्पा कहते हैं कि ये सब वो बीजेपी की जीत सुनिश्चित करने के लिए कर रहे हैं. बावजूद इन सब के अमित शाह कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष येदियुरप्पा से खासे खफा हैं.
अमित शाह की नाराजगी की बड़ी वजह येदियुरप्पा के बेटे विजयेंद्र हैं. वो वरुणा सीट से नामांकन करने ही जा रहे थे कि ऐन वक्त पर पीछे हटना पड़ा. इसकी घोषणा भी खुद येदियुरप्पा ने की. इस बात को लेकर विजयेंद्र के समर्थकों ने खूब बवाल भी किया. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक येदियुरप्पा के पास दिल्ली से इसके लिए खास तौर पर फोन किया गया था. वरुणा सीट से ही सिद्धारमैया के बेटे यतींद्र चुनाव लड़ रहे हैं. सिद्धारमैया ने बेटे के लिए अपनी सीट छोड़ी है - और फिर चामुंडेश्वरी और बादामी से किस्मत आजमा रहे हैं.
येदियुरप्पा का ये मोदी कनेक्शन ही रहा जो उनके अनुभव का इस्तेमाल मार्गदर्शक मंडल की जगह कर्नाटक के लिए सीएम कैंडिडेट घोषित किया गया - जहां उनकी उम्र आड़े नहीं आयी. हालांकि, अब जो कुछ भी हो रहा है, उसने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव की यादें ताजा कर दी है. हिमाचल प्रदेश में बीजेपी ने प्रेम कुमार धूमल को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था. तब चर्चा ये भी रही कि अमित शाह उन्हें टिकट देने के पक्ष में भी नहीं थे. फिर पुरानी दोस्ती के बूते मोदी से दबाव डलवाकर धूमल टिकट तो हासिल कर लिये, लेकिन अपनी ही सीट से हार गये. कहीं कर्नाटक में भी हिमाचल का इतिहास तो नहीं दोहराया जाने वाला? येदियुरप्पा का भी धूमल जैसा ही हाल तो नहीं होने वाला? लक्षण कुछ ठीक नहीं लग रहे हैं.
इन्हें भी पढ़ें :
कर्नाटक चुनाव : गलती जुबान की नहीं है, कर्नाटक में दोष बीएस येदियुरप्पा के भाग्य का है
मोदी-शाह का कांग्रेस मुक्त कर्नाटक फॉर्मूला, आजमाये हुए चुनावी नुस्खों की खिचड़ी है
विकास अपना खुद देख ले, चुनावों में सिर्फ धर्म और जाति की चलेगी!
आपकी राय