'मेड इन चाइना' पर बैन के इतने आग्रह से तो चीन भी पिघल जाएगा
जब भी कोई भी घटना होती है, सरकार कोई कदम ले न ले. हमारा सोशल मीडिया सबसे पहले हरकत में आ जाता है. फेसबुक, ट्विटर के साथ व्हाट्सएप पर #BanChineseProducts को लेकर खूब सारी दलीलें दी जा रही हैं.
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ओह! आज सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, महात्मा गांधी या जवाहर लाल नेहरू होते तो कितने गदगद होते. जिस तरह हर दूसरे दिन हम देशभक्ति और राष्ट्रवाद पर बहस करने लगते हैं, वो बेमिसाल है. पिछले कुछ दिनों से एक नया 'राष्ट्रवादी कैंपेन' सोशल मीडिया पर छाया हुआ है. कैंपेन- चीन में बने सामानों को बैन करने का!
एक बात तो है. जब भी कोई भी घटना होती है, सरकार कोई कदम ले न ले. हमारा सोशल मीडिया सबसे पहले हरकत में आ जाता है. फेसबुक, ट्विटर के साथ व्हाट्सएप पर #BanChineseProducts को लेकर खूब सारी दलीलें दी जा रही हैं.
जब NSG में भारत की सदस्यता का चीन ने खुला विरोध दिखाया तब भी ऐसे ही मेड इन चाइना सामानों को बहिष्कार करने की बात हुई. फिर हाफिज सईद पर चीन के वीटो चीन के इलाके में ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाए जाने की खबर ने एक बार फिर हैशटैग अभियान को मौका दे दिया है. वैसे भी, हर साल दशहरा-दिवाली के दौरान एक स्वर चीन के सामानों पर बैन करने का सुनाई दे जाता है. बहरहाल, एक बार फिर पाकिस्तान के साथ-साथ चीन को सबक सीखाने की बात सोशल मीडिया पर होने लगी है.
#banchineseproduct chinese goods are unhealthy and killing our Industry. China is supporting TERROR. Time to teach lesson to China.DONT BUY
— K K (@a2z2z) September 27, 2016
चाइना से बडा गद्दार इस दुनिया में कोई नहीं है पाकिस्तान को बॉर्डर पे हथियार वहीं दे रहा है #BanChineseProducts करे pic.twitter.com/M81dt05Hr8
— Ankur Parashar (@ankurparasar) September 27, 2016
और तो और सोशल मीडिया पर तो प्रधानमंत्री के नाम से घोषणा भी हो गई. लोग धडल्ले से इसे शेयर कर रहे हैं.
अब आलम ये हुआ कि PMO की ओर सफाई देनी पड़ी कि नरेंद्र मोदी के नाम से सोशल मीडिया पर जो ये यहां से वहां घूम रहा है..फर्जी है.
Few appeals with PM’s ‘signature’ are circulated on social media. Such documents are not authentic. pic.twitter.com/9AOcvHStFu
— PMO India (@PMOIndia) 31 August 2016
इतना कुछ चल रहा है तो हमारे नेता कैसे पीछे रहते. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव ने कुछ दिन पहले ही चीन के सामानों का बहिष्कार करने की बात कही थी. उन्होंने ट्वीट किया, 'चीन के सामानों को खरीदने का मतलब है कि आप एक आतंकी देश की मदद कर रहे हैं.' वैसे इसके बाद उन्हें जाने क्या सूझी कि उन्होंने इसे डिलीट कर दिया. दो दिन पहले असम सरकार में मंत्री हेमंत विश्व शर्मा ने भी लोगों से अपील कर दी कि वे इस दशहरा चीनी सामानों को न खरीदें. अब सोचिए, चीन को लेकर ऐसी समस्या थी तो पीएमओ ने क्यों सफाई दी?
सवाल है कि क्या सब कुछ इतना आसान है? आपको क्या लगता है कि चीन में केवल दिवाली के लिए लाइट्स या होली के पिचकारी बनते हैं?
मेड इन चाइना पर बैन...कितना जरूरी? |
अगर चीन से समस्या है तो होना ये चाहिए कि वहां से आयात पर प्रतिबंध की बात की जाए जो पूरी तरह संभव ही नहीं है. आपका फोन, उसकी बैट्री, ज्वेलरी, मशीनरी, एलेक्ट्रोनिक्स के दूसरे सामान जैसी कई चीजें है जो चीन से आती हैं. फोन की ही बात कीजिए तो दुनिया में बनने वाले स्मार्टफोन्स का 70 फीसदी उत्पादन चीन में होता है. आप फेकेंगे अपना फोन..अभी?
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इसी साल अप्रैल में वाणिज्य और उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में बताया था कि विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के कारण चीन या किसी भी देश के प्रोडक्ट पर पूरी तरह से बैन संभव नहीं है. चीन से आने वाली कुछ चीजों जिसमें दूध से बने कुछ सामान, कुछ मोबाइल फोन सहित कुछ और चीजों पर बैन लगा हुआ है. ये भी खराब गुणवत्ता के कारण.
अब आखिरी बात. फर्ज कीजिए...लोगों ने अगर चीनी सामान इस बार नहीं खरीदे तो क्या होगा. तो सच ये है कि होगा कुछ नहीं. चीन में बनने वाली जिन मूर्तियों या दिवाली के लिए साजो-सामान की बात हो रही है वो लगभग दुकानों तक पहुंच चुकी है. इसे ज्यादातर ऐसे लोग बेचते हैं जो रेहड़ी पटरियों पर अपना कारोबार करते हैं. चीन का सामान आखिरकार वहीं उतरता है जनाब, जिसे हम और आप टूट कर खरीदते हैं. तो उन्होंने तो हर साल तैयारी कर ली होगी. पैसे चुका दिए होंगे. माल मंगा लिया होगा. आप खरीदे न खरीदे...चीन का कारोबार हो चुका है. दिवाली चीन की खराब हो न हो...उन छोटे कारोबारियों की खराब जरूर हो जाएगी.
और इन सबके बाद, क्या गारंटी है कि आप अगले साल भी चीन का बहिष्कार करेंगे. इसी जोश के साथ. तो दरअसल, कोई गारंटी नहीं.
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