सेकेंड हैंड साइकिल खरीदकर घर लाने वाले पिता-बेटे की खुशी नई मर्सिडीज से बड़ी है
एक पिता सेकेण्ड हैंड पुरानी साइकिल (second hand bicycle) खरीदकर लाता है, जिसे देखकर उसका छोटा बेटा खुशी से उछलने लगता है. बेटा लगातार बिना थके कूद रहा है. वह चहक रहा है. वह हंस रहा है. वह जोर-जोर से ताली बजा रहा है. ऐसा लग रहा है कि जैसे उसे क्या मिल गया है.
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अरे ओ आसमां वाले बता इस में बुरा क्या है
ख़ुशी के चार झोंके गर इधर से भी गुज़र जाएं...
एक पिता सेकेण्ड हैंड पुरानी साइकिल (second hand bicycle) खरीदकर लाता है, जिसे देखकर उसका छोटा बेटा खुशी से उछलने लगता है. बेटा लगातार बिना थके कूद रहा है. वह चहक रहा है. वह हंस रहा है. वह जोर-जोर से ताली बजा रहा है. ऐसा लग रहा है कि जैसे उसे क्या मिल गया है. वह कभी साइकिल तो कभी पिता को देख रहा है. वह पिता पर प्यार लुटा रहा है. मानो आज पिता ने कितनी बड़ी जंग जीत ली है. जैसे इस पल के लिए पिता-बेटा दोनों ने कितना इंतजार किया है.
एक पिता के लिए भी इससे बड़ा ईनाम क्या होगा कि, वह अपने बेटे के चेहरे पर खुशी की वजह है. बेटे को इतना खुश देख पिता भी खुद को किसी सुपर हीरो से कम नहीं समझ रहा होगा. पिता भी मन ही मन अपने मन में खुद पर गुमान कर रहा होगा. दोनों के हाव-भाव बिना कुछ कहे ही कितना कुछ कह रहे हैं. असल में यह पिता-पुत्र प्रेम की भाषा है. जो बता रहे हैं कि हमें भी खुश रहने का हक है...
एक पिता के लिए इससे बड़ा ईनाम क्या होगा कि, वह अपने बेटे के चेहरे पर आई खुशी की वजह है
मेरा तो इस वीडियो को बार-बार देखने का मन कर रहा है. इस पिता-पुत्र की जोड़ी हमें जिंदगी के सकारात्मक पहलू को दिखा रही है कि हालात कोई क्यों ना हो, हमें खुश रहने का बहाना ढूढ़ लेना चाहिए. यह वीडियो उन पैसे वालों के लिए प्रेरणा हैं, जिनके पास लग्जरी गाड़ियां हैं फिर भी चेहरे से मुस्कुराहट गायब और जिंदगी से सुकून गायब है.
इस वीडियो को बार-बार देखने का मन करता है-
It’s just a second-hand bicycle. Look at the joy on their faces. Their expression says, they have bought a New Mercedes Benz.❤️ pic.twitter.com/e6PUVjLLZW
— Awanish Sharan (@AwanishSharan) May 21, 2022
पिता-बेटे की खुशी को देखकर ऐसा लग रहा है, यह वही पल है जिसकी तलाश में हम दिनभर भटकते रहते हैं. आजकल लोग मी टाइम और क्वालिटी टाइम बिताने के लिए पहले से प्लान करते हैं, हमेशा फ्यूचर में जीते हैं लेकिन आज को जीना भूल जाते हैं. भला, खुशियों को भी प्लान किया जा सकता है क्या?
जिंदगी क्या होती है, यह सेकेण्ड हैंड साइकिल खरीदने वाले पिता-बेटे की खुशी ने समझा दिया है. इस वीडियो को IAS अधिकारी अवनीश शरण ने ट्ववीटर पर शेयर किया है. जिसमें दिख रहा है कि पिता-बेटे एक पुरानी साइकिल की पूजा कर रहे हैं. पिता पहले साइकिल को माला पहना रहा है. फिर लोटे से जल छिड़ रहा है. इस बीच दोनों एक-दूसरे को बार-बार देख रहे हैं. इस बीच दोनों के चेहरे पर हंसी है. इसके बाद पिता हांथ जोड़कर साइकलि को प्रणाम कर रहे हैं. इसके बाद बेटा भी हाथ जोड़कर सिर झुकाकर प्रणाम कर रहा है.
मतलब खुशी और संस्कार दोनों की झलक एक साथ दिख रही है. शायद, बेटा यह सोचकर खुश हो रहा होगा कि अब उसके पिता साइकिल चलाएंगे. वे काम से जल्दी घर आ जाएंगे. वे उसे साइकिल पर घुमाएंगे. पिता इसलिए खुश होंगे कि वह अपने बेटे को साइकिल पर बिठा सकते हैं. वह जहां बोलेगा उसे ले जा सकते हैं. उसे साइकिल से स्कूल छोड़ सकते हैं. अब हमें कहीं पैदल नहीं जाना पड़ेगा.
बाप-बेटे की ऐसी जोड़ी आजकल के जमाने में कम ही देखने को मिलती है. पिता जब घर से बाहर जाते हैं तो बच्चे शाम होने पर उनके लौटने का इंतजार करते हैं क्योंकि उन्हें पता रहता है कि वे उनके लिए कुछ न कुछ जरूर लेकर आएंगे. उनके लिए वह पल सबसे कीमती होता है. पिता अपने खर्चे में बिना कुछ कहे कटौती करता है ताकि बच्चों की जरूरतों को पूरी कर सकें.
हो सकता है कि हमें लगे कि साइकलि खरीदना कौन सी बड़ी बात है, वो भी पुरानी...लेकिन जब एक गरीब को रोटी के लिए इतनी मेहनत करनी पड़ती है तो फिर साइकिल तो इनके लिए बहुत बड़ी बात है. इससे भी बड़ी बात है पिता-बेटे के बीच का प्यार.
वैसे भी हमें किसी गरीब की जिंदगी से किसी को कोई खास फर्क नहीं पड़ता. ऐसा लगता है वे इसी धरती पर दूसरे गोला के प्राणी हैं. ज्यादा से ज्यादा हम किसी गरीब बच्चे को 10 रूपए की नोट पकड़ा देते हैं. पुराने कपड़े दान कर देते हैं. किसी दिन उन्हें खाने का कुछ सामान ऑफर कर देते हैं. इतने में भी वे खुश हो जाते हैं.
फिर ये तो उनके लिए सेकेण्ड हैंड साइकिल नहीं नई मर्सिडीज बेंज कार है...हमें भी जिंदगी की इन छोटी-छोटी खुशियों को समेट लेना चाहिए, जिंदगी आसान हो जाएगी और खूबसूरत भी...
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