बुर्के के साथ एंट्री, लेकिन चूड़ी-पायल-झुमके की मनाही! असली सेकुलरिज्म यही है
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. जो बीते रविवार को हुई तेलंगाना (Telangana) राज्य लोक सेवा आयोग की ग्रुप 1 की प्रारंभिक परीक्षा का है. वीडियो में एक परीक्षा केंद्र पर बुर्का (Burqa) पहने हुए एक महिला को आसानी से एंट्री दी जा रही है. वहीं, कुछ महिलाओं को परीक्षा केंद्र में घुसने से पहले खुद ही अपनी चूड़ियां तोड़ते, पायल और झुमके उतारते देखा जा सकता है.
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सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. जिसमें दिख रहा है कि एक परीक्षा केंद्र पर प्रवेश से पहले बुर्का पहने हुए एक महिला को आसानी से एंट्री दी जा रही है. और, वह महिला बाकायदा बुर्का पहनकर परीक्षा केंद्र के अंदर प्रवेश कर रही है. वहीं, इसी वीडियो में कुछ महिलाओं को परीक्षा केंद्र में घुसने से पहले खुद ही अपनी चूड़ियां तोड़ते, पायल और झुमके उतारते देखा जा सकता है. इस वीडियो को सेकुलरिज्म इन तेलंगाना के टैग के साथ शेयर किया जा रहा है. और, तेलंगाना के सीएम केसीआर को मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए निशाने पर लिया जा रहा है. जबकि, असली सेकुलरिज्म यही है. बुर्का पहने महिलाओं को परीक्षा केंद्र क्या राष्ट्रपति भवन तक में बिना रोक-टोक के प्रवेश मिलना ही चाहिए. हिंदू महिलाओं का क्या है? सारे नियम तो वैसे ही उन पर लागू होते रहे हैं. फिर चूड़ी-पायल-झुमका वगैरह उतारना कौन सी बड़ी बात है?
This happened yesterday at a Group-1 examination centre in Telangana. Burqa is allowed but earrings, bangles and payal must be removed. Height of appeasement. Shameful indeed. pic.twitter.com/KL10IG054M
— Priti Gandhi - प्रीति गांधी (@MrsGandhi) October 18, 2022
सेकुलरिज्म यानी धर्म निरपेक्षता की असली परिभाषा ही यही है. कर्नाटक में हिजाब विवाद एक छोटे से स्कूल से शुरू होकर देश की सर्वोच्च अदालत तक पहुंच चुका है. अब हिजाब और बुर्के को इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक परंपरा का हिस्सा बनाने की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंची है. लेकिन, बहुसंख्यक हिंदुओं की ओर से कभी इस तरह की कोई कोशिश आपको नजर आती है. तो, जवाब है नहीं. किसी लड़की ने परीक्षा केंद्र पर बवाल खड़ा नहीं किया. ना ही चूड़ी-पायल-झुमका उतरवाने का विरोध किया. ये वीडियो बीते रविवार को हुई तेलंगाना राज्य लोक सेवा आयोग की ग्रुप 1 की प्रारंभिक परीक्षा का है. और, शायद ही कोई हिंदू महिला चूड़ी-पायल-झुमके के लिए अपने करियर को खतरे में डालेगी. क्योंकि, कर्नाटक में हिजाब विवाद को जन्म देनी वाली लड़कियां तो पढ़ाई छोड़कर घर बैठ गई हैं.
भारत में धर्म-निरपेक्षता को मजबूत करने और मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए ये तमाम चीजें होती रहना जरूरी हैं.
दरअसल, भारत में मुस्लिम तुष्टीकरण की जड़ें इस कदर गहराती जा रही हैं कि कट्टरता बढ़ाने वाली चीजों पर भी नेताओं से लेकर बुद्धिजीवियों को समर्थन मिलने लगता है. हाल ही में कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन पीएफआई और उसकी अन्य शाखाओं पर लगाए गए प्रतिबंध को लेकर केंद्र सरकार की खूब लानत-मलानत हुई थी. लेकिन, पीएफआई की रैली में जब एक 6 साल का बच्चा हिंदुओं और ईसाईयों को मौत की धमकी देता नजर आता है. तो, इन्हीं नेताओं और बुद्धिजीवियों की जुबान सिल जाती है. बात ये है कि अगर इन प्रक्रियाओं का विरोध किया जाए, तो बहुतायत संख्या में आस-पड़ोस के लोग ही इन महिलाओं को कट्टर हिंदुवादी साबित कर देंगे. जबकि, ये महिलाओं के साज-श्रृंगार का हिस्सा भर है. वहीं, हिजाब और बुर्का किसी भी तरीके से साज-श्रृंगार में नहीं आता है.
वैसे, बताना जरूरी है कि ये वीडियो बीते रविवार को हुई तेलंगाना राज्य लोक सेवा आयोग की ग्रुप 1 की प्रारंभिक परीक्षा का है. और, परीक्षा केंद्रों में इन तमाम चीजों को उतरवाने का कोई प्रावधान नहीं है. लेकिन, देश में धर्म-निरपेक्षता को मजबूत करने और मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए ये तमाम चीजें होती रहना जरूरी हैं. जिससे बहुसंख्यक हिंदुओं की वजह से मुस्लिमों में ये भावना न भर जाए कि उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई जा रही है. फिर भले ही कोई बुर्का या हिजाब के अंदर कुछ भी ले जाए. क्या ही फर्क पड़ता है? क्योंकि, इसमें किसी का दोष नहीं है. न नेताओं का और न देश की जनता का. दरअसल, ये उस कंडीशनिंग का नतीजा है, जो हमें सहिष्णु बनाती है. और, इस तरह की चीजों को झेलने के आदी बन चुके हैं.
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