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Updated: 24 अप्रिल, 2017 11:27 PM
अशोक सिंघल
अशोक सिंघल
 
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योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बने करीब एक महीना ही हुआ है. लेकिन इतने कम समय में योगी मीडिया से लेकर तमाम राजनीतिक गलियारों में छाए हुए हैं. जहां भी जाओ योगी की ही चर्चा होती है. बीजेपी के नेता हो या मंत्री, तमाम लोग उनके कामकाज की तारीफ करते हुए चर्चा करते हैं. साथ-साथ विपक्ष के नेता भी उन्हीं के बारे में बतियाते दिखते हैं. सभी की जुबान से यही निकलता है योगी अच्छा काम कर रहे हैं. योगी जहां भी जाते हैं आकर्षण का केंद्र रहते हैं. कल वह नीति आयोग की बैठक में भाग लेने के दिल्ली आए तो पूरी मीडिया का आकर्षण का केंद्र योगी आदित्यनाथ थे. जबकि वहां पर बहुत राज्यों के मुख्यमंत्री आए थे, लेकिन कैमरा योगी को ढूंढ रहा था.

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राजनीतिक गलियारों में तो योगी के काम करने की तुलना मोदी से होने लगी है. राजनीतिक जानकार तो यह भी कहने लगे हैं कि मोदी के बाद का नेता योगी के  तौर पर उनको मिल गया है. बीजेपी और विपक्ष के नेता यह भी  चर्चा करते हैं कि मोदी और योगी की मेहनत और तरीका मिलता है.प्रधानमंत्री बनने से पहले जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, वह भी इसी प्रकार मीडिया और सबके आकर्षण का केंद्र रहा करते थे. जब वह गुजरात से दिल्ली आते थे तो मीडिया की नजर हमेशा उनको ढूंढती रहती थी. उसी प्रकार योगी भी मुख्यमंत्री बनने के बाद खास आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. योगी कुछ भी करते हैं वो मीडिया के लिए खबर होती है.

मुख्यमंत्री बनने से पहले योगी आदित्यनाथ की छवि बेशक कट्टर हिंदूवादी नेता की रही है और उसी अंदाज में उनके भाषण और काम दिखाई देते थे. लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद वह मोदी के एजंडे पर काम कर रहे हैं. सबका साथ सबका विकास के नारे को उन्होंने उत्तर प्रदेश में लागू करने की कोशिश की है. इस बात का प्रमाण इससे लगाया जा सकता है कि उन्होंने गरीब मुस्लिम महिलाओं के लिए शादी में मेहर देने की बात  की. उन्होंने हज़रत अली के जन्मदिन पर ट्वीट भी किया. कहीं ना कहीं वह जो कट्टर हिंदुत्व की इमेज थी उससे बाहर आकर सभी का साथ सभी का विकास के नारे पर आगे बढ़ने की बात कर रहे हैं. इसीलिए राजनीतिक गलियारों में चाहे बीजेपी का  या कांग्रेस का या दूसरी पार्टियों का यही चर्चा हो रही है कि क्या बीजेपी को भविष्य का दूसरा मोदी मिल गया है?

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लेकिन राजनीतिक विश्लेषक यह भी मानते हैं कि अभी योगी को मुख्यमंत्री बने हुए सिर्फ एक ही महीना हुआ है. अभी उनके काम का मूल्यांकन करना जल्दी होगा. अभी तो यह भी देखना होगा कि जितनी घोषणाएं योगी ने की हैं, जो वादे वह कर रहे हैं, जमीन पर कितना कर पाएंगे. इसलिए मोदी या किसी भी नेता से उनकी तुलना अभी जल्दबाजी होगी. वैसे भी 2019 के लिए तो एनडीए और बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व  में ही चुनाव लड़ने की बात कर चुका है. इसलिए योगी को पहले तो उत्तर प्रदेश से 2019 में लोकसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतकर देनी होंगी. तभी उनके काम का मुल्यांकन हो पाएगा.

मुख्यमंत्री बनते ही योगी ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का मुद्दा, किसानों की दुर्दशा या उनके विकास का मुद्दा, महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा, इन सभी पर काम करना शुरु कर दिया. मोदी अंदाज में योगी ने भी उत्तर प्रदेश में सभी विभागों को काम करने का एक टारगेट दिया. योगी ने आते ही शिक्षा, स्वास्थ्य, किसान और आम आदमी के लिए योजनाओं की बात की.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने आप को फकीर बताते हैं और योगी आदित्यनाथ के समर्थक भी योगी को फकीर मानते हैं. दोनों ही देर तक जाग कर काम करते हैं. तो सुबह जल्दी उठते हैं. दोनों का उस ढंग से निजी परिवार भी नहीं है. मोदी की मां उनके भाइयों के साथ रहती हैं. जबकि  योगी के मां बाप भी उत्तराखंड में उनके भाइयों के साथ रहते हैं.

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लेखक

अशोक सिंघल अशोक सिंघल

लेखक आजतक नैशनल ब्यूरो के एडिटर हैं

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