कन्यादान के बजाय 'लौंडा-दान' या कुंवरदान का ख्याल बेतुका है, इससे तो कोर्ट मैरिज ही कीजिये...
इंटरनेट पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. जिसमें एक दुल्हन बड़े ही अजीब टोन में कन्यादान और मंगलसूत्र के बारे में अनाप-शनाप बोल रही है. वह मुंह बनाकर कह रही है कि 'मैं एक टिपिकल भारतीय दुल्हन नहीं हूं. मैं जेंडर पर काम करती हूं. मैं सिंदूर, मंगलसूत्र और कन्यादान के खिलाफ हूं. लेकिन, शादी के समय तमाम रीति-रिवाज फॉलो करती दिख रही है.
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सिंदूर नहीं (Sindur) लगाना है मत लगाइए, कन्यादान मत कीजिए, मंगलसूत्र (Mangaksutra) नहीं पहनना है तो मत पहनिए! कोई आप पर जबरदस्ती थोपने नहीं जा रहा है. मगर कृपया करके हिंदू विवाह रस्मों का अपमान मत कीजिए. आपके पास कोर्ट मैरिज करने का रास्ता खुला है. ये क्या बात हुई कि हिंदू विवाह भी करना है और उसकी रस्मों का मजाक भी बनाना है.
ये वीडियो देखिए, और फैसला कीजिए-
I hope in the name of gender equality, at least the baby will be delivered by her and not by the "kunwar' pic.twitter.com/6pOVNdVb3f
— Rishi Bagree (@rishibagree) April 12, 2022
लैंगिक समानता के नाम पर कुछ भी हो रहा है. असल में इन लोगों को यह पता ही नहीं है कि महिला-पुरुष समान अधिकार होते क्या हैं? नहीं मानना है तो मत मानो ना, आपका कोई गला तो दबाने जा नहीं रहा है.
असल में इंटरनेट पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. जिसमें एक दुल्हन बड़े ही अजीब टोन में कन्यादान और मंगलसूत्र के बारे में अनाप-शनाप बोल रही है. वह मुंह बनाकर कह रही है कि 'मैं एक टिपिकल भारतीय दुल्हन नहीं हूं. मैं जेंडर पर काम करती हूं. मैं सिंदूर, मंगलसूत्र और कन्यादान के खिलाफ हूं'
'सिंदूर तो जरूरी है, इसलिए हमने मंगलसूत्र की रस्म को छोड़ दिया. मैंने और मेरे पति ने एक-दूसरे की मांग भरी. इसके बाद हमने कुंवरदान की रस्म की. मेरा पति शिव तो पहले लौंडा-दान वाले आइडिया से सहमत नहीं था. फिर हमने एक सही शब्द कुंवरदान चुना. इसके बाद उसके माता-पिता ने उसका हाथ मेरे हाथ में दे दिया. और इस तरह इस शादी में कुंवरदान किया गया.'
शादी के नाम पर पाखंड करने वाली इस लड़की ने दुल्हन वाला लाल जोड़ा पहना है, मेंहदी भी लगाई है
अरे नहीं करना है तो कन्या दान मत करो, लेकिन ये लौंडा-दान तक बात ले जाने की भी जरूरत क्या है? जब कन्या का दान नहीं किया जा सकता तो वर का दान करना कैसे सही हो गया? ऐसे लोग खुद ही अपनी बातों में फंस जाते हैं. मतलब मॉडर्न दिखने के चक्कर में कुछ भी. गलत परंपरा को बदलना चाहिए लेकिन अपनी संस्कृति को पैरों तले कुचलकर, जगहंसाई कराकर आप आधुनिक नहीं बेवकूफ ही कहलाएंगे.
अब देखिए जो लड़की शादी की रस्मो का मखौल उड़ा रही थी, वही शादी में लाल जोड़ा पहनकर बैठी है. अरे रिवाज का विरोध ही करना है तो काला जोड़ा पहन लेती. मेहंदी भी लगाई है. लाल चूड़़ा भी पहना है. कलीरे भी पहन रखे हैं. पारंपरिक तरीके से सजी-धजी भी है. महंगा वाला मेकअप भी किया है और खाना तो लजीज होगा ही. दूल्हे ने भी शेरवानी पहन रखी है. मंडप है डेकोरेशन है. होटल भी आलीशान ही लग रहा है. मतलब शादी पर खर्च भी खूब हुआ है. अब भला हम कौन होते हैं इसे फिजूलखर्ची कहने वाले?
जब हिंदू विवाह से इतनी की दिक्कत है तो यह सब करने की क्या जरूरत थी? बॉलीवुड अभिनेत्री शिबानी और अभिनेता फरहान की तरह वचन लिख कर पेपर पर हस्ताक्षर ही कर लेते. इस वीडियो और इस दुल्हन की बातें सुनने के बाद शायद आपको भी गुस्सा आ सकता है, बातें ही इतनी निराधार है. ये तो वही हो गया कि भैया, 20 हजार वाली ड्रेस 500 में दे दो.
इस वीडियो को शेयर करने वाले यूजर ऋषि बागरी का कहना है कि 'मुझे उम्मीद है कि लैंगिक समानता के नाम पर कम से कम बच्चे को जन्म तो लड़की ही देगी, न कि कुंवर'. वहीं दूसरे यूजर ने लिखा है कि दुर्भाग्य से समानता और प्रगति के नाम पर यह सब हो रहा है. दुनिया में केवल पुरुषत्व या स्त्रीत्व के साथ यह रहना दयनीय होगा. हमें एक संतुलन बनाने की जरूरत है ना कि प्रतिस्पर्धा करने की.
इस दुल्हन पर यूजर संजीव का कहना है कि सिंदूर देवियों (लक्ष्मी, दुर्गा, सरस्वती) को चढ़ाया जाता है और शादी के बाद यही सिंदूर हिंदू महिलाओं को, क्योंकि महिला शक्ति को भी हम देवी ही मानते हैं. वो भी सृजनकर्ता और मातृत्व का साक्षात स्वरूप है पर इस अंग्रेजी मूर्खों को कौन समझाए. इसलिए शादी के बाद हर हिन्दू महिला देवी कहलाती है.
माना जब यही करना था तो इतना खर्चा करने की क्या जरुरत थी. ऊपर से सोशल मीडिया पर शेयर करने की तो कत्तई जरूरत नहीं थी. लौंडा-दान जैसी फूहड़ बातें करने के बजाय कोर्ट में जाकर शादी रजिस्टर करवा लेते. अब आप ही है फैसला करिए, इस कुंवरदान के बारे में आपकी क्या राय है?
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