राम कचौड़ी वाला था तो मंदिर में मटन आर्डर करने के बावजूद बच गया, अब्दुल होता तो कहानी दूसरी थी!
दिल्ली में, स्विगी के डिलीवरी बॉय ने, मंदिर में मटन मंगा रहे राम कचौड़ी वालों के साथ जो किया और उसपर जो हिंदूवादी संगठनों ने किया वो तो हमने देख ही लिया. सोचिये अगर यहां कोई सुलेमान या अब्दुल होता और वो बीफ मंगाता तो क्या हिंदूवादियों का रवैया इतना ही सहज रहता?
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हज़ारों लाखों लोग हैं जिनकी जिंदगी Swiggy और Zomato की बदौलत चल रही है. मटन हुआ, चिकेन हुआ, पनीर हुई या फिर अलग अलग तरह का खाना. बस एक क्लिक की देर है. ऑर्डर बुक, पेमेंट कीजिये और कुछ देर का इंतजार और खाना आपके सामने. कश्मीरी गेट स्थित मरघट बाबा हनुमान मंदिर के राम कचौड़ी वाले भी इसी फंडे पर काम करते थे. दुकान मंदिर परिसर में हुई तो क्या हुआ? जब चिकेन खाने का मन हुआ चिकेन मंगा लिया. जब मटन की इच्छा हुई मटन सामने. लेकिन हर दिन एक जैसा नहीं होता. बीते दिन भी उन्होंने ऐसा ही किया. करोलबाग के एक रेस्त्रां से मटन और नान ऑर्डर की. फ़ूड रेडी हुआ तो उसे लेने डिलीवरी बॉय सचिन पांचाल आया. लोकेशन पर गया तो देखा कि जहां मटन देना है वो जगह एक मंदिर है. इतने में जिसने आर्डर किया था उसका फोन भी आ जाता है. सचिन मंदिर के अंदर मटन पहुंचाने से माना कर देता है. दोनों में नोक झोंक होती है और फोन कट जाता है. इस बीच डिलीवरी बॉय वीडियो बना लेता है.
मंदिर में मटन पहुंचाने पर जो डिलीवरी बॉय ने किया वो अचरज में डालता है
वीडियो वायरल होता है और फिर वही होता है जिसकी उम्मीद की जा सकती है. अगले ही दिन राम कचौड़ी पर हिंदूवादी संगठन के लोग आते हैं. थोड़ा बहुत हो हल्ला होता है. बात चीत होती है और दुकान बंद करा दी जाती है. बाद में लोग हंसते मुस्कुराते जय श्री राम का नारा लगाते हुए वापस लौट जाते हैं. ये कहानी का एक पक्ष हो गया. अब इस कहानी को उल्टा कर के देखिये.
Hanuman Mandir Mein Jo Ram Kachori wala baithata hai vah nonveg mangwa kar Mandir Mein Hi Kha Raha Hai to delivery boy Ne delivery Dene Se mana kar diya uski delivery ki details bhi hai aur video bhi hai aur recording bhi haiHe may be Muslim. Please check and throw him out. pic.twitter.com/EoLoiqZR6a
— ANIL KUMAR MITTAL (@ANILKUM05405587) March 3, 2023
सोचिये कि इस जगह राम कचौड़ी न होकर इसी स्थान पर अब्दुल टेलर या सुलेमान मेकेनिक होता. वो खाना आर्डर कर रहा होता. खाने में बीफ मंगाता ( भारत में गौ मांस प्रतिबंधित है यहां बीफ से तात्पर्य भैंस के मांस से है) ऐसा ही कोई जागरूक डिलीवरी बॉय आता मना करता और वीडियो बना देता. अब एक छोटा सवाल है. क्या जो लोग या ये कहें कि हिंदूवादी संगठन के कार्यकर्ता उसके पास आते तो वो उतनी ही सहजता से बात सुनते जैसे उन्होंने राम कचौड़ी वाले की सुनी?
Ram kachori wala, Yamuna bazar, Delhi..? pic.twitter.com/trQuikgbmk
— Nirmal Kumar Ojha (@NirmalKumarOjh2) March 6, 2023
प्रश्न बहुत सिंपल है और निष्पक्ष होकर यदि ईमानदारी से इसका जवाब दिया जाए तो मिलता है कि तब उस स्थिति में ठीक वही होता जो हम सोच रहे हैं. अगर हिंदुवादियों को अब्दुल टेलर या सुलेमान मेकेनिक के पास से बीफ के साक्ष्य न भी मिलते तो इन लोगों की अक्ल ठिकाने लगाने के लिए डिलीवरी बॉय द्वारा बनाया गया वीडियो ही काफी रहता. संगठन के लोग जैसी खातिरदारी करते उसपर बहुत कुछ कहने या बताने की जरूरत नहीं है.
इस पूरे विषय पर हम बहुत बड़ी बड़ी बातें कर सकते हैं. लोकतान्त्रिक अधिकारों की दलीलें दे सकते हैं. भाईचारे का राग अलाप सकते हैं लेकिन सच यही है कि बीफ की किसी भी सूचना पर अब्दुल टेलर या सुलेमान मेकेनिक को हलके फुलके विरोध का सामना नहीं करना पड़ता. भले ही ये चीज हमें राम कचौड़ी के केस में दिखी हो कि लोगों ने उसकी दुकान बंद कराई. लेकिन अगर यहीं सुलेमान या अब्दुल होते तो कोई बड़ी बात नहीं कि उनकी दुकान में आग लगा दी गयी होती. या लॉन्चिंग कर उनकी जान ले ली गयी होती.
यक़ीनन सुलेमान और अब्दुल के साथ ऐसा बहुत कुछ होता जो हमारी सोच या फिर कल्पना से परे रहता. बहरहाल हो होता है अच्छे के लिए होता है. अच्छा ही हुआ मंदिर में मटन ऑर्डर करने वाला राम कचौड़ी वाला था अब्दुल या सुलेमान ऐसा कुछ करते तो थाना, पुलिस, कोर्ट, कचहरी सब हो जाता.
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