जाकिर से मैं सहमत नहीं, लेकिन दोष सिद्ध होने तक वे निर्दोष हैं!
इंडिया टुडे को दिए एक एक्सलूसिव इंटरव्यू में विवादास्पद मुस्लिम उपदेशक जाकिर नाइक ने अपनी बेगुनाही पर जोर दिया. उनकी हर बात सहमत होने लायक नहीं है, लेकिन क्या इससे वे दोषी सिद्ध हो जाते हैं?
-
Total Shares
मुंबई में जन्मे 50 वर्षीय विवादास्पद उपदेशक जाकिर नाइक के बारे में सबकी अपनी अपनी राय है, इस पर निर्भर करता है कि आप पूछ किससे रहे हैं. कुछ उन्हें ऐसे शख्स के रूप में देखते हैं जो उपदेशक होने के अधिकारों का दुरुपयोग कर आतंकियों को प्रेरणा देता है और दूसरे धर्मों को नीचा दिखाता है. बाकियों के लिए वे एक ऐसे रूढ़िवादी इस्लामिस्ट हैं जो सऊदी अरब से प्रेरित इस्लाम के सलाफी वहाबी ब्रैंड को आगे ले जा रहे हैं. हालांकि अरब के बड़े हिस्से, और गल्फ में जाकिर नाइक को एक स्थापित इस्लामिक विद्वान, शांति का पक्षधर और पश्चिमी मीडिया से प्रेरित होकर बनाई गई गलत छवि का शिकार माना जा रहा है. जबकि सच्चाई इन्हीं दोनों चरम के बीच कहीं है.
यह जाहिर है कि जाकिर नाइक को सउदी अरब, कतर और यूएई के ताकतवर और सम्पन्न लोगों का संरक्षण प्राप्त है. उनके पास खाड़ी के कई देशों का रेजिडेंट वीजा है, वह इन देशों में मनमर्जी से यात्रा करते हैं और खाड़ी और इस्लामिक दुनिया के शासकों तक उनकी आसान पहुंच है. उनका चैनल पीस टीवी यूएई से बाहर प्रसारित होता है और उसके पूरे मिडिल ईस्ट में इसके काफी दर्शक हैं, (उनका दावा है कि ये आंकड़ा 20 करोड़ का है).
जाकिर नाइक मिडिल ईस्ट में आकर्षण का बड़ा केंद्र हैं. पिछले हफ्ते मुझे जेद्दा में उनसे बातचीत करने और उनका इंटरव्यू लेने का मौका मिला. वे एक होटल में पहुंचे जहां बिना किसी भीड़भाड़ के इंटरव्यू किया सकता था. जैसे ही वे होटल की लॉबी में पहुंचे सभी लोग उनकी तरफ देखने लगे.
यह भी पढ़ें: जन्नत की हूरों के बारे में इन सवालों के जवाब दें ज़ाकिर नाइक
अपने वीकऐंड का लुत्फ उठाने के लिए उस होटल में पहुंचे अरब और भारतीय लोगों ने उनसे हाथ मिलाने और उनके साथ फोटो खिंचवाने के लिए उन्हें घेर लिया. आश्चर्यजनक रूप से कुछ यूरोपियन भी उनके पास गए और बहुत ही आत्मीयता से बातें की. एक घंटे बाद जब तक इंटरव्यू खत्म होता, बात फैल चुकी थी. होटल की लॉबी उनके प्रशंसकों से भर गई थी और वहां सेल्फी और ऑटोग्राफ लेने की होड़ मच चुकी थी.
नाइक अपना ज्यादातर समय इस्लामिक दुनिया में बिताते हैं और लेक्चर और उपदेश देने के लिए पूरी दुनिया की यात्रा करते हैं. वह एक अंग्रेजी मीडियम स्कूल से पढ़ें हैं और उर्दू और हिन्दी की अपेक्षा अंग्रेजी में कहीं ज्यादा सहज महसूस करते हैं.
मुस्लिम उपदेशक जाकिर नाइक ने इंडिया टुडे को दिए एक्सलूसिव इंटरव्यू में कहा कि मीडिया ने उनके बयानों को तोड़-मरोड़कर पेश किया |
उनके और अन्य इस्लामिक नेताओं के बीच एक ही चीज समान है और वह है उनके सिर पर लगी टोपी. भारत में उनके बयानों की वजह से मचे घमासान से वह बेफिक्र लगे, उन्हें देखकर ऐसा नहीं लगा कि वह किसी भी तरह के दबाव में हैं.वह अपने धर्म के बाकी धार्मिक नेताओं से अपने पहनावे और भाषा के रूप में अंग्रेजी के चयन की वजह से काफी अलग हैं. वह लगभग हमेशा एक सूट और टाई में नजर आते हैं, उनके कपड़े की स्टाइल एक कट्टरपंथी के तौर पर उनकी इमेज के एकदम उलट है.
धार्मिकता को लेकर उनके ओवरडोज, उनके सख्त नैतिकतावादी विचारों और दूसरे धर्मों को गिराकर अपने विचारों को प्रचारित करने की कोशिशों के कारण मैंने काफी असहज महसूस किया. नाइक ने हालांकि एक उपदेशक के रूप में अपनी भूमिका का सौम्य रूप पेश किया और कहा, 'धर्म के शिष्य के रूप में मैं एक तुलनात्मक अध्ययन करता हूं, यह कोशिश दूसरों को बुरा दिखाने की नहीं बल्कि इस्लाम को बाकियों से अलग दिखाने की होती है. उनके पास भी ऐसा करने का अधिकार है.' एक ऐसा मत जिसके मानने वाले बहुत कम हैं.
यह भी पढ़ें: ये धर्म का पैगाम देते हैं और बंदे बंदूक थाम लेते हैं...
इंटरव्यू के दौरान ज्यादातर समय जाकिर नाइक जोश से भरे हुए और आक्रामक मुद्रा में थे. कई बार वह मीडिया पर भी नाराज दिखे. लेकिन कभी भी माफी मांगने की मुद्रा में नहीं दिखे. उन्होंने इस बात को मानने से इनकार कर दिया कि वह विभाजन का कारण हैं. अपनी तुलना प्रवीण तोगड़िया और साध्वी प्राची जैसे अन्य कट्टरपंथियों से करने पर वह नाराज भी हुए. नाइक ने कहा, 'मेरी तुलना उनसे मत करो. हमारे भाषणों को चलाओ और फिर लोगों को ये निर्णय लेने दो कि कौन भड़का रहा है.'
इंटरव्यू के दौरान उन्होंने सख्ती से अपनी बेगुनाही पर जोर दिया. आतंकियों और आतंकवाद की आलोचना की. ISIS को इस्लाम विरोधी करार दिया. इन आरोपों का खंडन किया कि उन्होंने लोगों को अमेरिका के खिलाफ हथियार उठाने के लिए कहा था. उन्होंने मीडिया पर उनके बयानों को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया.
एक आस्तिक और एक उदारवादी के रूप में मुझे जाकिर नाइक से कई शिकायते हैं. मैं मेल-मिलाप में यकीन करता हूं न कि लड़ाई-झगड़े में, मैं अन्य धर्मों के लोगों के साथ जुड़ने में यकीन रखता हूं और उससे भी ज्यादा शांतिपूर्ण तरीके से साथ रहने में. जाकिर नाइक की राजनीति मुझे हतोत्साहित करती है: धार्मिक पहचान को समुदायों के धुव्रीकरण के लिए प्रयोग नहीं बल्कि एकदूसरे को जोड़ने के लिए किया जाना चाहिए, खासकर आतंक के इस युग में. लेकिन फिर भी मैं मीडिया के उस शोर में शामिल नहीं होऊंगा जोकि उन्हें आतंकियों का हमदर्द करार दे रहे हैं. उन्हें भारत वापस लौट आना चाहिए और अपने आलोचकों का सामना करना चाहिए. लेकिन साथ ही उन्हें मीडिया ट्रायल का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए. जाकिर नाइक सहित हर किसी को अपनी बात सुने जाने का और दोष सिद्ध होने तक निर्दोष माने जाने का अधिकार है.
आपकी राय