जो Facebook से ज्यादा चुनाव प्रभावित करते हैं, उनका क्या ?
सुरक्षा पर गंभीर चुनाव आयोग फेसबुक फेसबुक के साथ अपनी साझेदारी पर समीक्षा कर सकता है.ऐसे में सवाल ये उठता है कि फेसबुक को आड़े हाथों लेने वाले चुनाव आयोग ने अब तक अपराधी छवि के नेताओं पर कार्यवाई करके कोई नजीर स्थापित क्यों न की.
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डाटा चोरी के नाम पर सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक और उसके सीईओ मार्क ज़ुकेरबर्ग की भारी फजीहत हो चुकी है. जिसे देखो वही मार्क और फेसबुक को शक की निगाह से देख रहा है और उनपर ऐसे-ऐसे आरोप लगा रहा है जिसकी कल्पना शायद ही इन लोगों ने कभी की हो. इस खबर के बाद से कि फेसबुक डाटा चोरी कर रहा है और इसका इस्तेमाल भारतीय राजनीति को प्रभावित करने के लिए कर सकता है भारत के सियासी गलियारों में हडकंप मच गया.
मामले पर गंभीर और इस्पर त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए सूचना व प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी बेहद सधे हुए शब्दों में कह दिया कि अगर फेसबुक भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में किसी तरह की गड़बड़ी करते हुए पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी. रविशंकर प्रसाद इतने पर नहीं रुके थे आगे उन्होंने ये भी कहा था कि अगर जरूरी हुआ तो वो सम्मान भेज फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग को भारत बुलाएंगे. डाटा चोरी की ये आग ठंडा होने का नाम नहीं ले रही है. खबर है कि फेसबुक डेटा लीक मामले पर गंभीर चुनाव आयोग फेसबुक के साथ अपनी साझेदारी पर समीक्षा कर सकता है.
डाटा लीक को सरकार बहुत ही गंभीरता से लेती हुई नजर आ रही है
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, चीफ इलेक्शन कमिश्नर ओपी रावत ने कहा है कि युवा मतदाताओं को प्रोतसाहित करने के लिए, फेसबुक के साथ चुनाव आयोग की पार्टनरशिप पर जल्द ही आयोग की बैठक में चर्चा होगी. प्राप्त जानकारी के अनुसार बैठक के अगले हफ्ते होने की सम्भावना जताई जा रही है.
जब चुनाव आयोग से ये पूछा गया कि क्या आयोग इस बात को लेकर गंभीर है कि डेटा का इस्तेमाल वोटरों को प्रभावित करने के लिए किया गया है? तो मुख्य चुनाव आयुक्त रावत ने इस विषय पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि, 'बिलकुल, जिस भी किसी चीज से चुनाव प्रभावित होता है, वो एक बड़ा मसला है. जैसे कि पब्लिक ओपिनियन को बदला गया, ये हमारे चिंता की बात है और हम इस पर विचार करेंगे.'
डाटा लीक के नाम पर एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में दखलंदाजी और सुरक्षा को लेकर चुनाव आयोग गंभीर है. चुनाव आयोग द्वारा फेसबुक और उसकी पॉलिसियों की समीक्षा को देखकर एक पल के लिए देश के किसी भी आम आदमी को यही महसूस होगा चुनाव आयोग ऐसा इसलिए कर रहा है क्योंकि न तो उसे चुनाव प्रक्रिया में किसी की घुसबैठ पसंद है. और न ही वो चाहता है कि किसी भी फर्जीवाड़े के चलते बुरे लोग आएं और देश की राजनीति को दूषित करें.
चूंकि बात चुनाव आयोग की है और इसमें साफ छवि भी जुड़ गयी है तो यहां हमारे लिए उन बातों पर गौर करना ज़रूरी है जब-जब चुनाव आयोग ने अपराध मुक्त चुनाव और अपराधी मुक्त राजनीति की बात की थी. गौरतलब है कि हमेशा ही चुनावों के दौरान चुनाव आयोग ने अपराधमुक्त और साफ सुथरे चुनाव की बात की है. मगर हकीकत ये है कि आज भारतीय राजनीति में शायद ही कोई ऐसा राजनेता हो जो साफ सुथरी छवि का हो.
अब जब आजतक चुनाव आयोग इलेक्शन लड़ने वाले अपराधियों पर गंभीर नहीं हो पाया तो वो भला फेसबुक पर कितना गंभीर होगा ये प्रश्न हमारे सामने बना हुआ है. जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. आज राजनीति में ऐसे लोगों की भरमार है जिनपर कई दर्जन मुक़दमे चल रहे हैं मगर चुनाव आयोग उनका बाल तक बांका नहीं कर पाया. वो जैसे पूर्व में खुले घूम रहे थे वैसे ही आज भी उन पर कोई अंकुश नहीं है.
अंत में हम ये कहते हुए अपनी बात खत्म करेंगे कि चुनाव आयोग को सुरक्षा के लिहाज से फेसबुक के साथ जितनी समीक्षा करनी हो करे. मगर पहले वो अपने देश के नेताओं पर लगाम कसे. ऐसा इसलिए क्योंकि फेसबुक तो बाहर का है. उसके सर्वर भी बाहर हैं. लेकिन वो लोग जो देश के हैं और जो अपने कृत्यों से राजनीति को लगातार दूषित कर रहे हैं उनपर वो अब तक क्यों चुप्पी साधे हैं. यहां चुनाव आयोग को ये भी समझना होगा कि सफाई की शुरुआत पहले अपने घर से होती है फिर मुहल्ले और शहर की बातें होती हैं.
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