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Updated: 29 नवम्बर, 2022 09:11 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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बेंगलुरु (Bengaluru) में पिछले दिन, जब मेरे दोस्त ने मेरे लिए एक उबर कैब (Uber Cab) बुक किया तो एक महिला ड्राइवर मुझे लेने आई. सवारी शुरु होने के बाद, मैंने देखा कि आगे की सीट पर एक बच्ची सो रही है. मैं उसे देखकर विरोध न कर सका. मैने थोड़ी देर बाद उससे पूछा...

मैम, क्या वह आपकी बेटी है?

हां, सर, मेरी बेटी है और वह अभी छुट्टी पर है. मैं काम कर रही हूं और साथ में उसकी देखभाल कर रही हूं.

मैं एक्साइटेड था और महिला कैब ड्राइवर के बारे में और अधिक जानना चाह रहा था. मैं और कुछ कहता कि उसके पहले ही वह बोल पड़ी कि उसका नाम नंदिनी है. वह बैंगलोर में उबर के लिए गाड़ी चलाती है. वह एक बिजनेस वुमन बनना चाहती है.

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कुछ सालों पहले उसने अपनी सारी बचत से एक फूड ट्रक शुरु किया लेकिन फिर कोविड महामारी आ गई और उसके लगाए गए सभी पैसे डूब गए. उसके बाद, उसने उबर के लिए ड्राइविंग शुरु कर दी. वह अपने परिवार के लिए पैसा कमाना चाहती है और अपने सपने पूरे करना चाहती है. वह रोजाना दिन में 12 घंटे काम करती है और उसे इस काम से कोई आपत्ति नहीं है. वह कहती है कि जब काम करना है तो फिर परेशानी किस बात की? वह अपना खोया हुआ सब कुछ फिर से हांसिल करना चाहती है. जैसे- उसका वो ट्रक फूड बिजनेस.

जब यात्रा खत्म हुई, तो मैंने पूछा कि क्या मैं उसके साथ एक तस्वीर ले सकता हूं और उसकी कहानी ऑनलाइन पोस्ट कर सकता हूं. उसने मुझसे पूछा, क्यों?

मैंने कहा: “मैम, आपके पास एक बहुत ही प्रेरक कहानी है, जबकि कई लोग असफलता के बाद निराश हो जाते हैं. आप एक योद्धा हैं जो जीत तक लड़ाई जारी रखते हैं. मैं आपकी कहानी दूसरों को बताना चाहता हूं." इस पर वह मुस्कुराई और तस्वीर के लिए राजी हो गई.

इस कहानी को CloudSEK के CEO ने राहुल सासी ने लिंक्‍डइन पर शेयर किया है. राहुल सासी ने बताया है कि इस कहानी के वायरल होने के बाद उबर कंट्री हेड प्रभजीत सिंह उनके पास पहुंचे हैं और नन्दिनी को सपोर्ट करने की बात कही है. राहुल सासी की नन्दिनी से बात हुई और हजारों लोग उनका समर्थन कर रहे हैं. लोगों का प्रेम देखकर नन्दिनी बहुत खुश हैं.

असल में नंदिनी एक प्रेरणा हैं. कई लोग असफल होने पर 10 बहाने बनाते हैं. मगर वह हमें सीख देती है कि जिंदगी में कभी भी हार नहीं मानना चाहिए. लोगों को सोचना चाहिए कि एक काम में सफल नहीं हो पाए इसका मतलब यह नहीं है कि वे दूसरे काम में भी असफल होंगे. लोगों को अपनी गलत सोच बदलनी होगी. लोगों को मेहनत करना होगा और अपने साथ ईमानदार रहना होगा. कल को बेहतर बनाने के लिए कभी-कभी जिंदगी से बहुत लड़ना पड़ता है. कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.

बस हमें उनसे सबक लेते जाना है औऱ आगे बढ़ते जाना है. हो सकता है कि लड़ते-लड़के हम कभी हार मान जाएं मगर हमें अपनी लड़ाई कभी नहीं छोड़नी चाहिए.

देखिए राहुल सासी की लिंक्‍डइन प्रोफाइल-

लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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