संवेदनशील मत होइए...मुनव्वर फारूकी के 'विवाद' कॉमेडी के जरिये ही बाहर आएंगे!
पहले भी कई बार मुस्लिम विक्टिम कार्ड खेल चुके मुनव्वर फारूकी (Munawar Faruqui) सस्ती लोकप्रियता के लिए ऐसे काम करते रहे हैं. जस्टिन बीबर (Justin Bieber) की बीमारी को 'पॉलिटिकल जोक' के लिए इस्तेमाल करने में आखिर संवेदनशीलता को क्यों खोजा जाए?
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पहले जान लीजिए खबर...स्टैंड-अप कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी के एक ट्वीट को लेकर सोशल मीडिया पर बवाल मचा हुआ है. पॉप स्टार जस्टिन बीबर की बीमारी को लेकर किए गए एक 'पॉलिटिकल जोक' की वजह से मुनव्वर फारूकी को लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल, मुनव्वर फारूकी ने जस्टिन बीबर के लकवाग्रस्त चेहरे को लेकर एक 'पॉलिटकल जोक' किया था. फारूकी ने ट्वीट किया था कि 'डियर जस्टिन बीबर, मैं समझ सकता हूं. यहां भारत में भी राइट साइड ठीक से काम नहीं कर रहा है.' बता दें कि जस्टिन बीबर के चेहरे का दाहिना हिस्सा 'रामसे हंट सिंड्रोम' की वजह से लकवाग्रस्त हो गया है.
Dear Justin Bieber,i can totally understand Even here in india right side not working properly.
— munawar faruqui (@munawar0018) June 11, 2022
सोशल मीडिया रिएक्शन
मुनव्वर फारूकी का इस ट्वीट के बाद कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने 'अपना पुराना मुनव्वर लौट आया है' जैसे कमेंट किये. लेकिन, बहुत से लोगों को फारूकी का ये जोक पसंद नहीं आया. इन यूजर्स का मानना था कि मुनव्वर फारूकी को किसी की बीमारी का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए था. एक यूजर ने लिखा है कि 'किसी की बीमारी का मजाक उड़ाना दिखा देता है कि तुम कितने जाहिल हो...यह जोक तुम्हें मजाकिया नहीं बनाता है.'
मुनव्वर फारूकी ने वही किया, जिसके लिए वह जाने जाते है.
'संवेदनशील' लोग नहीं समझ पाएंगे जोक्स
मुनव्वर फारूकी स्टैंड-अप कॉमेडियन हैं. तो, तय बात है कि उनकी रोजी-रोटी का सबसे अहम हिस्सा 'जोक' ही होंगे. और, अपने जोक्स को लेकर मुनव्वर फारूकी कितने मशहूर हैं, ये भी किसी से छिपा नहीं है. अपने चुटकुलों की वजह से ही मुनव्वर फारूकी भारत में लिबरलों की आंखों के तारे बन गए हैं. उनके चुटकुलों पर बजने वाली तालियां इस बात का सबूत हैं कि कॉमेडी में उन्हें महारत हासिल है. तो, आखिर क्यों यूजर्स को उनका यह मजाक पसंद नहीं आ रहा है? दरअसल, इन यूजर्स को समझना चाहिए कि मुनव्वर फारूकी का ये ट्वीट 'संवेदनशील' लोगों के लिए नहीं था.
एक आम आदमी किसी के भी दुख से दुखी हो जाता है. लेकिन, मुनव्वर फारूकी ना तो आम इंसान हैं. और, ना ही उनमें ऐसा बनने की कोई इच्छा ही नजर आती है. क्योंकि, अगर ऐसा होता. तो, मुनव्वर फारूकी को ये पता होता कि किसी की पीड़ा को कॉमेडी के नाम पर परोसा नहीं जा सकता है. लेकिन, इस मामले में तो मुनव्वर फारूकी पुराने घाघ हैं. गोधरा ट्रेन में जलने वालों की मौत पर चुटकुले बनाने वाले फारूकी से लोग आखिर क्यों संवेदनशीलता की उम्मीद लगाए रखते हैं.
जोक नहीं मानसिकता के खेल में आगे हैं फारूकी
हिंदू देवी-देवताओं का मजाक उड़ाना फिलहाल मुनव्वर फारूकी ने छोड़ रखा है. क्योंकि, इससे उनकी रोजी-रोटी पर असर पड़ सकता है. लेकिन, अपनी मानसिकता को वो आखिर कब तक छिपा सकते हैं? राइट विंग को किसी भी तरह से निशाने पर लेने वाली उनकी मानसिकता को बस कोई मौका चाहिए होता है. फिर वह किसी का दुख ही क्यों न हो, मुनव्वर फारूकी को इससे फर्क नहीं पड़ता है. क्योंकि, फारूकी का संदेश उनके चाहने वालों तक पहुंच चुका है.
मुनव्वर फारूकी को यूं ही 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' का क्रांतिकारी चेहरा नहीं कहा जाता है. जब उन्हें हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ गाली-गलौज वाली भाषा में चुटकुला सुनाने के लिए जेल भेजा गया था. तो, मुनव्वर फारूकी ने ये स्थापित कर दिया था कि उन्हें एक ऐसे चुटकुले के लिए जेल भेजा गया था, जो उन्होंने कहा ही नहीं. आसान शब्दों में कहा जाए, तो मुनव्वर फारूकी नैरेटिव गढ़ने की जंग में खुद को 'पीड़ित' साबित करने में पहले भी कामयाब हुए हैं. तो, इस ट्वीट पर होने वाले बवाल को भी फारूकी ऐसे ही इस्तेमाल करेंगे. जिससे वह ही पीड़ित नजर आए हैं.
वैसे, बताया जा रहा है कि मुनव्वर फारूकी को खतरों के खिलाड़ी सीजन 12 में हिस्सा लेना है. और, वीजा के लिए उन्हें अभी भी मंजूरी नहीं मिली है. हमेशा ही मुस्लिम होने की वजह से निशाने पर बनाए जाने वाला 'विक्टिम कार्ड' लेकर तैयार रहने वाले मुनव्वर फारूकी इस मामले पर भी खुद को पीड़ित दिखाने में कोई कोताही नहीं बरतेंगे. खैर, मुनव्वर फारूकी को लेकर केवल इतना ही कहा जा सकता है कि संवेदनशील मत होइए...उनकी 'जहालत' कॉमेडी के जरिये ही बाहर आएगी.
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