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Updated: 28 जनवरी, 2021 06:12 PM
आईचौक
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आप सभी ने 'अभिव्यक्ति' के विषय में सुना ही होगा, भारत में 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' के नाम पर काफी हंगामा होता रहता है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने तांडव वेब सीरीज को लेकर चल रहे एक मामले पर कहा है कि 'अभिव्यक्ति की आजादी' अनंत नहीं है. इसी 'अभिव्यक्ति की आजादी' के चलते हिंदू देवी-देवताओं पर कथित रूप से टिप्पणी करने के लिए जेल में बंद स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी को आप लोग शायद भूले नहीं होंगे. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले और कॉमेडियन की गिरफ्तारी के बाद अगर आप से सवाल किया जाए कि 'अभिव्यक्ति की आजादी' पर आपके क्या विचार हैं? शायद इस पर आपका सीधा सा जवाब होगा कि अभिव्यक्ति की आजादी गई तेल लेने. इतने बवाल के बाद इसका सिरदर्द कौन ले.

ऐसे हालात में सोशल मीडिया यूजर्स से ये कहा जाए कि एक ऐसा सोशल मीडिया नेटवर्क है, जिस पर यूजर कुछ भी बिना किसी सेंशरशिप के पोस्ट कर सकते हैं, तो शायद विश्वास करना मुश्किल होगा. आखिर आज के समय में इतनी आजादी कौन देता है. लेकिन, लिप्स (Lips) नाम के सोशल मीडिया नेटवर्क ने यूजर्स को ये आजादी दी है. इस सोशल मीडिया नेटवर्क पर कोई भी और कुछ भी पोस्ट कर सकता है. कहा जा सकता है कि इस सोशल मीडिया नेटवर्क पर सेंशरशिप ही 'बैन' है. आइए जानते है लिप्स नाम के इस सोशल मीडिया नेटवर्क से जुड़ी कुछ बातें.

सेंशरशिप शब्द इनकी डिक्शनरी में ही नहीं

बीते कुछ वर्षों में सोशल मीडिया ने हेट स्पीच, आपराधिक गतिविधियों, हिंसा, उत्पीड़न, खुद को नुकसान पहुंचाने वाले, खतरनाक संगठनों और इसके जैसे ही अन्य कंटेंट के लिए अपने दरवाजे बंद कर दिए हैं. फेसबुक, इंस्टाग्राम, टिकटॉक और Tumblr जैसे सोशल मीडिया नेटवर्क ने अपने सोशल स्पेस पर इन विषयों से जुड़े पोस्ट को पूरी तरह से बैन कर रखा है. इस बैन की वजह से एक बड़े वर्ग के सामने ऑनलाइन दुनिया में अपना ठिकाना खोजना एक बड़ी समस्या बन गया है. जिसका समाधान लिप्स (Lips) सोशल मीडिया नेटवर्क के रूप में सामने आया है. इस सोशल मीडिया नेटवर्क पर किसी प्रकार की सेंशरशिप लागू नहीं होती है. इस पर कंटेंट के मामले में कोई बंदिश या रोक-टोक नहीं है.

दूसरे सोशल मीडिया नेटवर्क से बिल्कुल अलग है अंदाज

फेसबुक, इंस्टाग्राम, टिकटॉक और Tumblr जैसे सोशल मीडिया नेटवर्क अपनी पॉलिसी की वजह से कई अकाउंट बंद कर देते हैं. फेसबुक और ट्विटर द्वारा अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का अकाउंट बंद किया जाना इसका ताजा उदाहरण हैं. इसके साथ ये सोशल मीडिया नेटवर्क सेंशरशिप भी लागू करते हैं. इस सेंशरशिप के कई प्रकार हैं. कुछ खास कीवर्ड को ब्लैकलिस्ट कर देना, पोस्ट डिलीट कर देना, अकाउंट और हैशटैग को सीधे बंद कर देना.

वहीं, अगर ये सोशल मीडिया नेटवर्क किन्ही वजहों से ऐसा नहीं कर सकते हैं, तो ये 'शैडो बैनिंग' का सहारा लेते हैं. शैडो बैनिंग में यूजर की पोस्ट को उसकी फ्रेंडलिस्ट के अलावा अन्य लोगों की पहुंच से दूर कर दिया जाता है. अगर कोई यूजर की पोस्ट को गूगल पर भी खोजेगा, तो उसे वो नहीं मिलेगी. इसके साथ ही सोशल मीडिया यूजर्स के पेज की एडवरटाइजिंग बैन कर दी जाती है. जिसकी वजह से उन्हें फाइनेंशियल नुकसान भी उठाना पड़ता है.

लोगों का मानना है कि सोशल मीडिया पर सेंशरशिप का नियंत्रण अब पूरी तरह से इन कंपनियों के हाथों में चला गया है. माना जाता है कि बड़े लोगों और बड़े ब्रांड, जो इन कंपनियों को एडवरटाइजिंग के लिए काफी पैसा देते हैं, उनके अकाउंट पर ऐसी दिक्कतें नहीं आती हैं. लेकिन, एक साधारण आदमी को किसी भी पोस्ट के लिए बैन किया जा सकता है.

केवल ट्रोलर्स के लिए है सेंशरशिप

लिप्स सोशल मीडिया नेटवर्क यूजर की सहमति के आधार पर ही पहले से तय की गई टैग प्रणाली का अनूठा उपयोग करता है. इस नेटवर्क पर यूजर अपने फोटो-बेस्ड फीड को ऑटो-जेनरेट कर सकता है और खुद ही टैग भी चुन सकता है. पहले विकल्प में यूजर से उसके पसंद के विषयों की जानकारी ली जाती है. फिर यूजर से पूछा जाता है कि वह क्या नहीं देखना चाहता है.

वहीं, ट्रोलर्स के लिए Lips ने कोई जगह नहीं रखी है. इसके लिए Lips ने यूजर्स एक्सपीरियंस को ध्यान में रखते हुए ट्रोलर्स के लिए इस सोशल मीडिया नेटवर्क पर रत्ती भर भी गुंजाइश नहीं छोड़ी है. Lips पर कुछ भी पोस्ट करने से पहला यूजर का अप्रूव्ड होना जरूरी है. ये ट्रोलर्स को दूर रखने की एक तरकीब की तरह है.

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इंडिया टुडे ग्रुप का ऑनलाइन ओपिनियन प्लेटफॉर्म.

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