केरल त्रासदी पर सोशल मीडिया में कई रंग बिखरे हैं
केरल को लेकर जहां सोशल मीडिया मदद का सशक्त माध्यम बना, वहां की खबरें वहां की जानकारी लोगों तक पहुंचाने का, वहीं बहुत से लोग ऐस भी हैं जो सोशल मीडिया पर कुछ भी लिख रहे हैं. अपने पॉलिटिल अजेंडे सेट कर रहे हैं.
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केरल में आई बाढ़ ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया. पानी लोगों का सब कुछ बहाकर ले गया. कुछ के घर डूब गए तो कुछ टूटकर बह गए. जान माल का इतना नुकसान इस सदी में पहली बार हुआ है. ये भयावह नजारे देखकर देश भर के लोग स्तब्ध हैं.
कई एनजीओ लोगों से अपील कर रहे हैं कि वहां के लोगों के लिए जरूरत का सामान जैसे कपड़े, दवाइयां, खाना और साफ-सफाई का सामान भेजें और कई आर्थिक मदद के लिए अपील कर रहे हैं. जिससे जो कुछ बन पड़ा रहा है वो केरल के लोगों के लिए भेज रहा है. लोग पेटीएम से केरल के सीएम रिलीफ फंड में सामर्थ्य के हिसाब से पैसे भेज रहे हैं. और मैसेज को अगले ग्रुप में फॉर्वर्ड कर रहे हैं कि 'हमने कर दिया है, आप भी करें'. कुल मिलाकर इस त्रासदी में सबने केरल की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया है.
सोशल मीडिया में ही उठा सवाल ये कि सीएम रिलीफ फंड में पैसा दे कि न दें
केरल की बाढ़ और सोशल मीडिया-
लेकिन मुद्दा कोई भी हो सोशल मीडिया कभी हार नहीं मानता. केरल को लेकर जहां सोशल मीडिया मदद का सशक्त माध्यम बना, वहां की खबरें वहां की जानकारी लोगों तक पहुंचाने का, वहीं बहुत से लोग ऐस भी हैं जो सोशल मीडिया पर कुछ भी लिख रहे हैं. उदाहरण के लिए-
क्यों हुई त्रासदी-
केरल में बाढ़ क्यों आई इसके लिए लोगों ने अपने विचार कुछ इस तरह व्यक्त किए- किसी ने कहा कि बाढ़ इसलिए आई क्योंकि वहां के लोग बीफ खाते हैं. कुछ ने कहा कि केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश करने की वजह से भगवान नाराज हो गए और केरल में ये आपदा आई.
It seems to be true sirLord Ayyappa is angry with the Kerala Govt, as whole country knows that Communist & Congressi Workers had publicly slaughtered an innocent Calf in protest of Beef ban, cooked it publicly & feasted on its cooked beef openly on the road !God wouldn't spare. pic.twitter.com/OtulS7xf90
— JN Kaushik (@JaganNKaushik) August 16, 2018
खैर इन लोगों के बारे में क्या कहा जाए. लेकिन सोशल मीडिया पर कुछ लोग अपना पॉलिटिकल एजेंडा सेट करने के लिए भी इस्तेमाल कर रहे हैं.
डोनेशन किसे दें-
8 मिनट 43 सेकंड का एक ऑडियो जो किसी सुरेश का बताया जा रहा है वो व्हाट्सएप पर वायरल हो रहा है जो कह रहा है कि केरल के सीएम रिलीफ फंड में पैसा भेजने से पहले ये ऑडियो सुनें. इसमें सुरेश केरल का हाल बता रहा है.
वो कह रहा है कि-
'केरल के बाहर से राहत के चलते बहुत पैसा आ रहा है. लेकिन बाढ़ से प्रभावित होने वाले ज्यादातर लोग मिडिल क्लास या काफी अमीर लोग हैं, उन्हें पैसा नहीं चाहिए. उन्हें कुछ नहीं चाहिए. उन्हें न मोमबत्ती चाहिए न माचिस क्योंकि केरल के हर घर में बिजली है, और पानी उतरने के बाद बिजली वापस भी आ जाएगी. हमें कारपेंटर, चाहिए, इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर, पेंटर और सफाई वाले चाहिए. यहां हमें लेबर चाहिए. यहां लोगों के पास बहुत सामान है, रिलीफ कैंप्स में पर्याप्त सामान है. स्टेडियम भरे पड़े हैं लोगों को कुछ नहीं चाहिए. यहां लोगों को मेडिकल सुविधाएं चाहिए, डॉक्टर चाहिए. इसलिए ऐसा सामान न भेजें जिसकी यहां जरूरत नहीं है. हमारे पास बहुत सामान है.
जो लोग अपना सब कुछ खो आए, उनके पास सब कुछ कैसे हो सकता है
अगर आप डोनेट करना चाहते हैं तो ध्यान रखें कि बहुत घपले वाले लोग भी इस दिशा में काम कर रहे हैं. अगर आप डोनेशन देना चाहते हैं तो असल लोगों को दें जैसे यहां सेवा भारती के लोग काम कर रहे हैं. जो हर जगह काम कर रहे हैं, लोगों को खाना दे रहे हैं, राहत और बचाव में मदद कर रहे हैं. यहां लोग बहुत अमीर हैं, लोग आपका दिया हुआ सामान आपके मुंह पर फेंक देंगे, उन्हें भिखारियों की तरह ट्रीट किया जाये उन्हें बिल्कुल नहीं पसंद. आप 1 या 2 रुपए वाला सस्ता चावल मत भेजें क्योंकि यहां के लोग सबसे अच्छा चावल खाते हैं, इसलिए वो सस्ती चीजें स्वीकार नहीं करेंगे. आप अपना पैसा वहीं दें जो सही हों. सीएम रिलीफ फंड भी बहुत अच्छी जगह नहीं है पैसा डोनेट करने के लिए.'
इस ऑडियो से जो लोग सीएम रिलीफ फंड में पैसा देने का मन बना रहे थे वो काफी कन्फ्यूज़ हो गए. कि किस पर विश्वास करें. क्योंकि इस सुरेश ने वो बताया जिसकी कल्पना कोई नहीं कर सकता. लिहाजा इस ऑडियो पर उन्हीं लोगों की प्रतिक्रियाएं भी आईं जो वास्तव में केरल में फंसे हुए हैं. एक पत्रकार जो वहां से रिपोर्टिंग कर रही हैं उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट लिखी-
धन्या का कहना है कि सुरेश का कहना एक दम गलत है. राहत शिविरों में हजारों लोग हैं जिन्होंने अपने घर खो दिए और उन्हें नहीं पता कि अब वो कहां जाएंगे. एक जगह ऐसी थी जहां बचाने के लिए नाव भी नहीं पहुंच पाईं, वो केटरर से बड़ा सा बर्तन लाए जिसमें महिलाओं और बच्चों को बचाकर सूखे स्थान पर ले जाय़ा गया.
इस तरह बचाया गया लोगों को
जिनके पास कपड़े नहीं हैं वो कारपेंटर का क्या करेंगे? हर दिन लोग राहत शिविरों में आ रहे हैं. हर कॉलेज हर स्कूल राहत शिविर बना हुआ है. लोगों को ये भी नहीं पता कि जब वो यहां से जाएंगे तो उनके घर उन्हें सही सलामत मिलेंगे भी या नहीं. उनके पास न कपड़े हैं, न बिस्तर हैं. बच्चों के पास न किताबें हैं न बैग हैं... कुछ नहीं बचा. और लोग घर में बैठकर ऐसे बेकार ऑडियो बना रहे हैं. इस मैसेज को फॉर्वर्ड न करें.
राहत शिविरों के हालात असल में काफी खराब हैं
सुरेश की खोजबीन करने पर पता चला कि वो बीजपी से जुड़ा हुआ है. और इसीलिए चाहता है कि लोग राहत के लिए डोनेशन सेवा भारती को करें, क्योंकि वो आरएसएस की ही एक शाखा है. उसने अपने ऑडियो पर सफाई भी दी, जिसे बाद में फेसबुक से डिलीट कर दिया गया.
इनके जवाब में बीना नाम की एक महिला ने भी एक ऑडियो भेजा जिसके जरिए उन्होंने वहां की वस्तुस्थिति समझाने की कोशिश की. लोग सबकी सुनें लोकिन अपने विवेक से काम लें कि किसे पैसा भेजना सही होगा.
बाढ़ का मतलब शोक मनाना नहीं-
सोशल मीडिया के इतने सारे रंग देखने के बाद ये रंग न दिखा तो गलत होगा. तबाही और राहत बचाव की सैकड़ों तस्वीरें और वीडियो देखने के बाद ये नजारा सभी को थोड़ा सुकून दे जाएगा. केरलवासियों ने अपनी जिंदादिली का सुबूत भेजा है. ये वीडियो एक राहत शिविर का है जिसमें महिलाएं और बच्चे नाच गा रहे हैं. वो ये बता रहे हैं कि इतने गम और जरूरतों में भी उनमें फिर से खड़े होने की हिम्मत है, वो जज्बा जो सैकड़ों लोगों को थोड़ी देर के लिए ही सही लेकिन संबल तो देता ही है.
केरल के हालात सुधार की ओर हैं. हजारों घर उजड़े हैं तो करोड़ों हाथ आए हैं सहारा देने. उम्मीद है कि जल्द ही भगवान का अपना ये देश पहले की तरह खूबसूरत और संपन्न होगा. सोशल मीडिया का क्या है यहां तो जो होता आया है वो होता ही रहेगा.
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