महापुरुषों के नाम पर होने वाली सियासत की भी 'छुट्टी' !
रद्द की गई इन 15 छुट्टियों पर स्कूल और कॉलेजों में पढ़ाई होगी और दो घंटे तक उन महापुरुषों के बारे में स्टूडेंटस को बताया जाएगा. अगर महापुरुष की जयंती पर अवकाश रहेगा तो भला बच्चे इनके बारे में कैसे जानेंगे ?
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लगातार काम करते-करते जब छुट्टी वाला दिन आता है तो यह किसे अच्छा नहीं लगता? हमलोग इस अवकाश का बड़ी बेसब्री से इंतजार भी करते हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश हमारे देश में ऐसा राज्य है जहां लोगों को छुट्टियों का ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ता था, खासकर सरकारी दफ्तरों में काम करनेवाले लोगों को. वैसे तो समूचे भारत में नेशनल और रिलिजन के आधार पर पहले से ही काफी छुट्टियां हैं लेकिन उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य है जहां सबसे अधिक सरकारी अवकाश घोषित हैं, और हो भी क्यों नहीं, यहां जातीय और धार्मिक राजनीतिक समीकरण को साधने के लिए महापुरुषों के नाम पर सरकारी अवकाश की घोषणाएं रेवड़ियां बांटने की तरह की गयी हैं. लेकिन सरकारी बाबुओं के लिए अच्छे दिन अब गए क्योंकि यहां के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री ने 15 छुट्टियों को खत्म करने का फैसला लिया है.
इसी महीने अंबेडकर जयंती के अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि महापुरुषों के जन्मदिन की छुट्टी के बजाय उस दिन महापुरुषों की जिंदगी के बारे में बच्चों को बताया जाना चाहिए जिससे वे उनकी जिंदगी से प्रेरणा हासिल कर सकें. अपनी इच्छा को साकार रूप देते हुए योगी आदित्यनाथ अपनी चौथी कैबिनेट मीटिंग में महापुरुषों के जन्मदिन और पुण्यतिथि पर होने वाली सभी छुट्टियों को खत्म कर दिया. हालांकि जिन महापुरुषों की जयंती पर राष्ट्रीय अवकाश होता है वो छुट्टियां चलती रहेंगी.
मुख्यमंत्री का तर्क तो बिलकुल सही प्रतीत होता है. जब किसी भी महापुरुष की जयंती पर अवकाश रहेगा तो भला बच्चों को कैसे पता चलेगा इन महापुरुषों के बारे में? ऐसी छुट्टियों की परंपरा बंद होनी ही चाहिए थी.
अब आइये जानते हैं उत्तर प्रदेश में कितनी छुट्टियां होती थीं
आपको यह जानकर अजीब जरूर लगेगा कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के जन्मदिन की छुट्टी बिहार नहीं है लेकिन यूपी में होती है. इसका साफ मकसद उनकी जाति को खुश करना होता है. कर्पूरी ठाकुर की छुट्टी नाई समाज को, अंबेडकर परिनिर्वाण की छुट्टी दलितों को, परशुराम जयंती की छुट्टी ब्राह्मणों को, चंद्रशेखर जयंती की छुट्टी राजपूतों को, ख्वाजा गरीब नवाज के जन्मदिवस की छुट्टी सुन्नियों को हजरत अली के जन्मदिन की छुट्टी शियाओं को, निषादराज के जन्मदिन की छुट्टी पिछड़ों को, इसी तरह छठ की छुट्टी पूर्वी यूपी वालों को खुश करने को की गई थी.
अगर उत्तर प्रदेश के सरकारी दफ्तरों में मिलने वाली सारी छुट्टियों का हिसाब निकाला जाए तो 365 दिनों में 192 दिन सरकारी छुट्टियां होती हैं.
आइये अब जानते हैं उन छुट्टियों के बारे में जिन्हें निर्बंधित अवकाश में सम्मिलित किया जाना है.
यह निर्णय केवल कैलेंडर वर्ष 2017 के लिए घोषित, सार्वजनिक अवकाशों पर लागू माना जाएगा
1. कर्पूरी ठाकुर जन्मदिवस- 24 जनवरी
2. महर्षि कश्यप और महाराज गुहा जयंती- 5 अप्रैल
3. चेटी चंद- 29 मार्च
4. हज़रत ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती- 14 अप्रैल
5. चंद्रशेखर जयंती- 17 अप्रैल
6. परशुराम जयंती- 28 अप्रैल
7. महाराणा प्रताप जयंती- 9 मई
8. ज़मात-उल-विदा- 23 जून
9. विश्वकर्मा पूजा- 17 सितम्बर
10. महाराणा अग्रसेन जयंती- 21 सितम्बर
11. वाल्मीकि जयंती- 5 अक्टूबर
12. छठ पूजा- 26 अक्टूबर
13. पटेल और नरेंद्र देव जयंती- 31 अक्टूबर
14. ईद-ए-मिलादुन्नवी- 2 दिसंबर
15. चौधरी चरण सिंह जयंती- 23 दिसंबर
राज्य के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बैठक के बाद पत्रकारों को बताया कि बैठक में महापुरुषों के जन्मदिन और कुछ अन्य त्योहारों पर मिलने वाली 15 छुट्टियों को रोकने का फैसला किया गया है. स्कूल और कॉलेजों में इस दिन पढ़ाई होगी और दो घंटे तक उन महापुरुषों के बारे में स्टूडेंटस को बताया जाएगा. छुट्टियों की रिवाइज्ड लिस्ट जल्द ही जारी होगी. इन छुट्टियों के कारण 220 दिन की पढ़ाई 120 दिनों में सिमट गई थी. यूपी में 42 सार्वजनिक छुट्टियां हैं, जिनमें से 17 का संबंध किसी न किसी महापुरुष के बर्थडे या जयंती से संबंधित है.
समाज में छुट्टियां तो होनी ही चाहिए, बल्कि उन त्योहारों की छुट्टियां होनी चाहिए जिसमें समाज और परिवार की सहभागिता हो जैसे: होली, दीवाली, दशहरा, ईद, गुरु पूर्णिमा, क्रिसमस आदि. ना कि समाज को तोड़ने वाली छुट्टियां जो खास जातियों को खुश कर वोट पाने के लिए जाएं. इसमें संदेह नहीं कि इससे स्कूली बच्चों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश भी विकास की तरफ बढ़ेगा. और तो और ज्यादा दिन कार्यालय खुलने से पेंडिंग पड़े काम समय पर पूरा हो पाएंगे.
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