तो क्या प्रकाश राज का मोदी विरोध और अवार्ड वापसी सिर्फ ट्विटर पर ट्रेंड करने के लिए.. !
भारत जैसे लोकतंत्र के लिए आलोचना का होना एक बहुत अच्छी बात है मगर इस आलोचना का रूप तब भद्दा हो जाता है जब ये चयनात्मक हो जाती है. यकीन मानिए प्रकाश राज की भी आलोचना चयनात्मक ही है.
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एक अच्छे लोकतंत्र में आलोचना बेहद जरूरी है. कहा जाता है कि लोकतंत्र तब तक ही है, जब तक उसमें आलोचना का दौर चलता रहे. भारत में आलोचना का खेल कोई आज से नहीं है. ये बहुत लम्बे समय से चला आ रहा है और शायद आने वाले वक्त में भी हम इसे यूं ही देखें. हो सकता है कि भविष्य में आलोचना का स्वरुप थोड़ा नर्म पड़ जाए या फिर ये भी हो सकता है कि, ये वर्तमान की तरह यूं ही विकृत होता रहे. कह सकते हैं कि मौजूदा परिदृश्य में आलोचना का स्वरूप बदल चुका है और आलोचना बहुत ज्यादा चयनात्मक हो गयी है.
आज के इस दौर में वो ज्यादा बड़ा आलोचक है जो अपनी गली में पड़े कूड़े से लेकर बच्चों की फीस बढ़ने तक और सीवर में फंसी पॉलिथीन से लेकर फूल गोभी में निकले हरे कीड़े तक, हर चीज में देश की राजनीति खासतौर से देश के प्रधानमंत्री की आलोचना कर उन्हें अपनी परेशानियों के लिए दोषी माने. इस बात को आप दक्षिण भारत के सबसे लोकप्रिय अभिनेताओं में शुमार प्रकाश राज और पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर दिए गए उनके बयान के सन्दर्भ में देखिये.
पत्रकार गौरी लंकेश पर बयान देकर प्रकाश राज ने अपने को मुसीबत में डाल लिया है
वॉन्टेड, सिंघम जैसी कई मूवीज में अपनी धमाकेदार एक्टिंग से सिने प्रेमियों के दिल में बुलंद मुकाम हासिल करने वाले दक्षिण भारत के मशहूर अभिनेता प्रकाश राज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए एक ऐसा बयान दिया है जिससे चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है. प्रकाश राज ने कहा है कि, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनसे बेहतर अभिनेता हैं'. आपको बताते चलें कि प्रकाश राज ने ये बयान बेंगलुरु में एक इंटरव्यू के दौरान दिया है. वे पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के बाद प्रधानमंत्री की चुप्पी से आहत हैं. अपने बयान में प्रकाश ने ये भी कहा कि गौरी लंकेश की निर्मम हत्या पर अगर प्रधानमंत्री अपनी चुप्पी नहीं तोड़ते हैं तो वो अपने 5 नेशनल अवॉर्ड वापस कर देंगे.
ज्ञात हो कि, अभी कुछ दिन पूर्व ही कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में ही कुछ अज्ञात लोगों द्वारा दक्षिणपंथियों की आलोचक रही गौरी लंकेश की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. जिस पर न सिर्फ आम लोगों ने बल्कि राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया तक ने दुःख जताया था और माना था कि उन्होंने एक अच्छा दोस्त खो दिया है.
बताया ये भी जा रहा है कि अभिनेता प्रकाश राज और पत्रकार गौरी लंकेश पिछले 30 सालों से एक दूसरे के साथ थे और अच्छे दोस्त थे. गौरी की मौत से बौखलाए प्रकाश ने ये भी कहा है कि उन्हें इस मौत से भारी सदमा लगा है और अब इस तरह हुई हत्या पर प्रधानमंत्री को अपना जवाब देना ही होगा.
प्रकाश के इस बयान के बाद ट्विटर पर आलोचनाओं का दौर शुरू हो गया है
बहरहाल, इस बयान से जहां प्रकाश ने पीएम की आलोचना की है तो वहीं इस बयान के बाद ट्विटर पर लोग प्रकाश की आलोचना में जुट गए हैं. लोगों का मानना है कि चूंकि प्रकाश एक विशेष क्षेत्र से सम्बंधित हैं और कम लोग उन्हें जानते हैं. अतः लोगों का ये मानना है कि बॉलीवुड के मद्देनजर लगभग गुमनामी के अंधेरों में जीवन जी रहे प्रकाश ने, ये बयान उस वक्त दिया है जब उन्हें सक्रिय मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक एक स्पेस चाहिए. लोगों का ये भी मानना है कि आज प्रकाश ये चाह रहे हैं कि लोग भले नकारात्मक ही सही, मगर ज्यादा से ज्यादा लोग उनके बारे में बात करें.
प्रकाश के बयान के बाद ट्विटर इस तरह के तमाम ट्वीट्स से भरा पड़ा है
अंत में इतना ही कि, भले ही पत्रकार गौरी लंकेश को अभी तक न्याय नहीं मिला है मगर बयान के बाद जिस तरह से प्रतिक्रिया मिल रही है उससे एक बात साफ है कि प्रकाश को अपनी आलोचना से वो पहचान मिल गयी जिसकी उन्हें तलाश थी. अब देखना ये दिलचस्प रहेगा कि पत्रकार की हत्या और प्रधानमंत्री की चुप्पी पर अपने अवार्ड वापस कर प्रकाश साबित क्या करना चाहते हैं.
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