मोदी के खिलाफ आग उगलने वाली सोशल मीडिया की तोपें चुनाव नतीजे के बाद से शांत हैं
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए की शानदार जीत के बाद, मोदी विरोधी पोस्ट और झूठे प्रचार के लिए पहचाने जाने वाले कई फेसबुक पेजों ने हाल ही में अपने पुराने पोस्ट हटा लिए हैं.
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नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाले एनडीए की शानदार जीत ने आलोचकों और विपक्ष दोनों को चौंका दिया है. सोशल मीडिया पर भी सन्नाटा पसरा हुआ है. खासतौर पर उन सोशल मीडिया अकाउंट पर, जो चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान मोदी के खिलाफ आग उगल रहे थे. लोकसभा चुनावों के दौरान विपक्षी दलों और कई पत्रकारों से जुड़े सैकड़ों फैन पेज राजनीतिक प्रचार और फर्जी खबरों से भरे हुए दिख रहे थे.
अच्छे-अच्छों की बोलती बंद
मोदी के खिलाफ भद्दी टिप्पणियां करने के लिए जानी जाने वाली कांग्रेस की सोशल मीडिया हेड दिव्या स्पंदना ने इस अपमानजनक हार के बाद अपना ट्विटर हैंडल ही डिलीट कर दिया.
16 मई को स्पंदना ने फेसबुक पर मोदी को serial liar यानी बार बार झूठ बोलने वाला कहा था. उनकी सबके आखिरी पोस्ट 29 मई की दिखाई दे रही है. ये एक गैर-राजनीतिक पोस्ट है जो उनकी खुद की ही एक धुंधली सी तस्वीर है. जिसपर कैप्शन लिखा है कि- वह भ्रम जिसपर आप कायम रह सकते हैं! लेख लिखे जाने तक इसके बाद कोई भी फेसबुक पोस्ट नहीं की गई है.
दिव्या स्पंदना अब सोशल मीडिया पर एक्टिव नहीं हैं
ये अकेली एक घटना नहीं है. मोदी विरोधी पोस्ट और झूठे प्रचार के लिए पहचाने जाने वाले कई फेसबुक पेजों ने हाल ही में अपने पुराने पोस्ट हटा लिए हैं.
"वायरल इन इंडिया", "Zee News को बंद करो", "प्रसून वाजपेयी फैंस" और " आई सपोर्ट रवीश कुमार" कुछ फेसबुक पेज हैं जिनकी लंबी चौड़ी फॉलोइंग है, इन्होंने अपने कई राजनीतिक पोस्ट डिलीट कर दिए हैं.
इन पेजों को नियमित रूप से करीब 3-19 लाख यूजर्स फॉलो करते हैं. चुनाव के समय ये पेज कुछ ज्यादा ही सक्रिय हो गए थे. इनकी पोस्ट राजनीतिक प्रचार प्रसार से भरी हुई थीं जिसमें से ज्यादातर फेक थीं. फैक्ट चेकर्स ने इन पेजों के कई वायरल पोस्ट का भंडाफोड़ किया था. लेकिन फिलहाल उन सभी को हटा दिया गया है.
एक FB पेज Viral in India Viralindia.net नाम की एक वेबसाइट से जुड़ा हुआ था. लेकिन चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद ये भी ठप्प हो गया है. यहां इसकी स्टोरी का archived version देखा जा सकता है.
चुनावों के दौरान दो अन्य अति-सक्रिय मोदी विरोधी पेज- प्रसून वाजपेयी फैंस और आई सपोर्ट रवीश कुमार भी चुप हो गए हैं. दोनों ने अपने पुराने पोस्ट हटा दिए हैं. उनके फेसबुक इंटरैक्शन के विश्लेषण से पता चलता है कि उन्होंने पिछले ओक साल के अपने सभी पोस्ट हटा दिए हैं. लेकिन हाल ही में मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार का समर्थन करते हुए कुछ पोस्ट जरूर सामने आए हैं.
अंत भला तो सब भला
दूसरी ओर, नरेंद्र मोदी और भाजपा को सपोर्ट करने वाले फेसबुक पेजों के लिए ये सामान्य रूप से व्यापार ही है. लेकिन इन दिनों सक्रियता कम है, लेकिन चुनाव से पहले इतनी थी कि NAMO जैसे फेसबुक पेज भी सक्रिए थे.
18 मई यानी आखिरी चरण के चुनावों से ठीक एक दिन पहले, NAMO पेज पर गतिविधियां जो रोजाना औसतन 78,000 होती हैं उस दिन लगभग 4 लाख पहुंच गई थी यानी सामान्य से पांच गुना अधिक. 23 मई को मतगणना के दिन, इसके एफबी पेज पर इंटरैक्शन 1.56 लाख तक था. बाद में, इंटरैक्शन की दर और पोस्ट की संख्या कम होने लगी.
अधिकांश भाजपा समर्थक फेसबुक पेज जैसे "मोदीनामा" या "I Support Narendra Modi" अपने प्रतिद्वंदी राहुल गांधी और ममता बनर्जी के खिलाफ पोस्ट कर रहे हैं या मोदी सरकार की उपलब्धियों का ढिंढोरा पीटने में जुटे हैं.
मोदी की बड़ी जीत के बाद फेक न्यूज़ और झूठे प्रचार वाली पोस्ट में भी तेजी से गिरावट देखी गई है. दक्षिणपंथी फेसबुक पेज अब नए मंत्रियों की प्रशंसा से भरे हुए हैं.
जंग अब भी जारी है
लेकिन ऐसा नहीं है कि सभी मोदी विरोधी पेज खामोश हो गए हैं. विपक्ष का समर्थन करने वाले कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को नुक्सान भी उठाना पड़ रहा है. वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो अभी भी तूफान में अपनी गर्दन को सीधा रखने की कोशिश कर रहे हैं.
कई फेसबुक पेज जैसे "I Support Abhisar Sharma" और "FekuExpress" के मोदी सरकार पर हमले लगातार बने हुए हैं.
2019 के लोकसभा चुनाव जितने मतपत्रों और ईवीएम पर लड़े गए उतने ही सोशल मीडिया पर भी लड़े गए. स्वाभाविक रूप से, चुनाव के नतीजे आने के बाद इन राजनीतिक दलों के सोशल मीडिया यूजर भी काफी प्रभावित हुए. सोशल मीडिया पर विपक्ष की ये अस्थायी शांति अपवाद नहीं हो सकती.
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