मुगलकालीन मुगालते में रहने की जरूरत नहीं, आखिरकार बोलना ही पड़ेगा - वाह ताज!
अगर किसी को भी मुगलकालीन चीजों को लेकर अब भी कोई मुगालता है तो थोड़ा गौर करे और जरा ध्यान से सुने, कैसे घूम फिर कर योगी सरकार भी 'वाह ताज' बोलने ही लगी है.
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मुगलों से ज्यादा मुगालते में भला कौन रहा होगा, मगर उनका क्या हश्र हुआ इतिहास गवाह है. इतिहास की नयी इबारत लिखने की बात और है - और इतिहास को बदल डालने की कोशिश बिलकुल अलग. ये ठीक वैसे ही है जैसे कलियुग में त्रेतायुग की झांकी तो सजायी जा सकती है, मगर उसकी प्रैक्टिस नामुमकिन है. अयोध्या की दिवाली नमूना भर है.
ताज और विवाद
मोहब्बत हो और बवाल न हो, कैसे मुमकिन है? फिर मोहब्बत की निशानी भी विवादों से कैसे दूर रहे? ताज तो उस वक्त भी विवादों में घसीटा गया जब ताज कॉरिडोर घोटाला हुआ, फिर भी ताज चंदन बना रहा और भ्रष्टाचार का विष ज्यादा हिमाकत न कर सका. आखिरकार ताज बेदाग रहा और कानूनी दांव पेचों ने देर सवेर मायावती की राजनीति पर लगे दाग भी धो ही डाले. एक बार फिर ताज को विवादों में लपेटा गया है, लेकिन इस बार भी वो सोने की तरह तप कर निकलता नजर आ रहा है.
ताज में खून पसीना तो भारत का है...
ताज को लेकर ताजा विवाद तब शुरू हुआ जब यूपी की योगी सरकार ने आगरा के ताज महल को सूबे के हेरिटेज कैलेंडर से हटा दिया. योगी सरकार के एक मंत्री ने भी ताजमहल को लिस्ट से बाहर किये जाने को सही ठहराया था और इसकी जगह गोरखनाथ पीठ को रखने के पीछे दलीलें पेश की. बात सिर्फ इतनी ही होती तो शायद हंगामा भी न होता, अगर मकसद भी वैसा ही न होता.
गारंटी दो दी, पर बगैर स्टांप के...
मौका देख बीजेपी विधायक संगीत सोम मैदान में कूद पड़े. ताज विवाद को आगे बढ़ाते हुए संगीत सोम ने मुगल बादशाहों बाबर, औरंगजेब और अकबर को 'गद्दार' बता डाला. लगे हाथ ये दावा भी कर डाला कि गद्दारों के नाम इतिहास से मिटा दिए जाएंगे. संगीत सोम ने अपनी बात गारंटी कार्ड की तरह पेश किया, बोले - 'बहुत-से लोग इस बात से चिंतित हैं कि ताजमहल को पर्यटन की बुकलेट में ऐतिहासिक स्थानों की सूची से हटा दिया गया... किस इतिहास की बात कर रहे हैं हम... जिस शख्स ने ताजमहल बनवाया था, उसने अपने पिता को कैद कर लिया था... वो हिन्दुओं का कत्लेआम करना चाहता था... अगर यही इतिहास है, तो यह बहुत दुःखद है. हम इतिहास बदल डालेंगे... मैं आपको गारंटी देता हूं.' संगीत सोम ने मुगल बादशाहों बाबर, औरंगज़ेब और अकबर को 'गद्दार' कहा, और दावा किया कि उनके नाम इतिहास से मिटा दिए जाएंगे.
... और लाल किला?
ये सुनते ही असदुद्दीन ओवैसी ने पूछ लिया कि लाल किला भी तो उसी तरह की इमारत है तो क्या प्रधानमंत्री आगे से उसकी प्राचीर से भाषण भी नहीं देंगे? आजम खां ने कटाक्ष किया कि लाल किला, संसद, राष्ट्रपति भवन सब तो गुलामी की ही निशानियां हैं. सलाह दी कि उन्हें भी ढहा देना चाहिए.
ममता बनर्जी की ओर से भी टिप्पणी आ गयी - 'मुझे टिप्पणी करने में भी शर्म महसूस हो रही है. ब्रिटिश काल में बहुत सी चीजें तैयार की गईं और वे हेरिटेज हैं.' जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के ट्वीट में भी तीखा व्यंग्य रहा.
No more Red Fort speeches on 15th August? “The PM will address the nation from Nehru Stadium” will fill some hearts with unabashed glee. https://t.co/TOx6vIO1nx
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) October 16, 2017
इसी बीच बीजेपी के हिंदू-हृदय-सम्राट सुब्रह्मण्यन स्वामी का भी ट्वीट मार्केट में आ गया. स्वामी को हिंदू ऐंगल खोजते भी देर न लगी, 'राष्ट्रपति भवन और हैदराबाद हाउस आदि को कब्जे में लेना बर्बर इस्लामिक और ईसाई ताकतों पर हिंदुओं की जीत की निशानी है.'
"वाह ताज!"
जैसे जैसे बवाल बढ़ता गया बीजेपी की फजीहत भी आसमान छूने लगी. धीरे बीजेपी नेता और फिर योगी सरकार के मंत्री भी संगीत सोम के बयान से खुद को अलग करने लगे. पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा ने भी समझाने की कोशिश कि संगीत सोम कोई सरकार नहीं हैं. मामला कहीं कंट्रोल से पूरी तरह बाहर न हो जाये इसलिए खुद योगी आदित्यनाथ को ही फ्रंटफुट पर आना पड़ा. योगी ने साफ किया कि ताज महल को किसने और क्यों बनवाया ये नहीं बल्कि मायने ये रखता है कि ये देश के मजदूरों के खून और पसीने से बना है. साथ ही योगी को 26 अक्टूबर को खुद ताज देखने आगरा जाने की घोषणा भी करनी पड़ी.
योगी ने न सिर्फ आग बुझाने की कोशिश की बल्कि मरहम भी लगाना चाहा, लेकिन तभी विनय कटियार ने जले पर नमक छिड़क ही दिया. विनय कटियार नयी थ्योरी लेकर आये हैं.
संगीत सोम के बाद फिलहाल विनय कटियार मोर्चा संभाले हुए हैं - कहते हैं वो शिव मंदिर है जिसे ताज में तब्दील कर दिया गया है. बहरहाल, बीजेपी को भी कुछ दिग्विजय सिंह चाहिये कि नहीं चाहिये. साक्षी महाराज तो रामरहीम का सपोर्ट और फिर यू टर्न लेने के बाद जैसे अज्ञातवास में ही चले गये हैं. लगता है मुहं के लालों को अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डांट पड़ने लगी है.
मजे की बात ये है कि सोशल मीडिया पर कुछ इसी तरह की बातों के जरिये सियासी बयानों का मजाक भी उड़ाया जा रहा था. लगता है विनय कटियार ने उन्हीं में से एक लाइन उठाकर अपनी लाइन बना ली है.
योगी सरकार का यू टर्न
जिस तरह कभी तुष्टिकरण के लिए कुख्यात रही कांग्रेस को चुनावी दौर में सॉफ्ट हिंदुत्व का रास्ता अख्तियार करना पड़ा है, उसी तरह बीजेपी भी हार्डकोर हिंदुत्व एजेंडे पर बीच बीच में 'सबका साथ, सबका विकास' की चाशनी चढ़ाने की कोशिश कर रही है.
'मंदिर तो वहां भी... '
अपने डैमेज कंट्रोल कदम के तहत अब योगी सरकार एक कैलेंडर लेकर आयी है. इस कैलेंडर के जुलाई महीने के पेज पर ताज महल की तस्वीर लगायी गयी है. इसके अलावा इसमें गोरखपुर के गोरक्षनाथ पीठ को भी जगह दी गई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही मौजूदा गोरक्षपीठाधीश्वर भी हैं.
राज्य सूचना विभाग की ओर से जारी इस कैलेंडर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्लोगन को आगे बढ़ाते हुए ‘सबका साथ सबका विकास - उत्तर प्रदेश सरकार का सतत प्रयास’ लिखा हुआ है. यूपी के पर्यटन स्थलों, ऐतिहासिक इमारतों की तस्वीरों के साथ प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी के फोटो भी छाये हुए हैं.
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