तिरंगे पर फैक्ट चेकर जुबैर का लॉजिक बिलकुल सही है, बशर्ते इसे वह समझना तो चाहें
हिंदू देवी-देवताओं के अपमान के मामले में जमानत पर बाहर चल रहे फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर (Mohammed Zubair) फिर से अपने एजेंडे पर लग चुके हैं. मोहम्मद जुबैर अब भाजपा के हर घर तिरंगा अभियान (Har Ghar Tiranga Campaign) को निशाने पर लेने के लिए पता नहीं कौन सा फैक्ट चेक करते हुए आरएसएस (RSS) पदाधिकारियों की सोशल मीडिया डीपी की तस्वीरें शेयर कर रहे हैं.
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आल्ट न्यूज के को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद एक बार फिर से सोशल मीडिया पर एक्टिव हो गए हैं. खुद को फैक्ट चेकर पत्रकार कहने वाले मोहम्मद जुबैर ने अपने एक हालिया ट्वीट में आरएसएस के पदाधिकारियों के सोशल मीडिया अकाउंट्स की तस्वीरों का कोलाज शेयर किया है. इस ट्वीट में मोहम्मद जुबैर ने लिखा है कि 'क्या? छद्म राष्ट्रीय ब्रिगेड? पत्रकारों को निशाना बनाना आसान है.'
What? Pseudo-National Brigade? It's easy to target Journalists... https://t.co/a6c5KXiOBH pic.twitter.com/n3EAZRswh7
— Mohammed Zubair (@zoo_bear) August 3, 2022
दरअसल, मोहम्मद जुबैर का ने इस तस्वीर को एक सोशल मीडिया यूजर की पोस्ट पर कमेंट किया था. मोदी भरोसा नाम के इस सोशल मीडिया यूजर ने कुछ पत्रकारों की तस्वीरें साझा करते हुए उन पर अपनी डीपी में तिरंगा न लगाने की आलोचना की थी. क्योंकि आजादी के 75 साल पूरे होने पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 'हर घर तिरंगा' अभियान का आयोजन किया है. 'हर घर तिरंगा' अभियान को बढ़ावा देने के लिए 2 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स पर डीपी में तिरंगा लगा लिया है. और, देश के नागरिकों से भी तिरंगे को अपनी डीपी में लगाने की अपील की थी.
खैर, वापस मोहम्मद जुबैर पर आते हैं. तो, मोहम्मद जुबैर ने इस सोशल मीडिया यूजर की पोस्ट पर इस तस्वीर को 'फैक्ट चेक' मानते हुए चिपका दिया. देखा जाए, तो फैक्ट चेकर पत्रकार मोहम्मद जुबैर का लॉजिक बिलकुल सही है. लेकिन, मोहम्मद जुबैर को अपने ही लॉजिक को समझना होगा.
मोहम्मद जुबैर फैक्ट चेकर पत्रकार हैं, तो उनसे उम्मीद फैक्ट चेक की जाती है. नाकि एजेंडा चलाने की.
पैगंबर टिप्पणी विवाद की तरह यहां भी फैलाया 'रायता'
हिंदू देवी-देवताओं के अपमान समेत फेक न्यूज फैलाने जैसे मामलों में जमानत पर चल रहे फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर ने इस ट्वीट में अपने एजेंडे के तहत ही आरएसएस के पदाधिकारियों की प्रोफाइल को निशाना बनाया है. क्योंकि, मोहम्मद जुबैर आमतौर पर भाजपा, उसके नेताओं और दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों के बारे में ही कथित फैक्ट चेक करते हैं. खैर, अब बात फैक्ट चेक की करते हैं. मोहम्मद जुबैर का ये ट्वीट कौन सा फैक्ट चेक कर रहा है, ये समझना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.
हां, अगर जुबैर अपने एजेंडे को किनारे रखते हुए फैक्ट चेक करते. तो, ये जरूर निकल सकता था कि इस देश के किसी भी नागरिक पर जबरदस्ती तिरंगे को इस्तेमाल करने का दबाव नहीं बनाया जा सकता है. और, जिस तरह इन पत्रकारों को डीपी ना बदलने के लिए निशाना नहीं बनाया जा सकता है. उसी तरह आरएसएस पदाधिकारियों पर भी तिरंगे को डीपी में लगाने का 'सामाजिक दबाव' तो कम से कम नहीं बनाया जा सकता है.
एजेंडा और फैक्ट चेक में अंतर है
मोहम्मद जुबैर वाले एजेंडे को किनारे रखते हुए फैक्ट चेक करते, तो उन्हें पता चलता कि 'हर घर तिरंगा' अभियान 13 अगस्त से शुरू होकर 15 अगस्त तक चलेगा. आसान शब्दों में कहा जाए, तो भारत के नागरिक चाहें, तो अभी से तिरंगा लगा ले या फिर 13 अगस्त से लगाना शुरू करें. यह पूरी तरह से उसकी मर्जी पर निर्भर करता है. और, ये उसकी ही मर्जी है कि वह तिरंगा लगाना चाहता है या नहीं. मोहम्मद जुबैर अगर अपने एजेंडे को किनारे रखते हुए फैक्ट चेक करते तो उन्हें पता चलता कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नागरिकों से अपनी डीपी बदलने की 'अपील' की है. नाकि पीएम मोदी ने लोगों के लिए 'फतवा' जारी किया है कि तिरंगा को डीपी में न लगाना हराम माना जाएगा.
दरअसल, मोहम्मद जुबैर का मॉडरस ऑपरेंडी एक जैसा ही है. वो कर्नाटक में हिजाब विवाद में सुर्खियां बटोरने वाली मुस्कान के वीडियो का फैक्ट चेक करते हैं. जिसमें कथित हिंदू उन्मादियों की भीड़ लड़की के बुर्का पहनकर कॉलेज आने पर 'जय श्री राम' के नारे लगाती है. और, इसके जवाब में मुस्कान 'अल्लाह हू अकबर' का नारा बुलंद करती है. इन्हीं मोहम्मद जुबैर ने नुपुर शर्मा के बयान का भी फैक्ट चेक किया था. लेकिन, वो फैक्ट चेक भी एजेंडे के तहत था. तो, केवल वीडियो वायरल करवाकर ही फैक्ट चेक के सिद्धांत की इतिश्री कर ली गई. जबकि, फैक्ट चेक का सीधा सा मतलब यही निकलता है कि नुपुर शर्मा ने वो बातें कहां से कोट करते हुए कही थीं, इसकी खोज होनी चाहिए थी. नुपुर शर्मा की कही बातें सही थीं या गलत, इसका फैक्ट चेक होना चाहिए था.
वैसे, आजादी के 75 साल पूरे होने पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 'हर घर तिरंगा' अभियान का आयोजन किया है. लेकिन, 'हर घर तिरंगा' अभियान पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं. पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती सरीखे राजनेताओं को अलग कश्मीर राज्य के झंडे की चिंता हो रही है. तो, सोशल मीडिया पर कुछ स्वघोषित बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों को इतने कम समय में करोड़ों राष्ट्रीय ध्वज की उपलब्धता को लेकर चिंता जता रहे हैं. वैसे, उनकी चिंता की असली वजह 'हर घर तिरंगा' अभियान से भाजपा को मिल सकने वाला सियासी लाभ है. चलते-चलते बस इतना ही कि मोहम्मद जुबैर एजेंडा किनारे रखकर फैक्ट चेक करें. तभी बात बनेगी.
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