मोदी, अमिताभ और शाहरुख पर पैलेट गन से हमला!
पैलेट गन यानी छर्रे वाली बंदूक से अगर हमारे सेलिब्रिटीज घायल हो जाएं, तो कैसे दिखाई देंगे? ऐसी तस्वीरें बनाकर शेयर की हैं एक पाकिस्तानी वकील ने. कोशिश है भारतीय सेना को विलेन बनाना.
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हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद से कश्मीर में लोग लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों द्वारा पैलेट गन यानी छर्रे वाली बंदूक का इस्तेमाल किया जा रहा है. इन बंदूकों के कारण कई प्रदर्शनकारियों को गंभीर चोटें लगी हैं. इन घायल प्रदर्शनकारियों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी खूब शेयर की जा रही हैं.
छर्रों से घायल हुए प्रदर्शनकारियों की तस्वीरें देखने के बाद पाकिस्तानी वकील और एक्टिविस्ट मोहम्मद जिब्रान नसीर ने आर्टिस्ट बतूल अकील और मुर्तजा अब्बास के साथ मिलकर पैलेट गन के खिलाफ प्रचार अभियान शुरू किया है. जिसे “What If You Knew The Victim?” के नाम से वेलफेयर सोसाइटी 'नेवर फॉरगेट पाकिस्तान' के फेसबुक पेज पर पोस्ट किया गया है. इस एल्बम में सेलिब्रिटीज की फोटोशॉप की हुई तस्वीरें हैं, जिनमें उन्हें छर्रों से घायल दिखाया गया है.
कश्मीर में हो रही हिंसा को उजागर करने के लिए बनाई गईं ये तस्वीरें |
तस्वीरों में फेसबुक सीईओ मार्क जकरबर्ग, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सोनिया गांधी, क्रिकेटर विराट कोहली के साथ-साथ शाहरुख खान, अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय समेत कई फिल्मी सितारों की तस्वीरें हैं. हर तस्वीर के सामने एक कहानी का जिक्र किया गया है, जिसे सच्ची घटना बताया जा रहा है. इन सभी के जरिए कोशिश भारतीय सेना को विलेन साबित करने की है.
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मार्क जकरबर्ग
प्रिय मार्क, आप हमारे लिए प्रेरणा रहे हैं. फिर भी हमें दुख है कि हमने आपको शर्मिंदा किया है. हमने आपका इंटरव्यू और आपकी चोटों की तस्वीरें फेसबुक पर पोस्ट करने की कोशिश की लेकिन फेसबुक उन्हें कम्यूनिटी स्टैंडर्ड्स की वजह से हटाता रहा. सरकार ने मोबाइल, इंटरनेट और अखबार बंद कर दिए हैं. हम कर्फ्यू की वजह से बाहर भी नहीं जा सकते. शायद हमें एक अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार के हम तक पहुंचने का इंतजार करना होगा. पूरे भारत को भले ही इजाजत हो, लेकिन कश्मीर को डिजिटल दौर में पहुंचने की इजाजत नहीं है. जल्दी अच्छे हो जाओ भाई. कश्मीर का युवा. |
नरेंद्र मोदी
प्रिय मोदी जी,
हमने सर्जरी तो कर दी है लेकिन दुर्भाग्य से छर्रे आपकी आंखों के पीछे की तरफ अभी भी धंसे हुए हैं. घावों की हालत और भी खराब हो सकती है, क्योंकि अस्पताल में हमें पुलिस ने ऑपरेशन करने से रोक दिया था. वो अक्सर प्रदर्शनकारियों को अस्पताल से गिरफ्तार कर लेते हैं और उन्हें इलाज देने से भी रोक देते हैं. एक पूरी पीढ़ी पूरी तरह से अंधी और विकलांग हो रही है. हमने पिछले 5 सालों में ऐसे मामले देखे हैं, और ये लगातार बढ़ रहे हैं. उम्मीद है कि आप जल्दी अच्छे हो जाएंगे और इस क्रूरता को रोक पाएंगे. - डॉ. सज्जाद खान, ऑपथेलमोलॉजी वार्ड, महाराजा हरिसिंह हॉस्पिटल |
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अमिताभ बच्चन
प्रिय अमित जी, आपके घाव के बारे में जानकर दुख हुआ. आपको सीआरपीएफ के काम में दखल नहीं देना चाहिए था. मेरे बेटे गौहर नजीर ने भी यही गलती की थी. वो घर से दूध लाने के लिए निकला था, तभी उसने सीआरपीएफ को एक विकलांग लड़के को परेशान करते देखा और उसकी मदद करने की कोशिश की. गौहर निहत्था था, लेकिन उन्होंने उसे गोली मार दी. उसकी जान चली गई. गौहर की मौत की खबर सुनते ही मेरी मां सदमे से मर गईं. आप खामोश रहिए और महफूज़ रहिए. आपके पास अब भी बुढ़ापे का आनंद लेने के लिए आपके बच्चे और पोते-पोतियां हैं. - नजीर अहमद दार, कश्मीर |
सोनिया गांधी
प्रिय सोनिया जी, आपकी दाईं आंख की रोशनी चली गई, उसके लिए खेद है. समय पर इलाज न होने के लिए मैं माफी मांगता हूं. हमारे पास केवल पांच ऑपरेशन टेबल हैं. और ये टेबल हमेशा व्यस्त रहती हैं. हमारे डॉक्टर ईद की छुट्टियों पर थे, लेकिन सारी छुट्टियां कैंसिल कर दी गईं. दुर्भाग्य से, राहुल की हालत अब भी गंभीर है. उन्हें बचाने की हम पूरी कोशिश कर रहे हैं. आप देखिए उमर अब्दुल्ला ने इस हथियार का इस्तेमाल करने के लिए मंजूरी दी थी जो घातक नहीं है. लेकिन सेना खासतौर पर सिर और सीने को निशाना बनाती है. ये छर्रे गोलियों से भी ज्यादा घातक सिद्ध हो रहे हैं. - डॉ.कंवलजीत डीएमएस, महाराजा हरिसिंह हॉस्पिटल |
शाहरुख खान
प्रिय शाहरुख, बहुत दुख है कि भारतीय सेना ने आपके साथ ऐसा किया. आप तो उन प्रदर्शनकारियों में शामिल भी नहीं थे. लेकिन यही तो ये आर्म्ड फोर्स करती है. अपनी खास शक्तियों के कारण ये किसी को भी शक की बिनाह पर गोली मार सकते हैं. मुझे आपके परिवार के साथ पूरी सहानुभूति है. मेरे भाई हामिद के साथ भी ऐसी ही क्रूरता की गई. वो पूरे दिन स्कूल में था और ट्यूशन गया था. हमें पता चला वो छर्रे लगने से घायल हो गया. उसका चेहरा देखकर उसे पहचानना मुश्किल था. हामिद सदमे में है, और हम उसे समझा रहे हैं कि किसी के साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया जाता है. उम्मीद है कि जब अगली बार आपको किसी आर्मी अफसर का रोल निभाने के लिए कहा जाएगा तो आप कश्मीरियों के लिए बोलने का साहस जुटा पाएंगे. - जुनैद नजीर, कश्मीर |
विराट कोहली
प्रिय विराट, जब मैं क्रिकेट की प्रेक्टिस से लौट रहा था, तब मेरी भी बाईं आंख में सेना ने गोली मारी थी. लेकिन मुझे भारत ने कहा कि फिक्र मत करो. सेना ने कहा कि ये छर्रे घातक नहीं होते. मेरे लिए कोई भी बोलने वाला नहीं है. और एक कश्मीरी होने के नाते मेरे पास केवल मेरा अभ्यास है जो मुझे मजबूत बनाए रखता है. मुझे आशा है कि आप भी मजबूत रहेंगे और जल्द अच्छे हो जाएंगे. आप और मैं शायद कभी भी बॉल को देख न पाएं, लेकिन जैसा कि सेना कहती है, कम से कम हमारी जान तो बच गई. - साहिल ज़हूर, कश्मीर |
ऐश्वर्या राय
प्रिय ऐश्वर्या, मुझे पता लगा है कि अपनी बेटी आराध्या को बचाते हुए आप सीआरपीएफ की गोलियों की शिकार हो गईं. मैं जीवनभर कश्मीर में रही हूं, लेकिन मुझे अब भी यकीन नहीं होता कि वो चार साल के बच्चे को मारने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन मुझे गोली लग गई. जोहरा को अब भी लगता है कि वो पुलिस द्वारा इस्तेमाल किए हुए पटाखे थे जिससे वो घायल हुई थी. बंदूक और बम क्या हैं और उन्हें निहत्थों पर इस्तेमाल क्यों किया जाता है, इसे समझने के लिए वो अभी काफी छोटी है. शायद भारत में माताएं अगर एक दूसरे के बच्चों के लिए आवाज उठाएं, तो उनके बच्चे भी सुरक्षित रहेंगे. - नसीमा जान, कश्मीर |
सैफ अली खान
प्रिय सैफ, पता लगा कि आप भी इसी अस्पताल में भर्ती हैं. मैं आपसे मिलने नहीं आ पाया क्योंकि उन्होंने अभी मेरे पेट का ऑपरेशन किया है और मेरी दाईं आंख का ऑपरेशन होना बाकी है. मैंने आपकी फिल्म फैंटम देखी है. उसमें दिखाया गया है कि भारतीय सेना आतंकवाद के खिलाफ है. तो फिर उन्होंने मुझे गोली क्यों मारी? मैं तो उतना बड़ा और डरावना भी नहीं हूं. मेरी उम्र केवल 11 साल है, मैं तो केवल अपने घर के बाहर खड़ा था. वो मेरे पास आए, मुझसे सटे और मेरी आंख में तीन बार गोली मारी. अगर भारतीय सेना आतंकवादी नहीं है, तो मुझे उनसे इतना डर क्यों लगता है. - उमर नजीर, कश्मीर |
काजोल
प्रिय काजोल, मुझे अफसोस है कि मैं आपकी जांच के लिए नहीं आ सकी. अगर मैं अपनी 9 साल की बेटी तमन्ना को छोड़कर जाउंगी तो वो डर जाएगी. उसे अस्पताल के बिस्तर पर भी डर लग रहा है. मैं उसे दोष क्यों दूं. वो रसोई में खड़ी थी. घर की सुरक्षा को चीरता हुआ एक छर्रा उसकी आंख में लग गया. कश्मीर में पुलिस को गोलियां चलाने के लिए कारण नहीं बल्कि शिकार चाहिए. उन्होंने एक 9 साल की बच्ची को निशाना बनाया. आशा है आप जल्दी ठीक हो जाएंगी और दुनिया को ये बताएंगी कि पुलिस कश्मीर में क्या कर रही है. मां होने के नाते मैं समझ सकती हूं कि आप मेरे दर्द को समझेंगी. शमीमा, कश्मीर |
आलिया भट्ट
प्रिय आलिया, मुझे पता लगा है कि आप मुझसे अगले वार्ड में हैं. मैं आपका बहुत बड़ा फैन हूं लेकिन मैं आपको परेशान नहीं करना चाहता. आप आराम करें और परेशान न हों. मुझे पता है आप डरी हुई होंगी कि आपको निशाना क्यों बनाया गया जबकि आपने कुछ किया ही नहीं था. मुझे भी तब ही गोली लगी थी जब मैं अपने आंगन में खेल रहा था. मेरे अब्बा भी हैरान थे. उन्हें पता भी नहीं कि मुझे निशाना क्यों बनाया गया जबकि मैं तो केवल 14 साल का था और इन सबका हिस्सा भी नहीं था. उन्हें कोई जवाब नहीं मिला. मुझे लगता है जब दुनिया चुप है तो क्रूरता की कोई सीमा नहीं रहती. इसलिए हमें एक दूसरे के लिए मजबूत रहना होगा. अगर आपको किसी से बात करने की इच्छा हो तो मैं यहां हूं. - इंशा मुश्ताक, कश्मीर |
ऋतिक रौशन
प्रिय ऋतिक, आशा है कि आपकी तबियत ठीक हो रही होगी. मैंने आपको मिशन कश्मीर में देखा था और मुझे लगा था कि बॉलीवुड में शायद आप तो जानते ही होंगे कि हम कश्मीरी कितनी क्रूरता का शिकार होते हैं. आपसे अलहदा, मेरे पास इलाज के लिए पैसे नहीं है, हमारे पिता कुछ साल पहले ही गुजर गए थे. मेरे शरीर में अब भी 40 छर्रे बकाया हैं जो इस साल मई में उस बंदूक से मारे गए, जिसे घातक नहीं समझा जाता. मैं 13 साल का हूं और चाहता हूं कि बड़ा होकर अपने भाई की घर चलाने में मदद कर सकूं. अब वो मेरे इलाज के लिए परेशान रहते हैं. अगर आपने उस क्रूरता का जिक्र किया होता जो हम झेलते हैं, तो हम सब चैन से सामान्य जीवन जी रहे होते. - इमाद अहमद, कश्मीर |
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