'बिच्छू, राम मंदिर, अब्बा जान' के साथ योगी आदित्यनाथ अपने 'काम' पर लग चुके हैं!
ये बात पहले से ही तय मानी जा रही थी कि भाजपा की ओर से इस बार यूपी चुनाव (UP Election 2022) में तालिबान, राम मंदिर, अब्बा जान जैसे शब्दों का ही बोलबाला रहेगा. खैर, योगी आदित्यनाथ के तीखे बयानों की लिस्ट ने इस बात पर मुहर भी लगा दी है. जिलों के दौरों पर निकले सीएम योगी ने अपने पुराने सियासी हथियारों को फिर से निकालकर चुनावी पिच पर बैटिंग करनी शुरू कर दी है.
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यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Elections 2022) के मद्देनजर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा कैंपेन टीम की घोषणा के साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) भी अपने रंग में नजर आने लगे हैं. हिंदुत्व के फायरब्रांड नेता सीएम योगी अब पूरी तरह से चुनावी मोड में आ चुके हैं. ये बात पहले से ही तय मानी जा रही थी कि भाजपा की ओर से इस बार यूपी चुनाव (UP Election 2022) में तालिबान, राम मंदिर, अब्बा जान जैसे शब्दों का ही बोलबाला रहेगा. खैर, योगी आदित्यनाथ के तीखे बयानों की लिस्ट ने इस बात पर मुहर भी लगा दी है. सूबे के जिलों के दौरों पर निकले सीएम योगी ने अपने पुराने सियासी हथियारों को फिर से निकालकर चुनावी पिच पर बैटिंग करनी शुरू कर दी है. कुशीनगर में एक कार्यक्रम के दौरान योगी आदित्यनाथ ने पूर्ववर्ती सरकारों पर चुन-चुनकर निशाना साधा. जातिवादी, वंशवादी, तुष्टीकरण की राजनीति करने के आरोपों के साथ ही योगी आदित्यनाथ अपने 'काम' पर लग चुके हैं.
राम मंदिर निर्माण के लिए चलाए गए समर्पण निधि अभियान की सफलता किसी से छिपी नहीं है.
राम मंदिर के सहारे हिंदुत्व को धार
योगी आदित्यनाथ बिना किसी लाग-लपेट के लव जिहाद, धर्मांतरण, जनसंख्या नियंत्रण सरीखे कानूनों के सहारे हिंदू मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में मोड़ने के दांव पहले ही चल चुके हैं. अब इसे कैश कराने का समय आ गया है, तो सीएम योगी फिर से अपने पुराने रूप में वापस आ गए हैं. सीएम बनने के बाद यूपी में योगी आदित्यनाथ के भाषणों में भले ही पहले वाली तल्खी नजर न आती हो. लेकिन, अन्य राज्यों में प्रचार के दौरान उनकी भाषा में जरा सा भी बदलाव दिखाई नहीं पड़ता था. बंगाल चुनाव के दौरान गुंडों को जेल भेजने से लेकर गोकशी करने वालों के लिए कड़े कानून तक की बात योगी ने बेबाक होकर कही थी. हालांकि, बंगाल में भाजपा का सरकार बनाने का सपना पूरा नहीं हो सका. लेकिन, 3 विधायकों वाली पार्टी टीएमसी के बाद सबसे बड़ा विपक्षी दल तो बन ही चुकी है. भाजपा के लिए राम मंदिर 'मील का पत्थर' साबित हो चुका है. राम मंदिर निर्माण के लिए चलाए गए समर्पण निधि अभियान की सफलता किसी से छिपी नहीं है. उत्तर प्रदेश में इस अभियान को विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा का जमीनी सर्वे माना जा रहा था. और, इसमें वो कामयाब भी होते दिखे. कुशीनगर के एक कार्यक्रम में उन्होंने सवाल पूछा कि क्या राम भक्तों पर गोली चलाने वाले राम मंदिर बनाते?
अब्बा जान से मुस्लिम तुष्टीकरण तक
'आज तक' के एक कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ ने मुलायम सिंह यादव का नाम लिए बिना अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए कहा था कि उनके अब्बा जान कहते थे कि अयोध्या में परिंदा भी पर नहीं मार सकता. खैर, ये उसी समय तय हो गया था कि अब्बा जान शब्द का असर यूपी की राजनीति में आगे तक देखने को मिलेगा. दरअसल, अब्बा जान कोई अजूबा शब्द नही है. लेकिन, उत्तर प्रदेश में इस शब्द के मायने बदल जाते हैं. समाजवादी पार्टी लंबे समय तक एमवाई (M+Y) समीकरण के सहारे अपने सियासी आधार को मजबूत करती रही है. इस लिस्ट में कांग्रेस और बसपा भी शामिल हैं. तो, इस एक शब्द से विपक्षी दलों पर निशाना साधना बहुत आसान हो जाता है. वहीं, इस शब्द के सहारे अप्रत्यक्ष तौर पर मुस्लिम समुदाय भी निशाने पर आ जाता है. ऐसा लगता है कि योगी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद अपनी भाषा में थोड़ा करेक्शन कर लिया है. योगी आदित्यनाथ अपने भाषणों में 'सबका साथ, सबका विकास' के साथ सबका विश्वास जोड़ना नहीं भूलते हैं. लेकिन, ये भी बताने से पीछे नहीं हटते हैं कि पिछली सरकारों में मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति की वजह से प्रदेश की जनता का भरपूर नुकसान हुआ है.
तालिबान ने की अप्रत्यक्ष रूप से की भाजपा की मदद
अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा करना तो यूपी विधानसभा चुनाव 2022 से पहले भाजपा के लिए ऐसा रहा जैसे किसी ने उत्तर प्रदेश की सत्ता को थाल में सजाकर योगी आदित्यनाथ के सामने रख दिया हो. रही-सही कसर सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने और तालिबान को हिंदी मुसलमान का सलाम देकर एक उलेमा ने पूरी कर दी. योगी आदित्यनाथ ने मौके और दस्तूर का पूरा फायदा उठाते हुए ट्वीट करते हुए लिखा कि राम भक्तों पर गोली चलाने वाली तालिबान समर्थक जातिवादी-वंशवादी मानसिकता को प्रदेश की जनता कत्तई बर्दाश्त न करे. याद रखिएगा. बिच्छू कहीं भी होगा तो डंसेगा. कहना गलत नहीं होगा कि सत्ता में वापसी के लिए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव प्रबुद्ध सम्मेलन, दलित दिवाली जैसी कोशिशों के सहारे एक-एक वोट को जोड़ने में जुटे हैं. और, उन्हीं की पार्टी के नेता उस पर मिट्टी डालने पर आमादा नजर आ रहे हैं. और, भाजपा इस मौके का फायदा उठाने से बिल्कुल भी चूकने के मूड में नही है.
विपक्षी दलों को चित्त करने का 'सुल्तानी दांव'
यूपी चुनाव होने में ज्यादा समय नही बचा है, तो हिंदुत्व से लेकर राष्ट्रवाद तक की बातें होना लाजिमी हैं. राम मंदिर से इतर धारा 370, तीन तलाक, सीएए जैसे मुद्दों को धीरे-धीरे चुनावी पिच पर लाने के लिए एजेंडा सेट करने की थ्योरी पर काम किया जाने लगा है. योगी आदित्यनाथ ने कुशीनगर की रैली में सवाल पूछते हुए कहा कि क्या राम भक्तों पर गोली चलाने वाले राम मंदिर बनाते? क्या गोली चलाने वाले और दंगा कराने वाले कश्मीर से धारा 370 को हटाते? तालिबान का समर्थन करने वाले तीन तलाक को रोकते? इन सवालों से सीएम योगी वो दांव चल रहे हैं, जो विपक्षी दलों को लंबे समय से चित्त करता चला आ रहा है. इन सभी मुद्दों पर सपा और कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों के पास प्रतिरोध करने के नाम पर इंच भर भी जगह नहीं है. अगर इन मामलों पर विपक्षी दल हल्का-फुल्का सा भी दाएं-बाएं होते हैं, तो उसका सीधा असर मतदाताओं पर होगा. और, पहले से ही मुश्किल में फंसे सपा, कांग्रेस, बसपा इन तारों को छेड़ने की जहमत नही उठाएंगे.
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