Baba Ramdev Vs IMA: 'मैं भी रामदेव' ट्रेंड होने के साथ 'मैं भी चौकीदार' हेशटैग याद आ गया!
एलोपैथी बनाम आयुर्वेद बहस के बाद 'मैं भी चौकीदार' की तर्ज पर बाबा और आयुर्वेद के समर्थकों ने ट्विटर पर 'मैं भी रामदेव' की शुरुआत की है. जैसी प्रतिक्रियाएं लोगों की हैं मालूम देता है कि देश का एक बड़ा वर्ग बाबा रामदेव की बातों का समर्थन करता है.
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2019 का लोकसभा चुनाव शायद ही कोई भूला हो. कांग्रेस और राहुल गांधी ने एड़ी से लेकर चोटी तक का जोर लगा दिया था लेकिन बावजूद इसके भाजपा ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की और नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बने. 2019 लोकसभा चुनाव से पहले के वक़्त को देखें और उसका अवलोकन करें तो मिलता है कि पीएम मोदी को नीचा दिखाने के लिए कांग्रेस और राहुल गांधी ने राफेल को मुद्दा बनाया और 'चौकीदार चोर है' कैम्पेन की शुरुआत की. भाजपा और राइट विंग की तरफ से उल्टा दांव खेला गया और ट्विटर पर शुरू हुआ 'मैं भी चौकीदार'. राजनीतिक विश्लेषक इस बात पर एक मत हैं कि यदि अपने दूसरे टर्म में पीएम मोदी बहुमत लाने में कामयाब हुए तो उसकी एक बड़ी वजह 'मैं भी चौकीदार' कैम्पेन था. सवाल होगा कि आज 2 साल बाद फिर ये बातें क्यों? कारण हैं योग गुरु बाबा रामदेव और एलोपैथी बनाम आयुर्वेद की बहस. जिसमें IMA और बाबा रामदेव दोनों की ही तरफ से आए रोज नए नए तर्क पेश किए जा रहे हैं साथ ही आरोप प्रत्यारोपों का सिलसिला भी बदस्तूर जारी है. फिलहाल 'मैं भी चौकीदार' की तर्ज पर बाबा और आयुर्वेद के समर्थकों ने ट्विटर पर 'मैं भी रामदेव' की शुरुआत की है. जैसी प्रतिक्रियाएं लोगों की हैं मालूम देता है कि देश का एक बड़ा वर्ग बाबा रामदेव की बातों का समर्थन करता है.
ट्विटर पर बाबा रामदेव को मिले समर्थन ने IMA को मुसीबतों में डाल दिया है
बताते चलें कि कोरोना के मद्देनजर बाबा का एक बयान सुर्खियों में है जिसमें उन्होंने कोरोनो का इलाज कर रहे डॉक्टर्स को घेर था और एलोपैथी की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लगाए थे. बाबा के इस बयान पर डॉक्टर्स ने कड़ी आपत्ति जताई थी. IMA बाबा के बयान से इस हद तक नाखुश था कि उसने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी और उनकी गिरफ्तारी की मांग की थी.
गिरफ्तारी की बातों के बीच और साथ ही खुद को घिरता देख बाबा फिर बार सामने आए थे और ये तक कहा था कि वो मॉडर्न मेडिकल साइंस (एलोपैथी) और डॉक्टर्स की पूरी इज्जत करते हैं और बयान पर सफाई देते हुए उन्होंने यही कहा था कि जो बातें उन्होंने कही थीं वो एक व्हाट्सएप फॉरवर्ड का हिस्सा था.
जिनको लगता है कि एलोपैथी बनाम आयुर्वेद का विवाद थम गया है वो जान लें कि इस आग में ताजा खर आईएमए के अध्यक्ष डॉ. जॉनरोज ऑस्टिन जयलाल ने डाला है. आयुर्वेद का तिरस्कार करने वाले डॉक्टर जयलाल ने भले ही बाबा पर 1000 करोड़ का मामला दर्ज किया हो लेकिन उनकी राजनीतिक विचारधारा और सोशल मीडिया प्रोफाइल ने उन्हें मुसीबत में डाल दिया है.
आईएमए के अध्यक्ष जयलाल केंद्र सरकार और पीएम मोदी के प्रबल आलोचक हैं वो लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए अपनी विचारधारा को उजागर करने वाले कार्टून और खबरें जिनमें कुछ फेक न्यूज़ भी हैं, को शेयर करते रहते हैं.
ताजा विवाद के बाद डॉक्टर जयलाल का एक बयान भी तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने कहा है कि, 'यह केवल सर्वशक्तिमान ईश्वर की कृपा है जो हमें संकट से उबरने और सुरक्षित रहने में मदद करती है और यह उनकी कृपा थी जिसने हमारी रक्षा की.' साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि, 'मैं देख सकता हूं, उत्पीड़न के बीच, कठिनाइयों के बीच, यहां तक कि सरकार के नियंत्रण के बीच, खुले तौर पर अपने संदेश की घोषणा करने में हमारे सामने आने वाले प्रतिबंधों के बीच भी ईसाई धर्म बढ़ रहा है.
जयलाल की बातों के बाद एक वर्ग वो भी सामने आया है जिसका कहना है कि वो अस्पतालों में ईसाईयत को बढ़ावा दे रहे हैं.
लोगों की प्रतिक्रियाएं बाबा रामदेव का ही समर्थन कर रही हैं
सच्चाई क्या है? क्या वाकई आईएमए अध्यक्ष की बातों में खोट है? इस लड़ाई में जीत आयुर्वेद की होगी या फिर एलोपैथी बाजी मार ले जाएगी इन सवालों के जवाब वक़्त देगा लेकिन जो वर्तमान है और जिस तरह "मैं भी रामदेव' के संदर्भ में प्रतिक्रियाओं की झड़ी लगी है साफ है कि बाजी बाबा रामदेव ने मारी है.
आइये कुछ और बात करने से पहले नजर डालते हैं 'मैं भी रामदेव' के अंतर्गत आने वाली कुछ प्रतिक्रियाओं पर.
Swami ram dev introduce YOGA to whole world.. #मैं_भी_रामदेव Retweet gusy........ pic.twitter.com/EUJP27cv1z
— Gaurav ranjan mishra (@GauravmOfficial) May 29, 2021
लोग मान रहे हैं कि बाबा रामदेव भारतीय संस्कृति, ट्रेडिशन, आयुर्वेद, योग और सबसे जरूरी सनातन धर्म की आवाज हैं. इसलिए भी उनका समर्थन करना चाहिए.
IMA is not operated by Government. It is a Private NGO body.MCI, Medical Council of India is main body under Government who deal with medical regulations.#मैं_भी_रामदेव#मैं_भी_रामदेव pic.twitter.com/NjuyhtxqI0
— Soumyaranjan pradhan (@soumya_yb) May 29, 2021
सोशल मीडिया पर यूजर यही कह रहे हैं कि चाहे कुछ भी हो जाए वो इस मुश्किल वक़्त में बाबा रामदेव के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं.
#मैं_भी_रामदेवAyurveda and Yoga can be identified easily. pic.twitter.com/mDocOQaWlC
— आत्मनिर्भर किम जॉन उंग (@desikingkong4) May 29, 2021
यूजर्स ये भी कह रहे हैं कि एलोपैथी बनाम आयुर्वेद का मुद्दा उठाकर बाबा ने खून चूसने वाले डॉक्टर्स पर बिलकुल सही निशाना लगाया है.
बहराहल, अब जबकि ट्विटर पर 'मैं भी रामदेव' कैम्पेन की शुरुआत हो गयी है तो साफ़ है कि बाबा रामदेव को भरपूर जनसमर्थन मिल रहा है. चिंता आईएमए को करनी चाहिए इस हैशटैग यानी 'मैं भी रामदेव' के बाद बाबा की गिरफ़्तारी मुश्किल ही नहीं शायद नामुमकिन है. बाकी बहस का मुद्दा एलोपैथी बनाम आयुर्वेद है तो इस कोरोना काल में जितनी कारगर एलोपैथी हुई है उतनी ही प्रासंगिकता आयुर्वेद की भी है.
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