कन्हैया लाल की पत्नी और मुदस्सिर की मां: दोनों का दर्द एक, विलाप में अंतर क्यों?
कन्हैयालाल (KanhaiyaLal) के परिवार वाले किसी धार्मिक बहस का हिस्सा नहीं बन रहे हैं, न ही उनकी मौत को कोई हिंदू धर्म की गौरवगाथा से जोड़ रहा है. जबकि मुदस्सिर की मां ने जो कहा, उसे बड़ी शान से ओवैसी भरी सभा में दोहराते देखे गए!
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कन्हैयालाल (KanhaiyaLal) की पत्नी और बच्चे हत्या पर विलाप कर रहे हैं, जबकि मुदस्सिर की मां उसे शहीद कह रही हैं, जो 'इस्लाम जिंदाबाद' कहते हुए मारा गया. कन्हैयालाल के परिवार वाले किसी धार्मिक बहस का हिस्सा नहीं बन रहे हैं, न ही उनकी मौत को कोई हिंदू धर्म की गौरवगाथा से जोड़ रहा है. जबकि मुदस्सिर की मां ने जो कहा, उसे बड़ी शान से ओवैसी भरी सभा में दोहराते देखे गए!
उदयपुर के कन्हैया लाल साहू अब इस दुनिया में नहीं हैं. उनकी मां की उम्र 90 साल है जो शायद यही सोच रही होंगी कि इससे अच्छा तो मां मर जाती. पत्नी बावरी हो रही है लेकिन उसने इस हाल में भी किसी के लिए अपने मुंह से बुरा नहीं कहा है. उनके दो बच्चों हैं जिन्हें समझ नहीं आ रहा होगा कि पिता के बिना वे क्या करेंगे? कन्हैयालाल जैसे इंसान जो किसी से बैर नहीं रखते थे. जो सभी को भैया-भैया कहकर बुलाते थे. जो सभी धर्मों के लोगों का सम्मान करते थे और उनके कपड़े सिलते थे. उन्हें इतनी बेरहमी से मारा गया? आखिर उनकी क्या गलती थी. वे तो एक आम इंसान थे जो अपने घर संसार को चलाने में लगे थे, एक मिडिल क्लास घर का इंसान जो अपने घर में अकेला कमाने वाला था, उसे भला किसी से क्या मतलब था?
मुदस्सिर की मां और कन्हैया लाल की पत्नी का सवाल तो कॉमन था लेकिन यह पूछने का तरीका अलग था
कन्हैया लाल की पत्नी को रोता देख सभी की आंखें भर आईं. उधर बुजुर्ग मां रो रही थी कि मेरा लाल मुझसे पहले कैसे चला गया. इनके रूदन को देख हमें मुद्सिर की मां की याद आ गई. वह भी सबसे पूछ रही थी कि मेरे बेटे का क्या कसूर था? सच है इन माओं का तकलीफ एक है. इन महिलओं का दर्द कोई नहीं समझ सकता. जिसका बच्चा मरता है वह मां तो वैसे ही पागल हो जाती है. हालांकि कुछ लोग मौके का फायद उठाकर दर्द में भी पहले आग लगाते है, फिर घी डालकर अपनी रोटी सेंकने का काम करते हैं.
10 जून को रांची में भड़की हिंसा में मुदस्सिर नाम के एक 16 साल के लड़के की गोली लगने से मौत हो गई थी. जिसके बाद उस बच्चे की मां का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. जिसमें वह कह रही थीं कि 'वो क्या समझ रहा है, मुसलमान का बच्चा कमजोर है. शेर, मां पैदा की है. शेर बच्चा पैदा की है. इस्लाम जिंदाबाद था. इस्लाम जिंदाबाद है. इस्लाम हमेशा जिंदाबाद रहेगा. उसको कोई नहीं रोक सकता. एक मुदस्सिर इस्लाम जिंदाबाद बोलते हुए गया. उसके पीछे देखो, सैकड़ों मुदस्सिर खड़ा हो गया.' मेरा 16 साल का बच्चा. अपने इस्लाम के लिए शहीद हुआ है. इस मां को फख्र है. पैगंबर मोहम्मद के लिए उसने अपनी जान दी है. उसने शहीदी देकर उस जगह को पाया है. मुझे कोई गम नहीं. उस काफिर जिसने मारा है, उसे सजा मिलनी चाहिए.'
इस वीडियो को सोशल मीडिया पर इस तरह शेयर किया गया जैसे एक मां का दर्द नहीं कोई हथियार है. हो सकता है कि कई लोग इस वीडियो को देख आगबबूला हुए हों. हो सकता है कि बदले की भावना ने जन्म लिया हो. हो सकता है कि इस वीडियो ने कई बच्चों को उकसाने का काम किया हो. मुद्सिर की मां ने बेटे को शहीद माना लेकिन कन्हैया लाल की मां ने तो ऐसा नहीं कहा कि मेरा बैटा धर्म की खातिर चला गया. मेरा बेटा शहीद हो गया. उन्हें तो अपने बहू, पोतों की चिंता सता रही हैं.
पत्नी ने तो हिंदुत्व का नारा नहीं लगाया. ना ही किसी दूसरे धर्म के बारे में अपशब्द कहा. ना ही कन्हैया लाल के परिवार के किसी सदस्य ने हिंदुत्व जिंदाबाद का नारा लगाया. वे तो चुपचाप अपने घरों में गम में बैठे हैं. कन्हैया लाल के परिवार ने कहा है कि आरोपियों को सजा जो वरना वे कल किसी और को मार सकते हैं. जब पूरे देश के लोगों को इस तालिबानी घटना पर हैरानी हो रही है, गुस्सा आ रहा है. तो सोचिए कन्हैया लाल के परिवार पर क्या बीत रही होगी लेकिन उन्होंने तो सभी को "काफिर" नहीं कहा. मुदस्सिर की मां इस्लाम, इस्लाम कह रही थीं लेकिन कन्हैया लाल की मां ने एक बार भी हिंदू-हिंदू नहीं कहा, क्योंकि अपराधियों का कोई धर्म नहीं होता, वे सिर्फ अपराधी ही होते हैं. ना ही भगवान या अल्लाह को मानने वाले लोग उन्हें सही ठहराते हैं.
चाहें मुदस्सिर की मां हों या कन्हैया लाल की मां...दोनों ने अपने बेटों को खोया है. तकलीफ दोनों की बराबर है. बेटों को खोने का गम भी नहीं जाने वाला. लोग भूल जाएंगे क्योंकि यादश्त यहां सबकी बेहद कमजोर है लेकिन दोनों माएं जब तक जिएंगी इसी तकलीफ के साथ रहेंगी. कोई बाद में पूछने नहीं आने वाला. यहां सभी को अपने हाल में ही जीना पड़ता है. हालांकि मुदस्सिर की मां का बयान कुछ और कहता है और कन्हैया लाल की पत्नी और मां का बयान कुछ और...दोनों में काफी अंतर है. बस हमें यही देखना है कौन आग लगा रहा और कौन आग बुझा रहा है, क्योंकि तकलीफ तो कोई कम नहीं कर सकता. दोनों माओं के बेटों की मौत नहीं होनी चाहिए था, कैसे भी करके नहीं. हालांकि कुछ लोग इन सब में आग सेकेंगे और मौका देखते निकल जाएंगे...अंत में तकलीफ में सिर्फ घरवाले ही रह जाएंगे.
मुदस्सिर की मां और कन्हैया लाल की पत्नी का सवाल तो कॉमन था कि उन्हें क्यों मारा गया, उनका कसूर क्या क्या था? लेकिन यह सवाल पूछने का तरीका अलग था, जो आप भी देख सकते हैं. अब यही है या गलत यह फैसला आपको ही करना है.
"Islam zindabad tha, Islam Zindabad hai aur Islam zindabad hamesha rahega. Usko koi nahi rok sakta. Ek Mudasir Islam zindabad bolte hue gaya uske peeche dekho shaikroñ Mudasir khada ho gaya" - Mudasir's mother pic.twitter.com/9dvoYLnkJH
— Meer Faisal (@meerfaisal01) June 12, 2022
A life cut short, the bitterest tears rolling down the cheeks for the words left unsaid & deeds left undone. #KanhiyaLal you are just like one of us, a foot soldier whose life was taken by extremists. ?. Bhavapurna Shradhanjali. pic.twitter.com/yZGQ1AzdfQ
— Gayatri ????(BharatKiBeti) (@changu311) June 29, 2022
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