मिशन गुजरात पर योगी आदित्यनाथ
बीजेपी में जीत को लेकर कहीं न कहीं संदेह जरूर है और इसीलिए गुजरात में वो सारे फॉर्मूले अपना रही है. योगी आदित्यनाथ का दौरा उन्हीं में से एक है.
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बीजेपी में एक स्टार नेता के रूप में अपनी पहचान बनाते जा रहे हैं. गुजरात में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. बीजेपी इस राज्य में स्टार प्रचारक के रूप में योगी आदित्यनाथ को ट्रम्प कार्ड के रूप में इस्तेमाल करने की योजना बना चुकी हैं. वो योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता और हिंदुत्ववाली छवि को लुभाने की कोशिश करना चाह रही है. योगी आदित्यनाथ के माध्यम से बीजेपी यहां की जनता को अपने पक्ष में करना चाह रही है. इसी कड़ी में योगी आदित्यनाथ दो दिन के गुजरात दौरे पर हैं. अपने दो दिन के प्रवास के दौरान वे गुजरात गौरव यात्रा में भाग ले रहे हैं. ये यात्रा कई जिलों से गुजरेगी और उनकी जनसभाएं करीब दो दर्जन जगहों पर होंगी.
मोदी के गुजरात मेें योगी का आसरा...
योगी आदित्यनाथ की यह यात्रा काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. गुजरात में चुनाव की कैंपेनिंग सभी पार्टियों ने शुरू कर कर दी हैं. कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी लगातार गुजरात का दौरा कर रहे हैं और विकास के मुद्दे को लेकर केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से लेकर अन्य बीजेपी नेता लगातार गुजरात का दौरा कर रहे हैं. हरेक प्लेटफॉर्म पर वो कांग्रेस के आरोपों को नकार रही हैं.
इस बार का चुनाव बीजेपी के लिए काफी खास है क्योंकि पहली बार नरेंद्र मोदी इस राज्य के चुनाव में सीधे तौर पर शामिल नहीं रहेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य होने के कारण बीजेपी यहां एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है. आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अमित शाह के ऊपर भी काफी दारोमदार हैं. हाल के दिनों में विपक्षी पार्टियों खासकर कांग्रेस ने मोदी की गुजरात मॉडल से लेकर पाटीदारों के आरक्षण, जय शाह पर आरोप, दलितों पर आक्रमण, नोटेबंदी और जीएसटी को लेकर बिज़नेस क्लास में नाराजगी आदि कई अन्य मुद्दों पर बीजेपी को घेरने की कोशिश कर रही है.
बीजेपी जहां अपनी सत्ता को बरकरार रखने में जुटी है, तो वही कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए बेकरार है. कांग्रेस को लगता है कि उसे राज्य में वापसी का इससे अच्छा मौका नहीं मिल सकता है. बीजेपी में जीत को लेकर कही न कही संदेह जरूर है और इसीलिए वो सारे फॉर्मूले अपनाने में मजबूर है. योगी आदित्यनाथ को अब विकास और हिंदुत्व के मैस्कॉट के तौर पर देखा जा रहा है. बीजेपी को लगता है की विकास के मुद्दे पर विपक्ष के निशाने में बीजेपी पार्टी की नैया योगी आदित्यनाथ ही पार लगा सकते है.
2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी भारी बहुमत से केंद्र की सत्ता में आये थे. इक्का-दुक्का राज्य को छोड़ दिया जाये तो उसके बाद हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी को विजय मिली है. अब आगामी गुजरात चुनाव में उसे काफी जोर लगाना पड़ रहा है. जहां 2002 और 2007 में गुजरात विधानसभा चुनाव का मुख्य एजेंडा हिंदुत्व के इर्द-गिर्द था वहीं 2012 विधानसभा और 2014 लोकसभा चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ा गया था. आज स्थिति ये है कि गुजरात के विकास मॉडल को लोग कठघरे में खड़ा कर रहे हैं. लोग अब सवाल खड़े करने लगे हैं. बीजेपी हर हाल में गुजरात का चुनाव जीतना चाहती है. योगी आदित्यनाथ जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो राम मंदिर के निर्माण को लेकर भी हलचल तेज हुई. हिंदुत्व छवि के कारण उनकी लोकप्रियता बढ़ी है और आगामी गुजरात चुनाव में बीजेपी इसी को भुनाने के फिराक में हैं.
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