किसी की मौत पर Ha Ha इमोजी इस्तेमाल करने वालों के लिए यह खबर है
वे लोग जो किसी की मौत पर हाहा इमोजी का इस्तेमाल करते हैं. वे लोग जो किसी विरोधी का नुकसान होने पर हाहा इमोजी बनाते हैं. वे लोग जो किसी के दुख पर हंसते हैं, और वे लोग जो दूसरों का मजाक बनाकर और उनको दुख पहुंचाकर खुश होते हैं, ऐसे ही लोगों के लिए यह खबर है.
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वे लोग जो किसी की मौत पर हाहा इमोजी का इस्तेमाल करते हैं. वो लोग जो किसी विरोधी का नुकसान होने पर खुश होकर इमोजी बनाते हैं. वो लोग जो किसी के दुख पर हंसते हैं और वो लोग जो दूसरों का मजाक बनाकर और उनको दुख पहुंचाकर सुकून पाते हैं. ऐसे ही लोगों के लिए यह खबर है.
अक्सर देखा जाता है कि किसी दुख वाली खबर पर भी ऐसे हजारों लोग होते हैं जो हाहा इमोजी बनाकर हंसते हैं. जो दुनिया छोड़कर चला गया उसकी मौत पर हंसने से आपको क्या मिल जाता है. राजनीति में विपक्षी पार्टियों के लिए तो यह आम बात है लेकिन किसी महिला के साथ अपराध होने पर भी लोग हंसते हैं. ऐसा कई बार देखने में सामने आया है.
जो किसी के दुख का मजाक बनाते हैं उनके लिए मौलवी ने जारी किया फतवा
फेसबुक पर अगर कोई मजाकिया बात पर हाहा करके हंसता है तब तो ठीक है लेकिन किसी के दुख का मजाक बनाने से पहले यह फतवा पढ़ लीजिए. कई बार ऐसे पोस्ट पर लोगों को हाहा इमोजी बना देख लगता था कि ऐसा कोई रूल तो होना ही चाहिए.
दरअसल, यह इमोजी बांग्लादेश के एक मौलाना की नजर में हराम है और इसिलए इन्होंने फेसबुक के 'हाहा' इमोजी के खिलाफ फतवा भी जारी कर दिया. ये बांग्लादेश के मौलाना अहमदुल्लाह है. जिनकी सोशल मीडिया पर बहुत फॉलोइंग है. ये अक्सर टीवी शो पर धार्मिक मामलों पर पर चर्चा करते हैं.
असल में मौलाना अहमदुल्लाह के फेसबुक और यूट्यूब पर 30 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं. हुआ यूं कि इन्होंने फेसबुक पर तीन मिनट लंबा वीडियो पोस्ट किया. इस वीडियो में मौलाना ने फेसबुक पर लोगों का मजाक बनाने और 'हाहा' इमोजी के खिलाफ फतवा जारी किया. साथ ही यह भी कहा कि यह मुस्लिमों के लिए हराम है.
मौलाना अहमदुल्लाह ने वीडियो में यह भी काहा कि 'आजकल हम फेसबुक के हाहा इमोजी का इस्तेमाल लोगों का मजाक बनाने के लिए करते हैं.' इस वीडियो को लाखों लोग देख चुके हैं. वीडियो में अहमदुल्लाह कहते हैं, 'अगर हम हंसी-मजाक के लिए हाहा करते हैं और पोस्ट करने वाला शख्स भी इसे उसी तरह समझता है तो कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन अगर आपका रिएक्शन लोगों का उपहास करने के मकसद से दिया गया है तो यह इस्लाम में पूरी तरह हराम है.'
भले ही यह फतवा बांग्लादेश में जारी हुआ है लेकिन हमारे देश में भी ऐसी स्तिती का सामना लोगों का करना पड़ता है. फन के लिए और हंसी मजाक तक तो लोगों को बुरा नहीं लगता. अगर आप इसे अपनी अभिव्यक्ति की आजादी से जोड़ते हैं तो एक बार उस इंसान के घरवालों के बारे में भी सोच लेना जिसने किसी अपने को खोया है और आप उस पोस्ट पर जाकर हाहा करके अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हैं, क्या सुकून में मिलता है आपको किसीके दुख का उपहास बनाकर? अगर ऐसा आपके साथ हो तो...
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