'एक्टिविस्ट' योगेंद्र यादव अब कांग्रेस के लिए 'पिच' तैयार करेंगे!
कांग्रेस (Congress) की 'भारत जोड़ो यात्रा' से योगेंद्र यादव (Yogendra Yadav) जुड़ गए हैं. किसान आंदोलन के दौरान खुद को तटस्थ सोशल एक्टिविस्ट के रूप रखते आए यादव के सियासी मंसूबे समय-समय पर नजर आते रहे हैं.
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7 सितंबर 2022 से शुरू होने वाली कांग्रेस की 'भारत जोड़ो यात्रा' के लिए पार्टी नेतृत्व ने समर्थन जुटाना शुरू कर दिया है. और, इसी कड़ी में किसान आंदोलन करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य योगेंद्र यादव भी अब राहुल गांधी के साथ जुड़ गए हैं. हालांकि, राहुल गांधी और कांग्रेस को समर्थन देने के मामले में योगेंद्र यादव अकेले नहीं हैं. उनके साथ 150 सामाजिक संगठनों यानी सिविल सोसाइटी ऑर्गनाइजेशन ने भी राहुल गांधी की इस 'भारत जोड़ो यात्रा' को अपना समर्थन दिया है. लेकिन, सबसे ज्यादा चर्चा योगेंद्र यादव के ही हिस्से में जा रही है. क्योंकि, योगेंद्र यादव दावा करते हैं कि उनका किसी भी राजनीतिक पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है. और, वे सिर्फ एक्टिविस्ट हैं. खैर, जैसा योगेंद्र यादव का इतिहास रहा है, उसे देखते हुए उन्हें 'सुपारी एक्टिविस्ट' कहना ज्यादा सही होगा. आइए जानते हैं क्यों...
Neutral activists acting as spot boys in Rahul Gandhi’s meeting pic.twitter.com/zv7IbuazpL
— Rishi Bagree (@rishibagree) August 22, 2022
सियासी रंग में रंगा 'एक्टिविज्म'
योगेंद्र यादव के पास धरना-प्रदर्शन और आंदोलनों को चलाने का एक लंबा अनुभव है. अन्ना हजारे के जन लोकपाल सत्याग्रह, शाहीन बाग का धरना-प्रदर्शन, कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन समेत मोदी सरकार के खिलाफ होने वाले विरोध-प्रदर्शनों में योगेंद्र यादव की एक्टिव भूमिका रही है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो योगेंद्र यादव एक बेहतरीन 'सुपारी एक्टिविस्ट' हैं. जो केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ माहौल बनाने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं. और, जब राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' का मूल उद्देश्य ही पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ देश में माहौल बनाना है. तो, योगेंद्र यादव ये मौका कैसे छोड़ सकते थे?
योगेंद्र यादव खुद को सियासी तौर पर तटस्थ बताते हैं. लेकिन, उनकी हरकतें सारी पोल-पट्टी खोल देती हैं.
कहा था 'हमने ही सपा के लिए यूपी चुनाव की 'पिच' तैयार की थी'
संयुक्त किसान मोर्चा ने देश में एक बड़ा किसान आंदोलन खड़ा किया था. हालांकि, इसके नतीजे संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों के अनुरूप नहीं आ सके थे. दरअसल, दिल्ली की सीमाओं पर करीब एक साल तक चला किसान आंदोलन खड़ा करने में योगेंद्र यादव समेत माओवादी नेता दर्शन पाल सिंह जैसे लोग शामिल थे. वैसे तो इस संयुक्त किसान मोर्चा का उद्देश्य कृषि कानूनों की वापसी ही था. लेकिन, संयुक्त किसान मोर्चा ने एक साल के दौरान पश्चिम बंगाल से लेकर उत्तर प्रदेश तक विधानसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी.
On the day the SC report's findings reveal 83% farmers wanted the 3 farm laws to be passed, one of the prominent faces of the so-called farmer agitation openly admitted that the whole purpose of the agitation was to lay the ground for BJP's defeat in UP.pic.twitter.com/jVEWYb4hvv
— Ajit Datta (@ajitdatta) March 22, 2022
खुद योगेंद्र यादव ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि 'किसान आंदोलन इस मैच (चुनाव) में खिलाड़ी नहीं था. किसान आंदोलन की भूमिका पिच तैयार करने की थी. पिच हमने तैयार की, हमने इस पर हेवी सा रोलर भी चलाया ताकि सीमर को, तेंज गेंदबाज को विकेट उखाड़ने में मदद मिले. लेकिन, बॉलिंग तो हमें नहीं करनी थी. बॉलिंग तो अखिलेश जी को करनी थी और वो अगर योगी जी को आउट नहीं कर सके. तो, खाली पिच बनाने वाले के दोष देना ठीक नहीं है. मामला बॉलिंग, बैटिंग सबका है. अंतत: खेल उनका है, खेल पार्टियों का है.'
किसान आंदोलन पर योगेंद्र यादव ने ही लगा दिया था प्रश्न चिन्ह
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के विरोध करने वाले योगेंद्र यादव कभी खुद इन कानूनों की वकालत करते रहे थे. लेकिन, फर्क बस इतना था कि तब केंद्र में दोबारा भाजपा की सरकार नहीं बनी थी यानी 2018 में. इस वीडियो में योगेंद्र यादव किसानों को सीधे बाजार में अपनी अपनी उपज बेचने, किसान और उपभोक्ता के बीच से बिचौलियों को खत्म करने जैसी बातें कही थीं. लेकिन, जब इन्हीं चीजों पर केंद्र सरकार कृषि कानून लाई थी, तो योगेंद्र यादव ने इसका विरोध किया था. वैसे, इन्हीं योगेंद्र यादव को किसानों के प्रतिनिधिमंडल में जब जगह नहीं दी गई थी. तो, उन्होंने इस पर अपनी नाराजगी भी जताई थी. क्योंकि, योगेंद्र यादव कृषि कानूनों पर सीधे मोदी सरकार के साथ बातचीत करना चाहते थे.
Yogendra Yadav in 2018 wanted Govt to link Farmers directly to market.When Modi Govt did it, Aandolan Jeevi is opposing the same. pic.twitter.com/dyaPq4uGP8
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) February 8, 2021
'आंदोलनजीवी' शब्द पर खूब उछले थे योगेंद्र
बीते साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में 'आंदोलनजीवी' (Andolanjivi) शब्द का इस्तेमाल किया था. वैसे तो आंदोलनजीवी शब्द पर हर विपक्षी सियासी दल ने बवाल मचाया था. लेकिन, इस पर सबसे तीखी प्रतिक्रिया योगेंद्र यादव की ही आई थी. ट्विटर पर लाइव किए गए करीब 14 मिनट के वीडियो में योगेंद्र यादव ने खुद को 'सुपारी एक्टिविस्ट' घोषित होने से बचने की हरसंभव कोशिश की थी. लेकिन, वह कर भी क्या सकते थे? अब ऐसा तो नहीं हो सकता था कि जो योगेंद्र यादव किसी भी आंदोलन में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हो जाते हों. और, आंदोलन में मोदी सरकार के विरोध को बढ़ावा देते हों. वो खुद को आंदोलनजीवी साबित होने से कैसे बचा सकते थे.
अब राहुल गांधी के साथ
कांग्रेस ने भारत जोड़ो यात्रा के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिशें कर रही है. यह यात्रा एक तरह का आंदोलन ही है. तो, योगेंद्र यादव इससे शायद ही दूर रह पाते. वैसे, इन्हीं योगेंद्र यादव ने 2019 के चुनाव नतीजे सामने आने के बाद कहा था कि 'कांग्रेस को खत्म हो जाना चाहिए. क्योंकि, राजनीति में विकल्प के रास्ते में कांग्रेस ही सबसे बड़ा अवरोध है.'
The Congress must die.If it could not stop the BJP in this election to save the idea of India, this party has no positive role in Indian history. Today it represents the single biggest obstacle to creation of an alternative.My reaction to @sardesairajdeep https://t.co/IwlmBmf75d
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) May 19, 2019
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